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GST : मकान के किराये पर देना होगा 18 फीसदी जीएसटी, ये लोग आएंगे दायरे में

GST on house rent : जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में आवासीय संपत्ति के किराये पर भी 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला किया गया था. इसके बाद से ही करदाताओं में इसे लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैल रही हैं. अब करीब एक महीने बाद सरकार ने इस पर स्‍पष्‍टीकरण जारी किया है. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से. 
 
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GST : मकान किराये पर लगेगा 18 फीसदी जीएसटी, ये लोग आएंगे दायरे में

HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)। जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में तय हुआ कि अब संपत्ति के किराये (gst on rent) पर भी 18 फीसदी जीएसटी देना होगा. फैसला आने के बाद से ही इसे लेकर लोगों में तरह-तरह के भ्रम फैल रहे थे. अब करीब एक महीने बाद सरकार ने इस पर स्थिति स्‍पष्‍ट कर दी है। 

 

 

 


सरकार ने ट्वीट कर बताया है कि किराये पर 18 फीसदी जीएसटी किस पर और किन परिस्थितियों में लागू होगा. ट्वीट के मुताबिक, आवासीय संपत्ति के लिए किराये पर जीएसटी तभी देना होगा जब उसका इस्‍तेमाल कोई बिनजेस संस्‍थान करेगा. अगर इसे किसी निजी व्‍यक्ति को व्‍यक्तिगत इस्‍तेमाल के लिए दिया जा रहा है तो इस पर जीएसटी लागू नहीं होगा. इतना ही नहीं अगर कोई प्रॉपराइटर या किसी फर्म का पार्टनर भी अपने पर्सनल इस्‍तेमाल के लिए किराये पर मकान लेत है तो भी जीएसटी लागू नहीं होगा.

 

 

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क्‍या हुआ फैसले का असर


एक्‍सपर्ट के मुताबिक, 17 तारीख से पहले तक जीएसटी सिर्फ कॉमर्शियल प्रॉपर्टी पर ही लगता था, लेकिन 18 से अगर आवासीय संपत्तियों को भी जीएसटी रजिस्‍टर्ड व्‍यक्ति या कारोबारी को दी जाएगी तो उस पर भी 18 फीसदी जीएसटी देना होगा. हालांकि, किरायेदार यह 18 फीसदी जीएसटी रिवर्स चार्ज बेसिस पर देगा और इसका डिडक्‍शन जीएसटी रिटर्न में सेल्‍स पर टैक्‍स के भुगतान के समय लिया जा सकेगा.


खुद रहना है तो भी देना होगा जीएसटी


अगर कोई व्‍यक्ति जीएसटी रजिस्‍टर्ड है और वह आवासीय संपत्ति को खुद के रहने के लिए किराये पर देता है तो भी उसे 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान करना होगा. हालांकि, यह रिवर्स चार्ज मेकेनिज्‍म के तहत होगा और वह इस पर रिफंड क्‍लेम कर सकता है. ऐसे में मकान मालिक पर इसका कोई असर नहीं होगा और उसे किसी भी परिस्थिति में जीएसटी का भुगतान नहीं करना पड़ेगा. चाहे उसका किरायेदार जीएसटी पंजीकृत हो अथवा न हो.

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नौकरीपेशा पर इसका क्‍या होगा असर


टैक्‍स मामलों के जानकार बलवंत जैन बताते हैं कि अगर कोई नौकरीपेशा व्‍यक्ति किराये पर आवासीय संपत्ति लेता है तो उसे जीएसटी का भुगतान नहीं करना होगा. लेकिन, अगर कोई व्‍यक्ति या संस्‍थान जो जीएसटी में पंजीकृत है, उसे किराये पर आवासीय संपत्ति लेने पर जीएसटी देना होगा. इतना ही नहीं अगर आवासीय संपत्ति को किसी कारोबारी संस्‍था ने भी किराये पर लिया है तो उसे भी टैक्‍स का भुगतान करना होगा. हालांकि, ऐसे में आईटीसी को लेकर पेच फंस सकता है, जिसे सरकार को और स्‍पष्‍ट करना चाहिए.

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कहां दिखेगा ज्‍यादा असर


जीएसटी के नए नियम का उन कॉरपोरेट हाउस पर ज्‍यादा असर दिखेगा, जो अपने कर्मचरियों के लिए किराये पर मकान उपलब्‍ध कराते हैं. ऐसे पंजीकृत टैक्‍सपेयर्स को जीएसटी का भुगतान करना होगा, जबकि उनके क्रेडिट क्‍लेम को लेकर विवाद भी पैदा हो सकता है. ऐसा इसलिए, क्‍योंकि इस प्रॉपर्टी का इस्‍तेमाल पर्सनल यूज के लिए होगा. लिहाजा इंडस्‍ट्री को इस बारे में काफी बारीकी से अपनी योग्‍यता को आकना चाहिए.