Supreme Court : तलाक के बाद पति की प्रोपर्टी में पत्नी का कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला
HR Breaking News, Digital Desk- (Divorce News) सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा पत्नी के गुजारे भत्ते और प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी पर अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने गुजारा भत्ते की राशि तय करते समय महंगाई और पति की बढ़ती आय को ध्यान में रखने का निर्देश दिया है. एक मामले में, कोर्ट ने तलाकशुदा पत्नी (Divorced wife) का गुजारा भत्ता 20,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह कर दिया. (Supreme Court order)
साथ ही हर 2 साल में गुजारा भत्ता में 5 प्रतिशत के बढ़ोतरी के नियम को भी जोड़ दिया. साथ ही पति के दूसरी शादी करने के बाद भी पहली पत्नी के बेटे को पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार होने की बात को स्वीकार किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में पूर्व पत्नी को हर महीने 50,000 रुपये की स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस राशि में हर दो साल में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी. यह फैसला तब आया जब पत्नी ने पहले से तय 20,000 रुपये की राशि को अपर्याप्त बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की थी. (supreme court decision)
सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि लंबे समय से अविवाहित रह रही पत्नी को ऐसा गुजारा भत्ता मिले जो उसके वैवाहिक जीवन के स्तर के अनुरूप हो और भविष्य को सुरक्षित करे. कोर्ट ने पति की बढ़ी हुई आय को देखते हुए 17 साल से चल रहे इस मामले में गुजारा भत्ते की राशि बढ़ाने का निर्देश दिया, ताकि पत्नी को उचित सहायता मिल सके.
डेढ़ दशक पुराना मामला-
18 जून 1997: दोनों की शादी हिंदू रीति-रिवाज से हुई.
5 अगस्त 1998: दंपति को एक बेटा हुआ.
जुलाई 2008: पति ने तलाक के लिए केस दायर किया. पत्नी ने भी भरण-पोषण के लिए अलग से केस दाखिल किया.
14 जनवरी 2010: ट्रायल कोर्ट ने पत्नी को 8,000 रुपये मंथली अंतरिम भरण-पोषण और 10,000 रुपये वकील खर्च के लिए देने का आदेश दिया.
28 मार्च 2014: कोर्ट ने पति को पत्नी को 8,000 रुपये और बेटे को 6,000 रुपये मंथली देने का आदेश दिया.
14 मई 2015: हाईकोर्ट ने यह अमाउंट बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया.
1 जनवरी 2016: कोर्ट ने पति के दायर तलाक का केस खारिज कर दिया.
14 जुलाई 2016: हाईकोर्ट ने पत्नी के लिए भरण-पोषण 20,000 रुपये मंथली तय कर दिया.
25 जून 2019: हाईकोर्ट ने तलाक की मंजूरी दी.
7 नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में भरण-पोषण अमाउंट 75,000 रुपये मंथली कर दी थी, जिसे बाद में चुनौती दी गई.
29 मई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम आदेश में 50,000 रुपये मंथली कर दिया. इसमें हर 2 साल में 5% बढ़ोतरी का प्रावधान भी जोड़ा गया.
पत्नी की दलील-
पत्नी की ओर से कहा गया कि 20,000 रुपये का अमाउंट तब तय किया था जब पति की इनकम बहुत कम थी, लेकिन अब उनकी मंथली इनकम (monthly income) 4 लाख रुपये के आसपास है, फिर भी इतने कम पैसे में गुजारा करना मुश्किल है. पत्नी के वकीलों ने कहा कि यह अमाउंट अंतरिम भरण-पोषण के तौर पर तय हुई थी, स्थाई नहीं और इसे अब जरूर बढ़ाया जाना चाहिए.
पत्नी का कहना है कि जब पति की आय कम थी, तब 20,000 रुपये का गुजारा भत्ता तय हुआ था. अब पति की मासिक आय 4 लाख रुपये है, इसलिए यह राशि बहुत कम है और इसमें गुजारा करना मुश्किल है. पत्नी के वकीलों ने तर्क दिया कि यह राशि अंतरिम भरण-पोषण के तौर पर तय की गई थी, स्थायी नहीं, और इसे अब बढ़ाया जाना चाहिए.
पति की दलील-
पति ने कहा कि वह अब दोबारा शादी कर चुके हैं और उन्हें अपने बुजुर्ग माता-पिता और नई पत्नी की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा अब 26 साल का है और स्वतंत्र है, इसलिए उसे किसी भी तरह का भरण-पोषण देना जरूरी नहीं है. उन्होंने अपनी सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट (bank statement) और इनकम टैक्स रिटर्न (Income tax return) भी अदालत के सामने पेश किए.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाकशुदा पत्नी को 50,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता (monthly maintenance allowance) देने का आदेश दिया है, जो हर दो साल में 5 प्रतिशत बढ़ेगा. बेटे के लिए अब कोई अनिवार्य भरण-पोषण नहीं होगा, लेकिन पिता चाहें तो उसकी पढ़ाई या जरूरतों में मदद कर सकते हैं. बेटे का पैतृक संपत्ति में अधिकार (ancestral property rights) बना रहेगा. यह फैसला दर्शाता है कि गुजारा भत्ता केवल नाममात्र का नहीं, बल्कि व्यावहारिक और न्यायपूर्ण होना चाहिए, जिससे तलाकशुदा महिलाओं को आर्थिक रूप से राहत मिल सके.
