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Success Story: युवाओं को प्रेरणा देगी अनुराग वर्मा की कहानी, हिन्दी ने जिन्हें बना दिया कलेक्टर

Success Story हिंदी दिवस के अवसर पर अनुराग वर्मा की कहानी से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। जिन्होंने सिर्फ हिंदी के दम पर क्लेक्टर के पद तक पहुंचने का काम किया। आइए जानते है सफलता की पूरी कहानी
 
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HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, साइंस सब्जेक्ट होने से बीएससी और एमएससी में जरूर विषय अंग्रेजी था लेकिन सिविल सेवा परीक्षा की पूरी तैयारी हिन्दी माध्यम से की। जब परिणाम सामने आया तो हिन्दी में मिले असाधारण अंकों की वजह से ही उनका चयन हो पाया था।


यह बात हिन्दी के महत्व को लेकर सतना के कलेक्टर अनुराग वर्मा (anurag verma ias) ने एचआर ब्रेकिंग न्यूज के साथ साझा की है। कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि कतिपय लोग भले ही अंग्रेजी के आगे हिन्दी भाषा को दोयम दर्जे का समझते हैं लेकिन ऐसा है नहीं। हिन्दी भाषा गौरव का विषय है। अपनी पूरी पढ़ाई हिन्दी भाषा में करने की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यूपीएससी मेन्स परीक्षा में हिन्दी में मिले असाधारण नंबरों ने मेंस क्लियर कराने में अहम भूमिका निभाई। आज तो हिन्दी का फैलाव तेजी से वैश्विक स्तर पर हो रहा है।


कलेक्टर वर्मा ने बताया कि उनकी स्कूली शिक्षा पूरी तरह से हिन्दी में हुई है। साइंस सब्जेक्ट होने से बीएससी और एमएससी में जरूर विषय अंग्रेजी के रहे लेकिन उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की पूरी तैयारी हिन्दी माध्यम से की। मेंस परीक्षा में भी उनका एक विषय हिन्दी साहित्य रहा। जब परिणाम आए तो हिन्दी में मिले असाधारण अंकों की वजह से दूसरे विषय में एवरेज अंक मिलने के बाद भी उनका चयन हो गया था। रही बात अब के काम काज की तो आज हर क्षेत्र में हिन्दी भाषा में ही काम काज हो रहा है। जहां नहीं भी हो रहा है वहां भी प्रयास तेजी से हिन्दी के लिये होते जा रहे हैं।


आज की स्थिति में अंग्रेजी भाषी के आगे हिन्दी भाषी को दोयम दर्जे का समझे जाने के सवाल पर कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। भाषा तो एक संवाद का सिर्फ माध्यम है। जो लोग हिन्दी को लेकर हीन भावना से ग्रस्त होते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए। असली बात तो कामकाज में कान्फीडेंस की होती है। हिन्दी का क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है। दक्षिण भारत में भी अब यह थर्ड लैग्वेज हो चुकी है। ज्यादातर दक्षिण भारतीय भी हिन्दी अच्छे से समझ लेता है और बोल लेता है।