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Russian Ukraine Conflict आखिर है क्या? अमेरिका का इसे हवा देने का कारण और भारत का क्या है Role

Russian Ukraine Conflict : Russian Ukraine Conflict खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. यूक्रेन (Ukraine) की सीमाओं पर 1,25,000 रूसी सेना के जवान खड़े हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि नाटो (NATO) देशों और रूसी सेना के बीच कभी भी युद्ध शुरू हो सकता है. लेकिन बहुते से लोगों में अभी भी ये जानना चाहते हैं कि Russian Ukraine Conflict आखिर है क्या?

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Russian Ukraine Conflict आखिर है क्या? अमेरिका का इसे हवा देने का कारण और भारत का क्या है Role
Russian Ukraine Conflict पैदा किस प्रकार हुआ और Russian Ukraine Conflict इस कदर कैसे बढ़ गया कि नौबत युद्ध तक आ गई है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं Russian Ukraine Conflict के बारे में…

Russian Ukraine Conflict है क्या :

Russian Ukraine Conflict यह है कि यूक्रेन (UKRAINE) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो (NATO) का सदस्य देश बनना चाहता है और रूस (RUSSIA)  इसका विरोध कर रहा है. नाटो (NATO) अमेरिका (America) और पश्चिमी देशों के बीच एक सैन्य गठबंधन है, इसलिए रूस (RUSSIA)  नहीं चाहता कि उसका पड़ोसी देश नाटो (NATO) का मित्र बने.

 

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नाटो (NATO) देशों पर ठने इस  Russian Ukraine Conflict ने एक नई युद्ध की संभावना को जन्म दिया है जिसमें एक से ज्यादा देश भाग ले सकते हैं. रूस (RUSSIA)  ने यूक्रेन (UKRAINE)  से लगी 450 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने 1,25,000 सैनिकों को तैनात किया है. इन जवानों को यूक्रेन (UKRAINE) की पूर्वी और उत्तर-पूर्वी सीमा पर तैनात किया गया है.

रूस (RUSSIA)  (Russia) ने काला सागर में अपने युद्धपोत भी तैनात किए हैं जो खतरनाक मिसाइलों से लैस हैं. 2014 में रूस (RUSSIA)  ने यूक्रेन (UKRAINE)  में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह क्षेत्र क्रीमिया (Crimea) पर कब्जा कर लिया था और तब से संघर्ष कभी खत्म ही नहीं हुआ है.

Russian Ukraine Conflict के चलते रूस (RUSSIA)  ने यूक्रेन (UKRAINE)  की सीमा पर ड्रोन भी तैनात किए हैं, जो पलक झपकते ही किसी भी सैन्य अड्डे को तबाह कर सकते हैं. रूस (RUSSIA)  ने यूक्रेन (UKRAINE)  को चारों तरफ से घेर लिया है. रूस (RUSSIA) -यूक्रेन (UKRAINE)  संघर्ष ने दुनिया को दो गुटों में बांट दिया है. एक तरफ रूस (RUSSIA)  है, जिसे चीन जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है और दूसरी तरफ यूक्रेन (UKRAINE)  है, जिसे अमेरिका (America), ब्रिटेन और अन्य नाटो देशों से समर्थन मिल रहा है.

Reason Behind Russian Ukraine Conflict : रूस (RUSSIA)  (Russia) क्यों नहीं चाहता कि यूक्रेन (UKRAINE)  नाटो देशों में शामिल हो?

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नाटो एक सैन्य समूह है जिसमें अमेरिका (America), कनाडा (Caneda), ब्रिटेन (Britain) और फ्रांस (France) जैसे 30 देश शामिल हैं. अब रूस (RUSSIA)  के सामने चुनौती यह है कि उसके कुछ पड़ोसी देश पहले ही नाटो में शामिल हो चुके हैं. इनमें एस्टोनिया और लातविया जैसे देश हैं, जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे. अब अगर यूक्रेन (UKRAINE)  भी नाटो का हिस्सा बन गया तो रूस (RUSSIA)  हर तरफ से अपने दुश्मन देशों से घिर जाएगा और अमेरिका जैसे देश उस पर हावी हो जाएंगे. अगर यूक्रेन (UKRAINE)  नाटो का सदस्य बन जाता है और रूस (RUSSIA)  भविष्य में उस पर हमला करता है तो समझौते के तहत इस समूह के सभी 30 देश इसे अपने खिलाफ हमला मानेंगे और यूक्रेन (UKRAINE)  की सैन्य सहायता भी करेंगे.

रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन ने एक बार कहा था कि 'यूक्रेन (UKRAINE)  को खोना रूस (RUSSIA)  के लिए एक शरीर से अपना सिर काट देने जैसा होगा.'  यही वजह है कि रूस (RUSSIA)  नाटो में यूक्रेन (UKRAINE)  के प्रवेश का विरोध कर रहा है. यूक्रेन (UKRAINE)  रूस (RUSSIA)  की पश्चिमी सीमा पर स्थित है. जब 1939 से 1945 तक चले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस (RUSSIA)  पर हमला किया गया तो यूक्रेन (UKRAINE)  एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जहां से रूस (RUSSIA)  ने अपनी सीमा की रक्षा की थी. अब अगर यूक्रेन (UKRAINE)  नाटो देशों के साथ चला गया तो रूस (RUSSIA)  की राजधानी मास्को, पश्चिम से सिर्फ 640 किलोमीटर दूर होगी. फिलहाल यह दूरी करीब 1600 किलोमीटर है.

Russian Ukraine Conflict Origin : यूक्रेन (UKRAINE)  नाटो में क्यों शामिल होना चाहता है?

