Delhi High Court : पति की सैलरी के साथ पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ेगा, जानिए दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
Delhi High Court - दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि पति की आय या पेंशन बढ़ती है, तो अलग रह रही पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ाना होगा। कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-
HR Breaking News, Digital Desk- (Delhi High Court) दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि पति की आय या पेंशन बढ़ती है, तो अलग रह रही पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ाना होगा। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पति की सैलरी और रोज़मर्रा के खर्चे बढ़ने पर पत्नी के गुजारा भत्ते में भी वृद्धि करना ज़रूरी है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने यह टिप्पणी एक बुजुर्ग महिला की तरफ से दायर याचिका पर फैसला लेते हुए की। महिला ने इस याचिका में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसके अलग रह रहे पति द्वारा उसे गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
रिटायर होने के बावजूद देना बढ़ाना होगा गुजारा भत्ता-
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पति की आय में वृद्धि और बढ़ती महंगाई भरण-पोषण की राशि बढ़ाने के लिए वैध कारण हैं। कोर्ट ने कहा कि बढ़ती महंगाई के कारण जीवन-यापन का खर्च बढ़ जाता है, इसलिए गुजारा भत्ता बढ़ाने की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पति की सैलरी बढ़ने से उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, जिसका लाभ पत्नी को भी मिलना चाहिए।
कोर्ट ने आगे कहा कि हालाकि पति अब रिटायर हो चुके हैं और एक वरिष्ठ नागरिक हैं, फिर भी पत्नी को सम्मानपूर्वक जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए एक संतुलन बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने फैसला दिया कि भरण-पोषण राशि में मामूली वृद्धि से यह संतुलन बना रहेगा।
इस कपल (couple) की शादी 1990 में हुई थी औरॉ पत्नी 1992 से अलग रह रही थी। उसने दावा किया पति और ससुराल वालों की दहेज प्रताड़ना से तंग आकर उसने ससुराल छोड़ दिया था। 2011 में तलाक की अर्जी खारिज कर दी गई, इसलिए यह जोड़ा विवाहित रहा। 2012 में, एक फैमिल कोर्ट ने पत्नी को पति द्वारा प्रति माह 10,000 भरण-पोषण देने का आदेश दिया था।
2018 में, महिला ने इस भरण-पोषण राशि को बढ़ाकर 30,000 रुपए करने की मांग की। उसने इलाज खर्च का हवाला दिया और यह भी बताया कि प्रमोशन और सातवें वेतन आयोग (7th pay commission news) की सिफारिशों के लागू होने के बाद उसके पति का वेतन बढ़ गया था।
साल 2017 में पति के रिटायर (retire) होने के बाद भी वह दो साल तक नौकरी करते रहे। पत्नी ने बताया कि 2017 में पिता के निधन के बाद उन्हें इलाज के खर्चों के लिए अधिक पैसों की ज़रूरत थी। उन्होंने भरण-पोषण की राशि बढ़ाने के लिए परिवार न्यायालय में याचिका दायर की थी। साल 2024 में फैमिली कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया। इस फैसले को पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
हाई कोर्ट ने पाया कि फैमिली कोर्ट (family court) ने पत्नी की याचिका खारिज करते समय पति के वेतन में वृद्धि को नज़रअंदाज़ कर दिया था।
अदालत ने कहा, इस बात को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया है कि 2012 में पति की नेट इनकम केवल 28,705 रुपए मानी गई थी और इस शुद्ध आय के आधार पर याचिकाकर्ता के पक्ष में 10,000 का गुजारा भत्ता (alimony) तय किया गया था। आज उसकी पेंशन (pension) 40,068 रुपए प्रति माह है, जो स्पष्ट वृद्धि है और इस राशि में से कोई कटौती नहीं की जानी थी। अदालत ने पति के केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (Central Government Health Scheme) कार्ड से पत्नी का नाम हटाए जाने पर भी चिंता व्यक्त की।
