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Success Story : पिता बेचते थे दुध, बेटी पहले बनी IPS फिर IAS, जानिए इनकी सफलता की कहानी

IAS Anuradha Pal : आज हम आपको इस लेख में एक ऐसी लड़की की सफलता की कहानी बताने वाले हैं। जिसके पिता ने दूध बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया और बेटी ने टेक महिंद्रा में काम किया। लेकिन कुछ समय बाद अनुराधा ने वहां से नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी (UPSC) की तैयारी की। और अपनी मेहनत और लगन से पहले IPS बनी और फिर IAS बनी। तो चलिए जानते हैं। आईएएस अनुराधा पाल ने कैसे सफलता (IAS Anuradha Pal ki Success Story) को हासिल किया। 
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HR Breaking News, Digital Desk - IAS Success Story : आपको बता दें कि कुछ लोगों को एक सभ्य जीवन जीने में सक्षम होने के लिए जीवन में बड़े संघर्षों का सामना करना पड़ता हैं। लेकिन वह हार नहीं मानते हैं। और अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ता से सफल होकर ही रहते हैं। और आज एक ऐसी प्रेरक सफलता की कहानी है। इस लेख हम आपको बमताने वाले हैं। दरअसल, से कहानी आईएएस अनुराधा पाल (IAS Anuradha Pal ki Success Story) की हैं। जिन्होंने अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (upsc civil services exam) में सफलता हासिल की। जानिए इनकी सफलता की पूरी कहानी...

आपको बता दें कि हरिद्वार के एक छोटे से गाँव के साधारण परिवार से आने वाली अनुराधा को बचपन में कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उनके पिता दूध बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते थे।

और अनुराधा ने अपनी स्कूली शिक्षा हरिद्वार के जवाहर नवोदय विद्यालय से की। अनुराधा फिर बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (Bachelor of Technology) में पंत विश्वविद्यालय में अपनी कॉलेज की शिक्षा हासिल करने के लिए दिल्ली चली गईं.

और इसके बाद उन्होंने टेक महिंद्रा में काम (Anuradha ne Tech Mahindra me kaam kiya) करना शुरू किया। कुछ समय वहां रहने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि यूपीएससी (UPSC) ही उनका असली जुनून है। बाद में उन्होंने रूड़की के एक कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर पढ़ाना शुरू किया और यूपीएससी (UPSC) की तैयारी भी की. वह अपनी कोचिंग की फीस भरने के लिए छात्रों को ट्यूशन भी पढ़ाती थीं।

फाइनली, उन्होंने 2012 में अपने पहले अटेंप्ट में AIR 451 के साथ परीक्षा (2012 me unhone first attempt me AIR 451 ke sath exam pass kiya) पास की, लेकिन, उनका सपना एक आईएएस (IAS) बनने का था. इसलिए उन्होंने एक और अटेंप्ट दिया, उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान छोटे टारगेट को पाने के लिए अपना टाइम टेबल तैयार किया. इसका नतीजा ये हुआ कि, उन्होंने 2015 में अपने दूसरे अटेंप्ट में 62 एआईआर के साथ यूपीएससी (UPSC) में सफलता हासिल की और आईएएस (IAS) बन गईं. वह वर्तमान में उत्तराखंड में बागेश्वर की जिलाधिकारी हैं.