RBI को मजबूर होकर बंद करना पड़ा 5 रुपये का ये सिक्का, जानिए इसका कारण
5 Rupee Coin : अगर आपके पास भी पांच रुपये के सिक्के है तो पांच रुपये के सिक्के से ये जुड़ी जानकारी आपके लिए जाननी बेहद जरूरी है। दरअसल आरबीआई को मजबूर होकर बंद करना पड़ा है पांच रुपये का सिक्का। आइए नीचे खबर में जानते है इसका कारण।
HR Breaking News, Digital Desk- रिजर्व बैंक ने 500 और 1000 रुपये के नोट ये कहकर बंद किए थे कि इससे ब्लैक मनी और नकली नोटों का कारोबार खत्म हो जाएगा. लेकिन, क्या आपको पता है इससे भी पहले आरबीआई ने 5 रुपये के मोटे सिक्के बनाने बंद कर दिए थे. इसकी जगह अब पतले और हल्के सिक्के चलन में आ गए हैं. इन सिक्कों को बंद करने की वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे. अपराधियों और तस्करों ने 5 रुपये के मोटे सिक्कों का जमकर दुरुपयोग किया था, जिस वजह से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को इसे बंद करना पड़ा था.
5 रुपये के पुराने सिक्के काफी मोटे होते थे और इनको बनाने में ज्यादा मेटल लगती थी. ये सिक्के जिस धातु से बनते थे, दाढ़ी बनाने वाला धारदार ब्लेड भी उसी मेटल से बनाया जाता है. इस वजह से लोगों ने इसका गलत फायदा उठाना शुरू कर दिया और यही इस सिक्के को बंद करने की वजह रही.
5 के पुराने सिक्कों की हुई अवैध तस्करी-
दरअसल ज्यादा मेटल होने की वजह से 5 रुपये के इन सिक्कों की अवैध तस्करी की जाने लगी और इन्हें गैर कानूनी तरीके से बांग्लादेश भेजा जाने लगा. वहां इन सिक्कों को पिघलाकर इनकी मेटल से ब्लेड बनाया जाने लगा. आपको जानकार हैरानी होगी कि इस एक सिक्के से 6 ब्लेड बन जाती थी और एक ब्लेड 2 रुपये में बिकती थी. इस तरह एक 5 रुपये के सिक्के को पिघलाकर उससे ब्लेड बनाकर 12 रुपये में बेचा जा सकता था.
भनक लगने पर RBI ने लिया फैसला-
जब बाजार से ये सिक्के अचानक कम होने लगे और इस पूरी गड़बड़ी की सरकार को पता चली तो भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 रुपये के सिक्कों को पहले के मुकाबले पतला कर दिया. इसके अलावा सिक्के को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मेटल को भी बदल दिया ताकि बांग्लादेशी इनसे ब्लेड ना बना सकें.
दरअसल किसी भी सिक्के की कीमत सरफेस वैल्यू और मेटल वैल्यू के जरिए 2 तरह से आंकी जाती है. सिक्के पर लिखी वैल्यू सरफेस वैल्यू होती है. वहीं, मेटल वैल्यू सिक्के को बनाने वाली मेटल की कीमत होती है. 5 रुपये के पुराने वाले सिक्के को पिघलाने पर उसकी मेटल वैल्यू, सरफेस वैल्यू से ज्यादा थी. जिसका फायदा अपराधियों और तस्करों ने जमकर फायदा उठाया.