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IAS Success Story: जूतों की दुकान पर काम करते वक्त जारी रखी पढ़ाई, अब जाकर मिली UPSC में सफलता

UPSC की परीक्षा पास करने वाले अक्सर हमने ऐसे नाम सुने हैं जिनका जीवन संघर्ष से भरा होने के बाद भी वो अपने सपनों को पूरा करते हैं ऐसी ही एक कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। राजस्थान के जयपुर शहर के रहने वाले शुभम गुप्ता जिसने जूते चप्पल की दुकान पर काम करके UPSC में मुकाम हासिल किया जानिए क्या है संघर्ष  की कहानी।

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IAS Success Story: जूतों की दुकान पर काम करते वक्त जारी रखी पढ़ाई, अब जाकर मिली UPSC में सफलता 

HR Breaking News : ब्यूरो :  UPSC पास करना हर किसी का सपना होता है। यह सपना अमीर-गरीब, पहाड़-रेगिस्तान हर जगह का व्यक्ति देखता है। इस परीक्षा को पास करने वालों में अक्सर हमने कई ऐसे नाम सुनें होंगे जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। ऐसे ही राजस्थान की राजधानी जयपुर के रहने वाले Shubham Gupta की कहानी संघर्ष से भरी है और युवाओं को प्रेरणा देने वाली है। UPSC परीक्षा  में छठी रैंक हासिल करने वाले शुभम फिलहाल महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में कलेक्टर हैं। हम आपको आज शुभम गुप्ता की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने काफी मुश्किलों का सामना कर यूपीएससी पास किया।

Shubham Gupta का जन्म राजस्थान में हुआ था


महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी Shubham Gupta मूल रूप से Rajasthan के सीकर जिले में नीमकथाना उपखंड मुख्यालय से 5 किमी दूर स्थित गांव भुडोली के रहने वाले हैं। वह भुडोली के संतोलाल सिंघांची के पोते हैं। हालांकि कई सालों तक जयपुर के रंगोली गार्ड वैशाली में किराए पर रहने के बाद अब उनके परिवार को अपना निजी घर मिल गया है।


80 किलोमीटर दूर पढ़ने जाया करते थे


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जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में शुभम गुप्ता बताते हैं जब आठवीं कक्षा में था तब कमाई नहीं होने के कारण वे परिवार समेत महाराष्ट्र के पालघर जिले के दहाणू रोड चले गए। वहां पर पिता अनिल ने जूते चप्पल बेचने की दुकान खोली। शुभम गुजरात के वापी में स्थित श्री स्वामी नारायण गुरुकुल में महाराष्ट्र के दहानू रोड से 70 से 80 किमी दूर पढ़ाई करने जाया करते थे। शुभम का कहना है कि उनके पिता ने दहाणू रोड के साथ-साथ वापी में भी जूते की दुकान खोली थी। इसलिए मैं स्कूल से आने के बाद शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक दुकान संभालता था।


नहीं था कोई हिंदी या अंग्रेजी मीडियम का स्कूल


शुभम ने बातचीत में बताया कि गांव में एक भी हिंदी या अंग्रेजी माध्यम का स्कूल नहीं था और चूंकि मराठी स्कूलों में प्रवेश के लिए मराठी भाषा का ज्ञान अनिवार्य था और मेरे लिए मराठी में पढ़ना मुश्किल था। इसलिए पिता ने गुजरात के वापी में दाखिला लिया और यहां से 8वीं से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। शुभम ने बताया कि स्कूल घर से बहुत दूर था इसलिए वह अपनी बहन के साथ ट्रेन से स्कूल जाता था। इसके लिए उन्हें सुबह 6 बजे ट्रेन पकड़नी थी और 3 बजे के बाद ही घर वापस आ सके।

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2012 में Vapi से आ गए दिल्ली


Vapi से पढ़ाई पूरी करने के बाद शुभम गुप्ता दिल्ली चले गए। यहां पीजी में रहते हुए उन्होंने दसवीं के बाद पढ़ाई पूरी की। उन्होंने वर्ष 2012-2015 में अर्थशास्त्र में बीए और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए किया। बेटे की पढ़ाई के खर्च के लिए पिता हर महीने आठ हजार रुपये भेजते थे। शुभम में साल 2015 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की, लेकिन पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाए। वर्ष 2016 में शुभम गुप्ता ने दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू क्लियर करके 366वीं रैंक हासिल की। इसके बाद उनका चयन भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा (Indian Audit and Accounts Service) में हो गया।


2018 में मिली सफलता


सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी शुभम गुप्ता ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी जारी रखी। 2017 में फिर कोशिश की, लेकिन इस बार वह प्रीलिम्स परीक्षा पास नहीं कर पाया। साल 2018 में उन्होंने चौथी बार कोशिश की और ऑल इंडिया में 6वां रैंक हासिल किया। इसके बाद शुभम को महाराष्ट्र कैडर मिला।


वर्तमान में गढ़चिरौली में कार्यरत


शुभम गुप्ता ने बताया कि यूपीएससी टॉपर बनने के बाद महाराष्ट्र कैडर अलॉट हुआ। ट्रेनिंग के दौरान शुभम को नासिक में एडीएम, एसडीएम व तहसीलदार के रूप मे पोस्टिंग मिली। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद (जुलाई 2021) शुभम को पहली पोस्टिंग के रूप में नागपुर के एटापल्ली में एडीएम पद पर और आईटीडीपी, भामरागढ़ में परियोजना अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है।


नौकरी के दौरान कई बार राजनेताओं से तीखी बहस


जब हमने शुभम से पूछा कि कभी नेताओं से कोई बहस आदि हुई? तो शुभम बातचीत में बताते हैं कि कई लोगों को लगता है कि अधिकारी, नेताओं की कठपुतली होते हैं। ऐसा नहीं है कई बार मेरी राजनेताओं से बहस भी हो चुकी है। इसमें सिर्फ समझ की हेर-फेर होती है। ज़्यादातर राजनेता ज़मीनी समझ रखते हैं और उनके साथ मिलके काम करने से लोगों की क्षेत्रीय समस्याएं समझी जा सकती हैं।

आगे हमने पूछा कि गढ़चिरौली नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्र है, वहां आपके सामने क्या चुनौतियां हैं? शुभम ने बताया कि वर्तमान में गढ़चिरौली में कई प्रकार की समस्या होती है। स्टाफ की कमी है, फिर भी हम सब अच्छे से काम कर रहे हैं। साथ ही यहां कई दिनों तक लाइट नहीं आती, नेटवर्क भी 3G ही पकड़ता है। दिल्ली, नासिक जैसे शहरों में रहने के बाद यहां ऐसी जगह रहना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन धीरे-धीरे आप माहौल में ढल जाते हैं।