home page

IAS Success Story : पिता कहते थे लड़की को ज्यादा नहीं पढ़ाना फिर भी बन गई IAS

IAS Story : हर दिन हम लागों की सफलता के किस्से सुनते रहते हैं आइए आज हम आपको हरियाणा के छोटे से गांव में रहने वाली वंदना (Vandana) की स्टारी बताते है। जिसने UPSC को पास करके गांव में रहने वाले बच्चों के लिए मिसाल कायम की है खबर को पूरा पढ़ें।

 | 

HR Breaking News : ब्यूरो : आए दिन हम कई लोगों की सफलता की कहानियां सुनते रहते हैं लेकिन आज की कहानी कुछ खास है। यह कहानी है हरियाणा के nasrullagarh में रहने वाली वंदना की। वंदना (Vandana), एक ऐसी लड़की जिसने लोगों के सामने एक मिसाल रखी और यह साबित कर दिया कि अगर संकल्प कर लिया जाए तो कुछ भी मुमकिन है।

Vandana का जन्म 4 अप्रैल 1989 को हरियाणा के nasrullagarh गांव में हुआ था। वंदना का जन्म एक ऐसे घर में हुआ था जहां पर लड़कियों को अधिक पढ़ाने का चलन नहीं है। यहां लड़कियों की पढ़ाई तो बस नाम के लिए होती थी।

ये भी जानें :नक्सल प्रभावित जिला होने के बावजूद पास की UPSC परीक्षा, नहीं आया मनपसंद रैंक तो दोबारा एग्जाम दे बनीं IAS अधिकारी

Vandana ने ऐसे परिवार में जन्म लेकर भी (IAS) की परीक्षा में एक अहम स्थान हासिल किया। वंदना ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा  में आठवां स्थान प्राप्त किया। वंदना ने Hindi medium से पहला स्थान प्राप्त किया।

Vandana का हमेशा से बस एक ही सपना था, IASबनने का। इन्होंने कभी कोई और सपना नहीं देखा। वंदना की शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई, लेकिन वहां पर अच्छे स्कूल न होने की वजह से वंदना अक्सर पापा से कहती थी कि मुझे बाहर पढ़ने कब भेजोगे? पिता की आंखों में एक असमंजस कि लड़की को ज्यादा क्यों पढ़ाना। आखिर वो दिन आ ही गया, जब वंदना के सब्र का बांध टूट गया और उसने पिता से गुस्से में कह ही दिया, “मैं लड़की हूं, इसलिए मुझे बाहर पढ़ने नहीं भेज रहे ना?”

ये भी पढ़ें :IAS Success Story: कुली का काम करने वाला बन गया IAS, पढ़िए इनकी स्टोरी

बेटी की इस बात ने पिता को झकझोर के रख दिया और फिर उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ने के लिए घर से बाहर भेजने का फैसला किया। बेटी को पढ़ने की लिए मुरादाबाद के एक गुरुकुल में भेजा गया। बेटी ने इस गुरुकुल में पढ़ कर और यहां के कड़े नियमों का पालन करके जिंदगी की एक और सीढ़ी चढ़ ली। गुरुकुल में वंदना ने पढ़ाई को एक तपस्या की तरह किया। कड़े निमयों का पालन किया। खुद ही कपड़े धोना, कमरे की सफाई खुद करना और महीने में कुछ बार खाना बनाने में मदद करना भी इन्हीं नियमों में से थे।

यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद वंदना ने घर से ही लॉ की पढ़ाई की। कमरे में ही बंद रह कर तपस्या की तरह पढ़ाई करती रही। कभी कमरे में कूलर नहीं लगवाया ताकि कहीं ठंडक और आराम में नींद ना आ जाए। कभी 20 पढ़ना वंदना की आदत थी। कभी कोई दोस्त नहीं रहा, कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं और ना ही कोई सहेली। वंदना कभी घर से नहीं निकली और कमरे में खुद को बंद कर के बस पढ़ती रही।

Vandana को और किसी भी चीज की कोई सुध नहीं थी। यही उसकी कामयाबी का कारण बना। अगर उससे कोई गांव में किसी के घर का रास्ता भी पूछ ले, तो नहीं बता सकती थी। वंदना ने यह मुकाम बिना किसी कोचिंग और गाइडेंस के हासिल किया। न कोई पढ़ाने वाला, न समझाने वाला, फिर भी नहीं मानी हार और पूरा कर लिया अपना सपना। जिस उम्र में लड़के-लड़कियों को घूमना, फिल्में देखना और फेसबुक इस्तेमाल करना अच्छा लगता है, उस उम्र में वंदना ने आईएएस बनकर एक मिसाल कायम किया है।