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Success Story: पिता करते थे मजदूरी, रिश्तेदारों ने दिए ताने, राजू ने नहीं मानी हार हासिल की बड़ी कुर्सी

तब इंसान कुछ करने की ठान लेता है तो उसके रास्तों में चाहे कितनी ही मुसीबतों क्यों न आए वो अपनी मंजिल को हासिल कर ही लेता है। आज हम आपको अपनी कहानी में बताने जा रहे है कि एक गरीब घर का बच्चा जिसके पिता मजदूरी कर अपने परिवार का पोलन-पोषण किया करते थे आज उन्हीं के बेटे ने हासिल की है बढ़ी कुर्सी। 
 
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HR Breaking News, Digital Desk- गरीब किसान परिवार का राजू जिनके पिता दूसरों के खेत लेकर मजदूरी करते थे आज वह यूपी के बांदा में बतौर डीएसपी तैनात है. राजू निशाद की सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरणा देती है. राजू ने पिता ने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए खेत लेकर मजदूरी की और पैसे की कमी के कारण पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आने दी. मुरादाबाद के भीमराव अंबेडकर पुलिस अकैडमी में मंगलवार को आयोजित पासिंग आउट परेड में डिप्टी एसपी (UP DSP) राजू ने सफलता की कहानी सुनाई जिसे सुनकर सब भावुक हो गएं.

उन्होंन कहा कि जिस तरह से पिता ने गरीबी के दौर में अपने मजदूरी के पल में मेहनत करके मुझे आज इस मुकाम तक पहुंचाया है.राजू के पिता किसान हैं, मां उर्मिला के अलावा छोटा भाई रामकरण और दो बहनें है. राजू की शुरुआती शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई है. पिता के लिए परिवार चलाना पिता के लिए बेहद मुश्किल हो रहा था. जरूरी खर्च पूरा करने के लिए उन्होंने अन्य लोगों की जमीन बटाई पर लेकर खेती भी की मजदूरी भी की तमाम मुश्किलों उसमें भी उन्होंने बच्चों की पढ़ाई जारी रखी.

रिश्तेदार संभालने के लिए छोटी सी नौकरी करने कहते थे-


बड़े होते-होते राजू के मन में पुलिस अफसर बनने का सपना बनने लगा था. बारहवीं कक्षा के बाद वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए करने पहुंचे कोचिंग के लिए दिल्ली या किसी और बड़े शहर जाना संभव नहीं था.घर पर रहकर ही इंटरनेट की मदद से तैयारी शुरू की और आखिरकार उन्होंने कठिन परिश्रम करते हुए सफलता प्राप्त कर ली. पुराने दिन याद करते हुए राजू बताते हैं कि रिश्तेदार तक उनसे घर संभालने के लिए अवसर का सपना छोड़कर कोई छोटी सी नौकरी की सलाह देने लगे थे.


अपना लक्ष्य ना भूलें-


इसी बीच छोटा भाई रामकरण सिपाही बन गया. जरूरी है कि अपना लक्ष्य ना भूलें. घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई करके सफलता हासिल की. पिता ने बच्चों की पढ़ाई करने के लिए दूसरों की जमीन पर मजदूरी की. पिता ने कितने कष्ट सहे और बेटे को गरीबी के चलते पढ़ाई नहीं रोकी.