home page

Business News In Hindi : अटपटा नियम : रिश्वतखोरों से जब्त नोटों पर अधिकारी और गवाह करते हैं साइन, हर साल खराब हो रहे लाखों रुपये

Business News In Hindi : Indian Currency: रिश्वतखोरों से जब्त नोटों को लेकर एक अजीबोगरीब नियम है. दरअसल, ट्रेपिंग से जब्त किए गए नोटों पर जांच एजेंसी के अधिकारियों और गवाहों को सिग्नेचर करने पड़ते हैं. इससे हर साल लाखों रुपये के नोट बर्बाद हो जाते हैं।
 
 | 

HR Breaking News : नई दिल्ली: सरकार भ्रष्टाचार को लेकर बेहद सजग है।
 जांच एजेंसियां रिश्वत लेने वालों के खिलाफ मुहिम चला रही हैं. ऐसे में आए दिन रिश्वतखोरी के मामलों का खुलासा होता रहता है।
 लेकिन क्या आप जानते हैं कि रिश्वतखोरों से जब्त नोटों को लेकर एक अजीबोगरीब नियम है. दरअसल, ट्रेपिंग से जब्त किए गए नोटों पर जांच एजेंसी ले अधिकारियों और गवाहों को सिग्नेचर करने पड़ते हैं. इस नियम के चलते हर साल लाखों रुपये के नोट बर्बाद हो जाते हैं।

 

यह भी जानिए

 


विजिलेंस टीम करती है हर नोट पर साइन


जानकारी के मुताबिक, विजिलेंस ब्यूरो रिश्वतखोरी के मामले में भ्रष्ट कर्मचारियों और अफसरों को रंगेहाथ गिरफ्तार करती है. उन्हें रिश्वत के तौर पर लिए जा रहे नोटों के साथ गिरफ्तार किया जाता है. इन नोटों की बरामदगी के बाद विजिलेंस की टीम गवाहों की मौजूदगी में उन नोटों पर साइन करती है. अधिकारी बरामद किए हर एक नोट पर साइन करते हैं. कई बार विजिलेंस की टीम को नोटों पर सैकड़ों हस्ताक्षर करने पड़ते हैं. इसके चलते हर साल लाखों रुपये के नोट चलन से बाहर हो जाते हैं।


RBI के मुताबिक नोट पर लिखना सही नहीं


भले ही ये नियम क्यों न हो, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक किसी भी नोट पर लिखना सही नहीं मानता. आरबीआई कहता है कि नोट पर कुछ भी लिखना या साइन करना उचित नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में एक सरकारी विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को 8 लाख रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था. इसके बाद विजिलेंस टीम और गवाहों को करीब 1200 साइन करने पड़े थे. हर साल इस तरह के कई मामले सामने आते हैं।


सबूत के लिए रखे जाते हैं नोट


गौरतलब है कि नोटों को जब्त करने के बाद अधिकारियों और गवाह इन पर साइन करते हैं. इसके बाद इन नोटों को सबूत के तौर पर मालखाने में जमा कर दिया जाता है. विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक रिश्वतखोरों के चक्कर में ये नोट चलन से बाहर हो जाते हैं. जांच एजेंसी आरबीआई को सूचना भी दे देती है कि किस तरह के, किस नंबर के और कितने नोट बरामद किए गए हैं।