Success Story : अभिजीत और मन्नू ने लाखों के पैकेज छोड़ शुरू किया खुद का बिजनेस, अब सैकड़ों को दे रहे हैं रोजगार
Entrepreneurship: अगर नई सोच है तो अपना काम करना ही बेहतर है, ये कर दिखाया है बिहार के अभिजीत और मन्नू ने। जानिए कैसे इन्होंने लाखों पैकेज छोड़ सफलता हासिल की है-
HR Breaking News (नई दिल्ली) : बिहार की युवा पीढ़ी में उच्च शिक्षा के बाद नौकरी करने की परंपरा रही है। इसी राह पर प्रोफेशनल चलते रहे हैं। ऊंचा पद, बंगला, गाड़ी और बेशुमार दौलत का ख्वाब इसे हवा देता रहा है। हालांकि, यह चट्टानी परंपरा अब दरकती दिखाई दे रही है। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद युवा अब नौकरी की तलाश करने की जगह दूसरों को नौकरी देने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। कुछ तो अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर उद्यम स्थापित कर रहे हैं, जिससे अनेकों को रोजगार मिल सके। सुखद यह कि इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है। जाहिर है एक नई जमीन तैयार हो रही है, जो रोजगार सृजन के सुनहरे भविष्य का इतिहास लिख रही है।
ये भी पढ़ें- एक ने 40 और दूसरे ने छोड़ी 25 लाख की नौकरी, अब मिली ऐसी कामयाबी, लोगों की खुल गई आंखे
25 लाख का पैकेज छोड़ बने 15 लोगों की रोजी-रोटी
अभिजीत नारायण एक निजी क्षेत्र की टेलीकाम कंपनी में डीजीएम थे। उनका पैकेज 25 लाख रुपये का था। उन्होंने नौकरी छोड़ जॉब क्रिएटर बनना पसंद किया। कहते हैं, अगर नई सोच है तो अपना काम करना ही बेहतर है। इससे अनेक लोगों को हम रोजगार दे सकते हैं। नौकरी छोडऩे का मुझे कोई अफसोस नहीं है। 15 लोगों को रोजगार मेरी फर्म ग्रीन शेल्टर से मिला है। असली उपलब्धि यही है।
ये भी जानिए- गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए छोड़ी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, उसके बाद ये किया काम
20 लाख रुपये का पैकेज ठुकराया
प्रिंस राज बीटेक हैं। उन्हें 20 लाख रुपये का पैकेज मिला था। कहते हैं, नौकरी अच्छी थी और पैकेज भी अच्छा था। हालांकि, इच्छा थी कि कोई ऐसा काम करूं, जिससे युवाओं को रोजगार दे सकूं। मैंने यही रास्ता चुना। एग्रीधन ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड नाम से संस्था को निबंधित कराया। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 120 लोगों को रोजगार दिया है। यह संख्या बढ़ाने में जुटा हूं।
सूची लंबी और सिलसिला रफ्तार में
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के इनक्यूबेटर सेंटर वेंचर-पार्क के सदस्य सचिव सुबोध कुमार कहते हैं, आइआइटी, एनआइटी, आइआइएम के छात्र बड़ी-बड़ी नौकरियां छोड़कर जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। वेंचर-पार्क में ऐसे करीब 120 युवा हैं, जो नई सोच के साथ कार्य कर रहे हैं। इन्होंने करीब छह सौ लोगों को रोजगार दिया है। मन्नू मरीन इंजीनियर हैं। 40 लाख रुपये का पैकेज छोड़ डेयरी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। डेढ़ हजार किसान इन से जुड़े हैं और अपना रोजगार बढ़ा रहे हैं। संतोष कुमार भी मरीन इंजीनियर हैं। 30 लाख रुपये का पैकेज छोड़ डेयरी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। खुद गौ पालन भी कर रहे हैं। सौ से अधिक किसान भी जुड़े हैं और रोजगार कर रहे हैं। जॉब क्रिएटर के नए चलन का सिलसिला रफ्तार पकड़ता नजर आ रहा है। रोजगार सृजन की नई तस्वीर उभरी है, जो सुखद है।