Land Acquisition : जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, बताया- कैसे तय की जाएगी मुआवजे की रकम
Land Acquisition : सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की जमीन अधिग्रहण मामले में महत्तवपूर्ण फैसला सुनाया है. जिसके तहत कोर्ट ने बताया है कि जिन किसानों की जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के लिए ली गई थी... उनकी मुआवजे की रकम कैसे तय की जाएगी. कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-
HR Breaking News, Digital Desk- (Land Acquisition) सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े फैसले में कहा है कि जिन किसानों की जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के लिए ली गई थी, उन्हें मिलने वाला मुआवजा और ब्याज पिछली तारीख से ही मिलेगा. इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का 2019 का फैसला, जिसमें मुआवजे की अनुमति दी गई थी, उन सभी मामलों पर भी लागू होगा जो पहले हुए थे. इस फैसले से उन किसानों को फायदा होगा जिनकी जमीन एनएचएआई ने अधिग्रहित की थी.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highway Authority of India) की एक याचिका खारिज करते हुए यह फैसला दिया. एनएचएआई ने अपनी याचिका में 19 सितंबर, 2019 के उच्चतम न्यायालय के फैसले को भविष्य में लागू करने की मांग की थी. प्राधिकरण ने उन मामलों को दोबारा खोलने पर रोक लगाने की मांग भी की थी जहां भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) की कार्यवाही पूरी हो चुकी थी और मुआवजे का अंतिम निर्धारण हो चुका था.
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट-
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि उनमें कोई दम नहीं है. कोर्ट ने 2019 के तरसेम सिंह मामले में स्थापित सिद्धांतों को दोहराया, जिसमें 'मुआवजा' और 'ब्याज' की लाभप्रद प्रकृति पर जोर दिया गया था. बेंच ने अनुचित वर्गीकरण से बचने की आवश्यकता पर भी बल दिया. इसलिए, वर्तमान याचिका को खारिज कर दिया गया.
भावी रूप से लागू नहीं होगा फैसला-
कोर्ट ने कहा कि आवेदन में यह स्पष्टीकरण मांगा गया है कि तरसेम सिंह मामले में आए निर्णय को केवल भावी दृष्टि से लागू माना जाए, लेकिन हमारी राय में ऐसा स्पष्टीकरण देने से तरसेम सिंह निर्णय से दी जाने वाली राहत प्रभावी रूप से खत्म हो जाएगी. इस निर्णय को भावी रूप से लागू करने पर स्थिति वैसी ही हो जाएगी जैसी निर्णय के पहले थी.
…तो मुआवजे से वंचित रह जाएगा किसान-
पीठ ने उदाहरण देते हुए कहा कि 2019 के निर्णय को भावी रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो एक भूस्वामी की जमीन (landowner's land) जो 31 दिसंबर, 2014 को अधिग्रहीत हुई थी, वह मुआवजा और ब्याज के लाभ से वंचित हो जाएगा. एक दिन बाद एक जनवरी, 2015 को अगर किसी किसान की जमीन अधिग्रहीत हुई थी तो वह वैधानिक लाभ पाने का हकदार होगा.
2019 में, एक पीठ ने फैसला सुनाया कि एनएचएआई को 1997 और 2015 के बीच अधिग्रहित भूमि के प्रभावित मालिकों को मुआवजा और ब्याज देना चाहिए. इस फैसले का उद्देश्य केवल उन मामलों के लिए था जो पहले से बंद नहीं हुए थे. इसने उन मामलों को फिर से खोलने का निर्देश नहीं दिया था जो पहले ही अंतिम रूप ले चुके थे.
