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Success Story: गरीबी को बनाया ताकत, स्टोर कीपर के बेटे का परमाणु अनुसंधान केंद्र में हुआ चयन

कहते है न होनहार और मेहनती व्यक्ति को किसी भी तरह की बाधा नहीं रोक पाती है। आज हम बात कर रहे है राहुल शुक्ला की जिन्होंन गरीबी को ही अपनी ताकत बनाया है और आज उनका चयन परमाणु अनुसंधान केंद्र में हुआ है। आइए एक नजर डालते उनकी सफलता पर। 
 
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HR Breaking News, Digital Desk- कहते है न होनहार और मेहनती व्यक्ति को किसी भी तरह की बाधा नहीं रोक पाती है। ऐसे ही कुछ रीवा जिले के देवतालाब क्षेत्र स्थित मैरहा गांव में रहने वाले राहुल शुक्ला ने कर दिखाया। वह संर्घषों के बीच पढ़ाई करके भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में असिस्टेंट साइंटिस्ट ऑफिसर के पद पर चयनित हुआ है।

हासिल की 6वी रैंक-


उन्होंने बताया कि हाल ही में परिणाम घोषित हुए है। जहां भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में असिस्टेंट साइंटिस्ट ऑफिसर के पद पर न सिर्फ उसका चयन हुआ है बल्कि उसकी 6वी रैंक है। बचपन से होनहार राहुल रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की है। वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा हुआ है। उसकी इच्छा है कि वह आईएएस की परीक्षा को पास करें। इसी बीच वह भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में असिस्टेंट साइंटिस्ट ऑफिसर पद के लिए परीक्षा में शामिल हुआ और उसे सफलता मिली है।

बिना कोचिंग के कर रहे तैयारी-


राहुल ने बताया कि वह कंपटीशन परीक्षाओं के लिए कोई कोचिंग नहीं कर रहा है बल्कि नेट से जानकारी लेने के साथ ही अपने फ्रेंडों आदि से नोट्स आदि लेकर पढ़ाई में लगा हुआ है। इस परीक्षा में वह बैठा और सफलता मिली है। इसमें उसे सालाना 12 लाख रूपये के सैलरी पर रखा जाएगा।

देश भर के 187 छात्रों में से राहुल की 6वीं रैंक-

भाभा परमाणु शोध केंद्र की ओर से निकाली गई वैकेंसी के बाद राहुल ने ऑनलाइन आवेदन किया गया था। जिसके बाद 4 अप्रैल 2022 को जबलपुर में उनकी परीक्षा आयोजित हुई और इसका परिणाम आने के बाद 31 मई को उन्हे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। करीब 1 घंटे राहुल का इंटरव्यू मुम्बई में हुआ और इसके बाद गत 12 जुलाई को इसका रिजल्ट जारी किया गया। जिसमें इस केन्द्र के लिए देश भर से चुने गए 187 लोगों में राहुल कुमार शुक्ला की 6वीं रैंक है।

स्टोर कीपर हैं पिता-


राहुल कुमार शुक्ला 1 मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। उनके पिता शिवकुमार शुक्ला शहर के सिंगरौली हाऊस में पहले सिक्योरिटी गार्ड थे। इस काम के लिए उन्हे 5 हजार रूपए महीना का पगार मिलती थी। पीता की ईमानदारी को देख हाल ही में सिंगरौली हाउस के मालिक ने उन्हे स्टोर कीपर के पद पर पदस्थ कर दिया और अब उनके महीने का पगार 7 हजार रूपए हो गया है। वे अपने ग्रह ग्राम देवतालाब क्षेत्र के रहने वाले है। बड़ी परीक्षाओं के लिए पैसों की समस्या होने के बाद भी राहूल हिम्मत नही हारा और वह स्वयं तैयारी करके 1 बड़ा मुकाम हॉसिल किया है।

किया गया सम्मान-


राहूल का भाभा परमाणु केन्द्र में चयन होने से उसके परिवार के साथ ही फ्रेंडों में प्रसन्नता व्याप्त है। वार्ड के पार्षद रहे सतीष सिंह ने होनहार छात्र का सम्मान करते हुए कहा कि यह गौरव की बात है कि राहूल इस परीक्षा में सफल होने के साथ ही 6वी रैंक प्राप्त करके इस विंध्य क्षेत्र का मान बढ़ाया है।