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Delhi में है एशिया की सबसे बड़ी रेडिमेड मार्केट, जानें 55 साल पहले कैसे हुई शुरूआत

Delhi market : राजधानी  दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्‌डे,बड़ी-बड़ी इमारतें और भी देखने लायक बहुत सी जगहें हैं। यहां शापिंग के लिए भी कई मार्केट मौजुद है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में सबसे बड़ा रेडिमेड मार्केट भी है, जो एशिया का सबसे बड़ा रेडिमेड मार्केट ककहा जाता है। आइए खबर में जानते हैं  कि दिल्ली के इस रेडिमेड मार्केट (Readymade Market in Delhi) की शुरुआत कब हुई थी।

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Delhi में है एशिया की सबसे बड़ी रेडिमेड मार्केट, जानें 55 साल पहले कैसे हुई शुरूआत

HR Breaking News : (Delhi market) वैसे तो देश की राजधानी दिल्ली में कपड़ों के कई प्रमुख बाजार है लेकिन, बता दें कि यहां एक ऐसा बाजार भी है जो सिर्फ देश का नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा कपड़ा मार्केट कहा जाता है। दिल्ली के इस मार्केट से कपड़ें विदेश के लिए भी एक्सपोर्ट किए जाते हैं।

दिल्ली का ये मार्केट (Delhi Market) देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। माना जाता है कि इस मार्केट की शुरुआत 55 साल पहले हुई थी। आइए खबर में जानते हैं कि इस मार्केट की शुरुआत 55 साल पहले कैसे हुई थी। 

कौन सा है दिल्ली का ये मार्केट


दरअसल, हम बात कर रहे हैं गांधीनगर के होलसेल और रिटेल रेडीमेड गारमेंट्स मार्केट (Wholesale Market of Gandhinagar) की। बता दें कि इस बाजार को 55 साल हो चुके हैं।
जानकार का कहना है कि साल 1970 में गांधीनगर (Gandhinagar market) में लोगों ने अपने घरों से कपड़ों की सिलाई और कढ़ाई का के काम की शुरुआत की थी।

यहां पर घरों पर लोगों ने छोटी-छोटी सिलाई की मशीनों से काम की शुरुआत की थी और लोग घरों पर ही माल बनाते थे और सेल करते थे। वहीं, कई लोग घरों में माल बनाने वाले लोगों से माल खरीद कर पटरी पर माल लगाकर बेचते थे।

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ऐसे हुई थी दुकानों की शुरुआत


बता दें कि दिल्ली (Delhi Cloth market) में जगह-जगह पटरी बाजार में दुकान लगाकर कपड़ों को बेचा जाता था। ये पटरी बाजार आज भी लगाए जाते हैं, और धीरे-धीरे उनको काम के ऑर्डर मिलने लगे तो यह व्यापार बड़े स्तर पर होने लगा। फिर उसके बाद डिमांड बढ़ने के साथ ही लोगों ने 1985 में दुकानें बनानी शुरू की। ज्यादातर उन लोगों ने ही दुकानें खोली, जो अपने घर पर माल बनाते थे या वह लोग थे जो पटरी पर माल बेचते थे।

कैसे हुआ बाजार का विस्तार


जैसे-जैसे यहां व्यापार बड़े स्तर पर होने लगा तो वैसे ही दिल्ली के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पर खरीददारी करने के लिए आने लगे। ऐसे ये बाजार बढ़ता गया, जो मार्केट अशोक (Delhi Ashok market) गली सिर्फ  सीमित थी उसका विस्तार होने लगा।

उसके बाद सिर्फ अशोक गली ही नहीं, उसके बाद आर्य समाज, गली, जनता गली, नेहरू गली दुर्गा मंदिर वाली गली और मुखर्जी गली, बाईं ओर महावीर गली, गुरु नानक गली और दुर्गा गली इन गलियों में भी व्यापार बढ़ने लगा। 

कपड़ा एक्सपोर्ट करने के साथ लगी फैक्ट्रियां 


इस तरह से व्यापार बढ़ने के साथ ही छोटी-छोटी दुकानों से दुकान बड़ी होती चली गई और बड़ी दुकानों के बाद फिर इन दुकानों ने शोरूम का स्वरूप ले लिया। उसके बाद फिर रामनगर मार्केट में दुकानें खोली गई और इसके बाद सुभाष रोड पर और फिर मैन रोड पर भी मार्केट (Market on main road) में दुकानें बड़े स्तर पर खुलने लगी। उसके बाद जब देश के दूसरे राज्यों के साथ ही विदेशों में भी कपड़ा एक्सपोर्ट किया जाने लगा तो फिर फैक्ट्रियां भी लगनी शुरू हो गई।

