heritage city हरियाणा का यह जिला बन रहा है हैरिटेज सिटी, विश्व मानचित्र पर मिलेगी जगह
HR Breaking News, डिजिटल डेस्क हरियाणा, फिरोज शाह तुगलक का बसाया हिसार हैरिटेज सिटी के रूप में विकसित हो रहा है। केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा सरकार भी इस ओर काम कर रही है। इससे न केवल प्राचीन धरोहर संरक्षित होंगी, बल्कि जिले में पयर्टकों की संख्या बढ़ेगी। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से जिले को राजस्व मिलेगा और हजारों लोगों को रोजगार भी। हिसार जिले को प्राचीन शहरों में गिना जाता है। किसी समय में यहां से सरस्वती नदी गुजरती थी। हड़प्पाकालीन सभ्यता का एक बड़ा केंद्र हिसार के राखीगढ़ी में है।
हिसार, अग्रोहा, हांसी और राखीगढ़ी की धरोहर से हिसार ने देश ही नहीं विश्व के मानचित्र पर विशेष पहचान बनाई है, यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इसके महत्व को देखते हुए हैरिटेज के रूप से विकसित करना चाहती है। हैरिटेज सिटी के रूप में विकसित होने के बाद यहां भारतीयों के अलावा विदेशी पर्यटक आते रहेंगे। बता दें कि इतिहास को जिंदा रखने और धरोहर को संजोए रखने के लिए सरकार काफी गंभीर है। इसलिए लोगों को नायाब एवं रोचक इतिहास से रूबरू करवाने के लिए पर्यटन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
इसको लेकर हिसार डीसी डा. प्रियंका सोनी ने हिसार को जानो प्रोग्राम की शुरुआत की है जिसमें विद्यार्थियों को एतिहासिक धरोहरों का भ्रमण करवाया जाता है।
हैरिटेज सिटी के रूप में विकसित होने के बाद फिरोजशाह महल, गुजरी महल और हांसी व राखीगढ़ी में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। हिसार की शान का प्रतीक फिरोजशाह महल और गुजरी महल पर्यटकों का वीकेंड स्पॉट बन गया है। यहां रोजाना स्थानीय पर्यटक महल की दीवारों पर नक्काशी, राजसी ठाठ-बाट, बारहदरी, लाट की मस्जिद और मजार देखने आते हैं। वहीं शनिवार और रविवार को लोग अपने परिवारों के साथ इतिहास जानने और धरोहर को कैमरे में कैद करने के लिए आने लगे हैं।
कहां कौन सी धरोहर
- हिसार शहर में फिरोजशाह महल, गुजरी महल है। यहां लाट की मस्जिद, बारह दरी, मजार, तहखाने और दीवारों व बुर्ज की नक्काशी आर्कषण का केंद्र है।
- हांसी शहर हैरिटेज सिटी घोषित हो चुका है। यहां पृथ्वीराज किला, बड़सी गेट, दरगाह चार कुतुब, क्यामसर झील, मीर तिजारा का मकबरा, शेख फरीद की मजार्र लाल सड़क है।
नारनौंद में हड़प्पन और प्री-हड़प्पन सभ्यता मौजूद
नारनौंद में करीब 6 हजार वर्ष पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता के लिए राखी गढ़ी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हाल ही में हुई खोदाई में प्री-हड़प्पनकालीन सभ्यता के सुबूत मिले थे। पुणे की डेक्कन यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. बसंत शिंदे व उनकी टीम यहां खोदाई कर चुकी है। इस खोदाई में मिले अवशेषों के डीएनए से यह पता चला था कि आर्य बाहर से नहीं आए थे बल्कि भारत के ही मूल निवासी हैं। इसके बाद अब भारतीय पुरातत्व विभाग खुद इसकी खोदाई कर रहा है जिसमें कई रहस्यों से पर्दा उठ चुका है। इस सभ्यता की खोदाई सन 1997 में आरकेलोजी सर्वे आफ इंडिया के डायरेक्टर डा. अरमेन्द्र नाथ की अगुवाई में की गई थी।
ये सभ्यता करीब 900 एकड़ भूमि पर क्षेत्र में फैली हुई है।
गांव राखी गढ़ी, राखी खास, गामड़ा, हैबतपुर, लोहारी राघो गांव के एरिए में इस सभ्यता के अवशेष पाए जाते है। इस सभ्यता के अनेकों अवशेष पाए जा चुके हैं। इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र व बनारस के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र गांव लोहारी राघो में हड़प्पाकालीन सभ्यता के रहस्यों को जानने के लिए खोदाई कर चुके हैं। राखी गढ़ी के टीलों की खोदाई से पहले केन्द्र सरकार ने 1996 में 150 एकड़ भूमि को अपने कब्जे में लिया था। जिनमें से 138 एकड़ भूमि पंचायत की थी और 12 एकड़ भूमि निजी लोगों की संपति थी। उसके बाद टीलों को सात जोनों में बांटकर उनकी खोदाई की गई थी।
अग्रोहा रही है महराजा अग्रेसन की राजधानी
ऐतिहासिक अग्रोहा टीले की खोदाई के साथ-साथ यहां एक म्यूजियम बनाया जाना है, जिसमें यहां से निकली तमाम ऐतिहासिक वस्तुएं में रखी जाएंगी। यहां के टीले पर 3.6 मीटर तक खोदाई करने का अनुमान है। यहां महाराजा अग्रसेन के मंदिर भी हैं और पर्यटन के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। साथ ही यहां एक मेडिकल कालेज भी है। इस किले की खोदाई से क्षेत्र में पर्यटन के और बढ़ने की संभावना है। अग्रोहा एक ऐतिहासिक नगरी है हड़प्पा से पहले कि सभ्यताएं रहती थी और इससे इतिहास का बहुत कुछ मिल सकता है।