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Bank Privatisation: जुलाई में बिकने वाले बैंकों की लिस्ट यहां देखें, कहीं नुकसान न हो जाए

निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार जुलाई में कई बैंकों को प्राइवेट हाथों में सौंपने जा रही है। जिससे बैंक ग्राहकों पर सीधा असर पड़ सकता है। आईए आपको दिखाते हैं जुलाई में बिकने वाले बैंकों की लिस्ट
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Bank Privatisation: जुलाई में बिकने वाले बैंकों की लिस्ट यहां देखें, कहीं नुकसान न हो जाए

HR Breaking News : नई दिल्ली : सरकार निजीकरण को लेकर अपना रुख साफ कर चुकी है. इसी क्रम में अब सरकार IDBI बैंक को प्राइवेट करने की तयारी में जुट गई है. इसमें सरकार की 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि एलआईसी की 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है. लेकिन जुलाई में इस बैंक की निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
Bank Privatisation: निजीकरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारी लगातार हड़ताल कर रहे हैं, बावजूद इसके सरकार ने अपना पक्ष साफ कर दिया है. सरकार आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जुलाई में शुरू करने जा रही है. विभाग से संबंधित एक अधिकारी के अनुसार, केंद्र सरकार जुलाई के अंत तक बैंक के निजीकरण के लिए प्रारंभिक निविदाएं आमंत्रित कर सकती है।

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जुलाई में शुरू होगा निजीकरण 


मिंट में छपी खबर के अनुसार, अधिकारी ने बताया है कि निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) फिलहाल अमेरिका में आईडीबीआई बैंक की बिक्री के लिए रोड शो कर रहा है. इसके बाद प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है. अधिकारी ने कहा, 'हमें आईडीबीआई रणनीतिक बिक्री पर आरबीआई के साथ एक और दौर की चर्चा की जरूरत हो सकती है. रुचि पत्र (ईओआई) जुलाई के अंत तक आमंत्रित किए जा सकते हैं.'

गौरतलब है कि सरकार की इस बैंक में 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि इसमें एलआईसी की 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है. आपको बता दें कि मई 2021 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आईडीबीआई बैंक में रणनीतिक विनिवेश और प्रबंधन नियंत्रण के ट्रांसफर को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।

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सरकार की लिस्ट है लंबी


दरअसल, सरकार ने कई कंपनियों की लिस्ट बनाई है, जिसका निजीकरण किया जाएगा. लगभग आधे दर्जन से अधिक सार्वजनिक कंपनियों की सूची बनी हुई है. इनमें शिपिंग कॉर्प, कॉनकॉर, विजाग स्टील, आईडीबीआई बैंक, एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट और एचएलएल लाइफकेयर को शामिल किया गया है. इतना ही नहीं, सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-2023 में अब तक सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSE) के विनिवेश से 24,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटा चुकी है।

इस पूरे वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 65,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय उपक्रमों में विनिवेश के जरिये 13,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा हुई थी जिसमें एयर इंडिया के निजीकरण से मिली रकम भी शामिल है।