कैसे हेाती है रेडिमेड कपड़ों की होती है बिक्री 


अब इस विस्तारीकरण के बाद लोग छोटी-छोटी फैक्ट्रियों और कारखानों में यहां पर रेडीमेड गारमेंट्स को तैयार करते हैं और उसके बाद होलसेल और रिटेल में रेडिमेड कपड़ों को बेचते हैं। उनका कहना है कि गांधीनगर (Gandhinagar market in delhi) में बड़ी संख्या में कई जगहों से लोग आकर बसे हैं। वैसे ज्यादातर तो लोगों ने यहां कपड़े का काम शुरू किया और फिर दूसरे लोग भी इस व्यापार में जुड़नें लगे।


एशिया और यूरोप में यहां के कपड़ों की मांग


अब इतने सालों बाद भी गांधी नगर में 15000 से भी ज्यादा छोटी और बड़ी दुकानें मौजुद हैं। इस वजह से यह एशिया का सबसे बड़ा कपड़ा बाजार कहा जाता है। मार्केट एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष का कहना है कि व्यापार बढ़ते-बढ़ते एक समय ऐसा भी आया कि जब गांधीनगर के अशोक बाजार (Ashok Market in Gandhinagar), सुभाष बाजार सहित अन्य मार्केट में तैयार किए हुए प्रोडक्ट मांग भारतवर्ष के साथ ही एशिया और यूरोप में भी बढ़ने लगी और यहां से माल एक्सपोर्ट होने लगा।

यूरोप में यहां के कपड़ों की भारी मांग


अब बढ़ती डिमांड के चलते यूरोप के देशों में भी गांधीनगर से भेजे हुए कपड़े डिमांड (Demand for Gandhinagar's clothes) में बने रहते हैं। यहां सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में पहनने वाले कपड़ों की मांग बनी रहती है। यहां हर तरह के कपड़े बनते हैं।

यहां फैंसी, डिजाइनर, फॉर्मल से लेकर के हर तरह की कढ़ाई के कपड़े तैयार किए जाते हैं। जैसे- जींस टी-शर्ट, शर्ट, छोटे बच्चों के कपड़े सब यहां तैयार होते हैं। उनका कहना है कि यहां पर हर रोज 50 करोड रुपए से भी ज्यादा की सेल होलसेल और रिटेल में होती है।

अशोक बाजार है दिल्ली का पुराना मार्केट 


गांधीनगर मार्केट एसोसिएशन के प्रधान का कहना है कि वैसे तो गांधी नगर का बाजार तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। इसका पहला हिस्सा अशोक बाजार में हैं, जिसको अशोक गली भी कहते हैं। ये सबसे पुराना और सबसे बड़ा रेडीमेड कपड़ा मार्केट कहा जाता है। उसके बाद रामनगर का रेडीमेड मार्केट (Readymade Market of Ramnagar) का नाम आता है। उसके बाद तीसरे नंबर पर सुभाष रोड का बाजार है। अब इन तीनों ही मार्केट का विस्तार होता जा रहा है।

दिल्ली सरकार को मिलता है बड़ा रेवेन्यू 


गांधीनगर कपड़ा मार्केट (Gandhinagar Textile Market) से दिल्ली सरकार को भी बहुत बड़ा रेवेन्यू मिलता है और साथ ही गांधीनगर के कपड़ा मार्केट से सरकार को अच्छा जीएसटी कलेक्शन मिलता है। इस मार्केट में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा व्यापारी बिल के साथ पक्का लेनदेन करते हैं।

लेकिन सोचने की बात यह है कि सरकार को इतना रेवेन्यू देने के बाद भी दिल्ली सरकार (Delhi government) और नगर निगम की ओर से यहां विकास कार्यों को लेकर पिछले 10-12 सालों से आनाकानी की जा रही है। निगम की तरफ से भी यहां कामकाज पर गौर नहीं किया गया है। अब जेसे ही सरकार बदली है तो सरकार बदलने के साथ ही विकास कार्य की शुरुआत हुई है। उम्मीद की जा रही है कि धीरे-धीरे यहां की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।