home page

Property right : पिता के जाने की बाद संपत्ति पर बेटे, कुंवारी और विधवा बेटी का हक, लेकिन तलाकशुदा बेटी का नहीं, जानिए कानून

Court decision : देश में प्रॉपर्टी को लेकर ऐसे बहुत सारे कानून है जिनके बारे में आम तौर पर लोगों को इतना ज्यादा पता नहीं होता जिसके कारण परिवारों में प्रोप्रटी को लेकर वाद विवाद के मामले सामने आते रहते हैं | पिता की सम्पत्ति में वैसे तो सारे बच्चों का बराबर अधिकार होता है पर कई बार किसी न किसी कारण से बच्चे को ये अधिकार नहीं मिलता | पिता की मृत्यु के बाद उसकी सपत्ति में  बेटे, कुंवारी और विधवा बेटी का हक होता है पर तलाकशुदा बेटी का नहीं, जानिए क्या है इसका कारण 

 | 

HR Beaking News, New Delhi : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court)ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला में कहा है कि अविवाहित या विधवा बेटी (Unmarried and Widowed Daughter) अपने मृत पिता की संपत्ति (Property of Deceased Father) में हकदार होती है, लेकिन तलाकशुदा बेटी (Divorced Daughter) पर यह लागू नहीं होता है. 


इसलिए तलाकशुदा बेटी का नहीं होता अधिकार 

हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi high court) के पास ऐसा केस आया जो अपने आप में अनोखा था और उस केस का फैसला सुनते हुए कोर्ट (delhi high court decision) ने बताया है की की तलाकशुदा बेटी का पिता की प्रॉपर्टी पर कॉपी अधिकार नहीं होता इस बात पर तर्क देते हुए कोर्ट ने बताया है की तलाकशुदा बेटी भरण-पोषण के लिए पिता पर निर्भर नहीं होती है. तलाकशुदा बेटी भरण-पोषण या देखभाल के लिए पति पर आश्रित होती है. 

10,50,100 और 500 के नोट छापने में कितना आता है खर्च, 99 प्रतिशत लोग नहीं जानते इसका जवाब

वह पूरे हक के साथ गुजारा भत्ता मांगने के लिए कानून का सहारा ले सकती है. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने पारिवारिक अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली की पारिवारिक अदालत ने महिला को मां और भाई से भरण-पोषण का खर्च दिए जाने का अनुरोध करने वाली उसकी याचिका खारिज कर दिया था.

दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने महिला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अविवाहित बेटी या विधवा बेटी के पास परिजनों से गुजारा भत्ता व संपत्ति में हिस्सा लेकर जीवन यापन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है. जबकि, तलाकशुदा बेटी अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का हक होता है. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि भरण-पोषण का दावा हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 21 के तहत किया गया है, जो उन आश्रितों के लिए है जो भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं.

bank privatization : इन 5 सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने जा रही सरकार, जल्दी शुरू होगा काम