Gov Employee Salary Increase : आठवें वेतन आयोग से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में 30-34 प्रतिशत की वृद्धि
Gov Employee Salary Increase : सातवें वेतन आयोग के बाद, केंद्रीय कर्मचारी आठवें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इसके 2026 के आसपास लागू होने की उम्मीद है. जिसके तहत कहा जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में 30-34 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी-
HR Breaking News, Digital Desk- (Gov Employee Salary Increase) सातवें वेतन आयोग के बाद, केंद्रीय कर्मचारी आठवें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इसके 2026 के आसपास लागू होने की उम्मीद है. यह आयोग कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों को नया रूप देगा. मुद्रास्फीति दर इस बात को तय करने में अहम भूमिका निभाएगी कि अंतिम वेतन में कितनी वृद्धि होगी.
2025 की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी तक इसके सदस्य नियुक्त नहीं हुए हैं. पिछले वेतन आयोगों की बात करें तो, उन्होंने कर्मचारियों की आय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है. इन आयोगों ने वेतन संशोधन के लिए फिटमेंट कारक का इस्तेमाल किया, जिसे तय करते समय उस समय की मुद्रास्फीति दर को ध्यान में रखा गया था. फिटमेंट कारक वह गुणांक है जिसका उपयोग नए वेतनमान को निर्धारित करने के लिए किया जाता है. आयोग के गठन के बाद, कर्मचारियों को एक बार फिर से वेतन संशोधन की उम्मीद है.
पांचवां वेतन आयोग: सरलीकृत संरचना-
पांचवां वेतन आयोग 1997 में लागू हुआ था, उस समय औसत मुद्रास्फीति लगभग 7 प्रतिशत थी. वहीं, कर्मचारियों का न्यूनतम मासिक वेतन 2,550 रुपये निर्धारित किया गया था. आयोग का उद्देश्य वेतनमानों को सुव्यवस्थित करना और महंगाई राहत को शामिल करना था. हालांकि, समय के साथ, बढ़ती कीमतों ने इन आयों के वास्तविक मूल्य को कम कर दिया, जिससे कर्मचारियों पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ गया.
छठा वेतन आयोग: वेतन बैंड और ग्रेड पे की शुरुआत-
2008 में मुद्रास्फीति दर 8-10 प्रतिशत थी. उसी समय छठे वेतन आयोग (6th Pay Commission) की शुरुआत की गई थी और न्यूनतम वेतन में भारी संशोधन करके इसे 7,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया, जो पिछले आयोग की न्यूनतम सीमा से 4,450 रुपये की वृद्धि दर्शाता है. इसे के साथ वेतन बैंड और ग्रेड पे की शुरुआत भी हुई
सातवां वेतन आयोग: पे मैट्रिक्स और बेहतर पेंशन-
सातवां वेतन आयोग (7th pay commission) 2016 में लागू किया गया था. उस समय औसत मुद्रास्फीति 5-6 प्रतिशत के आसपास थी. इसके तहत न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया था, जो छठे वेतन आयोग की तुलना में 11,000 रुपये की वृद्धि दर्शाता है. इस आयोग ने वेतन मैट्रिक्स की अवधारणा पेश की, जो करियर में प्रगति के लिए एक अधिक पारदर्शी प्रणाली है. इसने बेहतर पेंशन कैलकुलेशन भी शुरू किया, जिसमें वर्क-लाइफ बैलेंस संबंधी चिंताओं पर भी चर्चा की गई.
आठवां वेतन आयोग: आगे क्या?
आठवें वेतन आयोग (8th pay commission) के 2026 के आसपास लागू होने की उम्मीद है, जिसमें मुद्रास्फीति 6-7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि आधिकारिक विवरण अभी भी प्रतीक्षित हैं, एंबिट इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ का अनुमान है कि वेतन में 30-34 प्रतिशत की वृद्धि होगी.
रिपोर्टों के अनुसार, नए स्ट्रक्चर का उद्देश्य मुद्रास्फीति और विकास जैसी आर्थिक वास्तविकताओं के साथ एजडस्टमेंट करते हुए विभिन्न कार्य कैट में वेतन का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना हो सकता है.
सरकारी कर्मचारियों के सैलरी कंपोनेंट-
सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे में मूल वेतन के अलावा कई भत्ते शामिल होते हैं. कुल आय में मूल वेतन का हिस्सा सबसे ज़्यादा यानी 51.5 प्रतिशत होता है. महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) 30.9 प्रतिशत, मकान किराया भत्ता 15.4 प्रतिशत और परिवहन भत्ता (transport allowance) लगभग 2.2 प्रतिशत होता है. ये सभी तत्व मिलकर सरकार के जीवन-यापन लागत समायोजन और मुआवजे के बीच संतुलन बनाने के प्रयासों को दर्शाते हैं.
