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Income Tax Notice : अब टैक्सपेयर्स हो जाएं सावधान, इनकम टैक्स विभाग इस गलती पर 10 साल बाद भी ले सकता है एक्शन

Income Tax Rules : करदाताओं के लिए बड़ा अपडेट है। एक छोटी सी गलती भी आपको भारी पड़ सकती है। इनकम टैक्स विभाग (IT department rules) अब 10 साल बाद भी आपकी इस गलती पर एक्शन लेते हुए आप पर कार्रवाई कर सकता है। विभाग को ये अधिकार कानूनी रूप से भी है। इसलिए करदाता (taxpayers news) पहले ही अलर्ट रहते हुए इन नियमों को जरूर जान लें।

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Income Tax Notice : अब टैक्सपेयर्स हो जाएं सावधान, इनकम टैक्स विभाग इस गलती पर 10 साल बाद भी ले सकता है एक्शन

HR Breaking News - (income tax)। कई लोग सोचते हैं कि एक बार आयकर (ITR filing rules) की कोई गलती दब गई तो फिर कोई नहीं पूछता। आपको बता दें कि आपका यह सोचना आपको बहुत भारी पड़ सकता है। आपकी हर वित्तीय गतिविधि पर आयकर विभाग की नजर होती है। जरा सी गड़बड़ी नजर आने पर आयकर विभाग एक्शन ले लेगा और आपको जवाब देना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले ही आयकर मामलों (income tax cases) में पारदर्शिता बरतेंगे तो यही आपके लिए बेहतर होगा।

ऐसे आ सकते हैं विभाग के रडार पर-

इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) भरना करदाताओं के लिए सावधानी व सतर्क रहते हुए करने का काम है। इसमें सालाना ग्रोस इनकम को सही से दर्शाना होता है। अगर फर्जी कागजातों के सहारे टैक्स छूट ली या आय को छिपाया तो इनकम टैक्स विभाग तुरंत कार्रवाई करेगा। इतना ही नहीं पुराने मामलों में आपको इनकम टैक्स नोटिस (Tax Notice Alert) मिल सकता है। आप कभी भी विभाग के रडार पर आ सकते हैं।

3 साल बाद का क्या है नियम-


अगर आईटीआर में कोई गड़बड़ी रही है तो करदाता को तीन असेसमेंट ईयर तक कर विभाग नोटिस भेज सकता है। विभाग की ओर से टैक्स भरने के लिए कहा जा सकता है। नोटिस (Income Tax Notice) का जवाब भी आपको देना होगा। यह नियम सामान्य मामलों में है। 

10 साल बाद मामला खंगाल सकता है विभाग-

बेशक आयकर विभाग सामान्य मामलों को 3 साल बाद नहीं खंगाल सकता, लेकिन विभाग को गंभीर और 50 लाख से अधिक की आय के मामलों में 10 साल पुराने मामले खोलने का अधिकार है। यानी 10 साल पहले भरी गई इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax return) पर भी आपको नोटिस आ सकता है। 


हालांकि विभाग को इसके सबूत जुटाने होंगे कि आईटीआर में आय को छिपाया गया है यानी टैक्स चोरी की है। असेसिंग ऑफिसर को इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 148 के तहत ये अधिकार प्राप्त है कि वह आईटीआर (ITR) की री-वैल्यूएशन या मामले की रीअसेसमेंट (reassessment rules) करने के लिए किसी करदाता को नोटिस (Income Tax Notice) भेजे। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था यह फैसला-

इनकम टैक्स विभाग (income tax department) द्वारा टैक्सपेयर्स के पुराने मामले खोले जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) ने दो साल पहले अहम टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि आयकर विभाग इनकम टैक्स रीअसेसमेंट (Income Tax Reassessment) के लिए 10 साल बाद केवल ऐसे मामले खोल सकता है,

जिनमें छिपाई गई इनकम 50 लाख से ऊपर हो। यानी सामान्य मामलों में विभाग नोटिस (Tax notice) नहीं भेजेगा। इससे करदाताओं को अनावश्यक परेशानी होती है। अगर छिपाई गई इनकम 50 लाख से कम है और तीन असेसमेंट ईयर बीत चुके हों तो ऐसे मामलों को रिऑपन (ITR reopen time limit) नहीं किया जा सकता।