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CNG PNG PRICE HIKE: रिकॉर्ड स्तर पर नेचुरल गैस के दाम, CNG और PNG में होगी इतनी बढ़ोतरी

नेचुरल गैस (natural gas) के दाम इस सप्ताह में होने वाली समीक्षा के बाद रिकॉर्ड अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच सकते हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
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HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)। प्राकृतिक गैस  (natural gas) का इस्तेमाल बिजली उत्पादन, उर्वरक और वाहनों के लिए सीएनजी उत्पादन में होता है. देश में उत्पादित गैस का दाम सरकार तय करती है. सरकार को गैस कीमतों में अगला संशोधन एक अक्टूबर को करना है.


ऊर्जा की कीमतों में हाल में आए उछाल के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन ( ONGC) के पुराने क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए भुगतान की जाने वाली दर 6.1 डॉलर प्रति इकाई (मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) से बढ़कर 9 डॉलर प्रति इकाई पर पहुंच सकती है. यह नियमन वाले क्षेत्रों के लिए अबतक की सबसे ऊंची दर होगी.

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2019 के बाद तीसरी बार बढ़ेगी कीमत


बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल के बीच यह अप्रैल 2019 से प्राकृतिक गैस कीमतों में तीसरी वृद्धि होगी. सरकार प्रत्येक छह महीने (एक अप्रैल और एक अक्टूबर) में गैस के दाम तय करती है. यह कीमत अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस भंडार वाले देशों की पिछले एक साल की दरों के आधार पर एक तिमाही के अंतराल के हिसाब से तय की जाती है. ऐसे में एक अक्टूबर से 31 मार्च 2023 तक के लिए गैस के दाम जुलाई 2021 से जून 2022 की कीमत के आधार पर तय किया जाएगा. उस समय गैस कीमतें ऊंचाई पर थीं.


कीमत तय करने लिए बनी थी समिति


एक सूत्र ने कहा, ‘‘सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस के मूल्य की समीक्षा का फॉर्मूला तय करने के लिए एक समिति का गठन किया था. समिति के सामने यह मुद्दा लंबित होने की वजह से यह व्यावहारिक वजह होगी कि एक अक्टूबर को गैस के दामों में संशोधन नहीं किया जाए.’’ पेट्रोलियम मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार, योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारेख की अध्यक्षता वाली समिति को अंतिम उपभोक्ता के लिए गैस के उचित मूल्य का सुझाव देने को कहा गया है.

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महीने के आखिर तक आएगी रिपोर्ट


सूत्रों ने बताया कि इस समिति में गैस उत्पादक संघों और ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लि. के प्रतिनिधि शामिल हैं. समिति को अपनी रिपोर्ट इस माह के अंत तक देने को कहा गया है, लेकिन इसमें देरी हो सकती है. समिति में निजी गैस ऑपरेटरों का एक प्रतिनिधि और सार्वजनिक क्षेत्र की गैस कंपनी गेल, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और उर्वरक मंत्रालय का भी एक-एक प्रतिनिधि शामिल है.