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RBI : आरबीआई की माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर सख्ती, छोटे कर्जदारों से अब नहीं वसूल सकेंगे ज्यादा ब्याज

Finance Company :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि सूक्ष्म-वित्त ऋणदाता संस्थान ग्राहकों से ऊंचा ब्याज नहीं वसूल सकते हैं। इसके साथ ही उन्हें कर्जों से जुड़े शुल्कों की एक सीमा भी तय करने को कहा गया है।

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HR Breaking News : RBI :रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म-वित्त ऋणों के संबंध में अपने नए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी नियमित इकाइयों को निदेशक-मंडल की अनुमति वाली एक नीति लागू करनी चाहिए। इस नीति में सूक्ष्म-वित्त ऋणों की कीमत, कवर, ब्याज दरों की अधिकतम सीमा और सभी अन्य शुल्कों के बारे में स्पष्टता लाने की जरूरत है। सूक्ष्म-वित्त ऋण दिशानिर्देश संबंधी इस प्रारूप के मुताबिक, इन कर्जों पर ब्याज दरें एवं अन्य शुल्क बहुत ऊंचे नहीं रखे जाने चाहिए। ये शुल्क एवं दरें रिजर्व बैंक की निगरानी के दायरे में होंगी। इसके साथ ही प्रत्येक नियमित इकाई को एक संभावित कर्जदार के बारे में कीमत-संबंधी जानकारी एक मानकीकृत सरल 'फैक्टशीट' के रूप में देनी होगी। पुराने दिशानिर्देशों के तहत सूक्ष्म-वित्त संस्थान की अर्हता नहीं रखने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) अपनी कुल परिसंपत्ति के 10 फीसदी से अधिक सूक्ष्म-वित्त कर्ज नहीं दे सकती थीं, लेकिन अब इसकी अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 25 फीसद कर दिया गया है।

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पूर्व भुगतान शुल्क नहीं लगेगा (No prepayment charges)

केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि कर्जदार अगर अपने कर्ज को समय से पहले चुकाना चाहता है तो उस पर किसी तरह की जुर्माना (पूर्व भुगतान शुल्क) नहीं लगाया जाए। हालांकि, अगर किस्त के भुगतान में देरी होती है, तो सूक्ष्म-वित्त संस्थान ग्राहक पर जुर्माना लगा सकते हैं लेकिन वह भी बकाया राशि पर ही लगाया जाएगा, समूची कर्ज राशि पर नहीं। इसके अलावा कर्ज संबंधी समझौता कर्ज ले रहे व्यक्ति को समझ में आने वाली भाषा में तैयार करने का भी प्रावधान किया गया है।

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कौन होते हैं छोटे कर्जदार (who are small borrowers)

एक सूक्ष्म-वित्त ऋण का आशय तीन लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवार को दिए जाने वाले गारंटी-मुक्त कर्ज से है। इस तरह के कर्ज के लिए किसी तरह की जमानत नहीं मांगी जाती है। यह पर्सनल लोन की तरह होता है। आमतौर पर इस श्रेणी के ग्राहकों को गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां आसानी से कर्ज की पेशकश करती हैं, लेकिन ब्याज बहुत ऊंचा होता है।