home page

Supreme Court : इतने सालों बाद किरायेदार ही बन जाएगा प्रॉपर्टी का मालिक, Landlrod का नहीं रहेगा हक़

supreme court decision : वैसे तो किरायेदार का प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक़ नहीं होता पर सुप्रीम कोर्ट के अनुसार कुछ हालातों में किरायेदार ही मकान मालिक बन  जायेगा और इसके बाद असली मकान मालिक कुछ भी नहीं कर पायेगा | आइये जानते है क्या है पूरी खबर 

 | 

HR Breaking News, New Delhi : अक्सर सुनने में मिलता है कि किसी किराएदार  (Tenant) ने लंबे समय तक किराया देने के बाद मकान मालिक को घर खाली करने से मना कर दिया है. इससे मकान मालिकों को डर रहता है कि एक बार लंबे समय तक किराए पर रहने के बाद कोई भी किराएदार उनकी संपत्ति पर कब्जा कर सकता है. इससे संबंधित कई तरह की न्यूज रिपोर्ट्स भी सामने आती रहती हैं, जिनमें किराएदार  (Tenant) के मकान खाली ना करने की बात सामने आती है.

Supreme Court ने अविवाहित महिलाओं को भी दिया ये अधिकार

यहां तक कि कानून भी कुछ परिस्थितियों में किराएदारों को यह अधिकार देता है कि लंबे समय तक एक प्रोपर्टी पर रहने के बाद वो उस पर कब्जा जमा कर सकता है. ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कानून क्या कहता है, क्या सही में एक किराएदार कुछ समय बाद संपत्ति पर मालिकाना हक साबित कर सकता है. या फिर मकानमालिकों के पास भी कोई अधिकार होता है कि वो जब चाहें किराएदार से घर खाली करवा सकते हैं.

क्या कहता है कानून?

Supreme Court ने अविवाहित महिलाओं को भी दिया ये अधिकार


एडवोकेट चेतन पारीक के अनुसार, ‘वैसे तो कभी भी किसी भी ‘किराएदार’  (Tenant) का मकान मालिक की संपत्ति पर हक नहीं होता है. लेकिन कुछ परिस्थितियों में किराए पर रहने वाला व्यक्ति उस पर अपना जाहिर कर सकता है. लेकिन, ‘ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट के अनुसार, एडवर्स पजेशन में ऐसा नहीं होता है और इसमें जिस पर संपत्ति का कब्जा होता है, वो उसे बेचने का अधिकारी भी होता है. यानी अगर कोई 12 साल तक किसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन रखता है तो उसे संपत्ति पर अधिकार मिल जाता है.’
उदाहरण के तौर पर समझे तो जैसे किसी व्यक्ति ने अपने जानकार को अपनी प्रोपर्टी रहने के लिए दे रखी है और वो वहां 11 साल से ज्यादा साल रह रहा है तो वो उस संपत्ति पर अधिकार जमा कर सकता है. इसके उलट अगर कोई किराएदार है और मकान मालिक समय-समय पर रेंट एग्रीमेंट बनवा रहा है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी. इस स्थिति में कोई भी व्यक्ति उनकी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता.

Supreme Court ने अविवाहित महिलाओं को भी दिया ये अधिकार

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था लिमिटेशन ऐक्ट 1963 के तहत निजी अचल संपत्ति पर लिमिटेशन (परिसीमन) की वैधानिक अवधि 12 साल जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष है.

यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है. बता दें कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति (Immovable property) पर 12 वर्षों से अधिक से कब्जा कर रखा है. अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया तो उसके पास संपत्ति पर दोबारा अधिकार पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार है.

Supreme Court ने अविवाहित महिलाओं को भी दिया ये अधिकार