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यूक्रेन (UKRAINE)  के नाटो देश में शामिल होने की वजह 100 साल पुरानी है, जब अलग देश का अस्तित्व भी नहीं था. 1917 से पहले रूस (RUSSIA)  और यूक्रेन (UKRAINE)  रूसी साम्राज्य का हिस्सा थे. 1917 में रूसी क्रांति के बाद, यह साम्राज्य बिखर गया और यूक्रेन (UKRAINE)  ने खुद को एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया. हालांकि यूक्रेन (UKRAINE)  मुश्किल से तीन साल तक स्वतंत्र रहा और 1920 में यह सोवियत संघ में शामिल हो गया. यूक्रेन (UKRAINE)  के लोग हमेशा से खुद को स्वतंत्र देश मानते रहे.

1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो यूक्रेन (UKRAINE)  सहित 15 नए देशों का गठन हुआ. सही मायनों में यूक्रेन (UKRAINE)  को साल 1991 में आजादी मिली. हालांकि, यूक्रेन (UKRAINE)  शुरू से ही समझता है कि वह रूस (RUSSIA)  से कभी भी अपने दम पर मुकाबला नहीं कर सकता और इसलिए वह एक ऐसे सैन्य संगठन में शामिल होना चाहता है जो उसकी आजादी को महफूज रख सके. नाटो से बेहतर संगठन कोई और नहीं है जो यूक्रेन (UKRAINE)  की रक्षा कर सके.

यूक्रेन (UKRAINE)  के पास न तो रूस (RUSSIA)  जैसी बड़ी सेना है और न ही आधुनिक हथियार. यूक्रेन (UKRAINE)  में 1.1 मिलियन सैनिक हैं जबकि रूस (RUSSIA)  के पास 2.9 मिलियन सैनिक हैं. यूक्रेन (UKRAINE)  के पास 98 लड़ाकू विमान हैं, रूस (RUSSIA)  के पास करीब 1500 लड़ाकू विमान हैं. रूस (RUSSIA)  के पास यूक्रेन (UKRAINE)  की तुलना में अधिक हमलावर हेलीकॉप्टर, टैंक और बख्तरबंद वाहन भी हैं.

Real Vilene of Russian Ukraine Conflict is America:  विवाद का असली विलेन है अमेरिका!

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(Russian Ukraine Conflict में अमेरिका की अहम भूमिका है. अमेरिका ने अपने 3000 सैनिकों को यूक्रेन (UKRAINE)  की मदद के लिए भेजा है और उनकी तरफ से यह आश्वासन दिया गया है कि वे यूक्रेन (UKRAINE)  की मदद के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. सच्चाई यह है कि मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, यूक्रेन (UKRAINE)  का इस्तेमाल सिर्फ अपनी छवि मजबूत करने के लिए कर रहे हैं. पिछले साल अमेरिका को अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी थी. इसके अलावा ईरान में अमेरिका कुछ हासिल नहीं कर पाया और तमाम प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल परीक्षण भी कर रहा है. इन घटनाओं ने अमेरिका की सुपर पॉवर इमेज को नुकसान पहुंचाया है. यही वजह है कि जो बाइडेन Russian Ukraine Conflict के साथ इसकी भरपाई करना चाहते हैं.

अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने भी यूक्रेन (UKRAINE)  का समर्थन किया है. इन देशों का समर्थन कब तक चलेगा यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि यूरोपीय देश अपनी गैस की एक तिहाई जरूरत के लिए रूस (RUSSIA)  पर निर्भर हैं. अब अगर रूस (RUSSIA)  इस गैस की आपूर्ति बंद कर देता है तो इन देशों में भयानक पॉवर क्राइसिस होगा.

Russian Ukraine Conflict में किसके साथ खड़ा है भारत?

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Russian Ukraine Conflict  में भारत की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है. रूस (RUSSIA)  और अमेरिका दोनों भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं. भारत अभी भी अपने 55 फीसदी हथियार रूस (RUSSIA)  से खरीदता है जबकि अमेरिका के साथ भारत के संबंध पिछले 10 वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं. जिस देश में यूक्रेन (UKRAINE)  ने सबसे पहले फरवरी 1993 में एशिया में अपना दूतावास खोला वह भारत था. तब से भारत और यूक्रेन (UKRAINE)  के बीच व्यापारिक, रणनीतिक और राजनयिक संबंध मजबूत हुए हैं. यानी भारत इनमें से किसी भी देश को परेशान करने का जोखिम नहीं उठा सकता.

रूस (RUSSIA)  ने अब तक भारत-चीन सीमा विवाद पर तटस्थ रुख अपनाया है. अगर भारत यूक्रेन (UKRAINE)  का समर्थन करता है तो वह कूटनीतिक रूप से रूस (RUSSIA)  को चीन के पक्ष में ले जाएगा. शायद यही कारण है कि हाल ही में जब अमेरिका सहित 10 देश संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन (UKRAINE)  पर एक प्रस्ताव लेकर आए भारत ने किसी के पक्ष में मतदान नहीं किया. भारत के लिए चिंता की बात यह भी है कि इस समय यूक्रेन (UKRAINE)  में करीब 20,000 भारतीय फंसे हुए हैं जिनमें से 18 हजार मेडिकल के छात्र हैं.

Russian Ukraine Conflict को समझना बहुत मुश्किल है. यूक्रेन (UKRAINE)  के लोग स्वतंत्र रहना चाहते हैं, लेकिन पूर्वी यूक्रेन (UKRAINE)  के लोगों की मांग है कि यूक्रेन (UKRAINE)  को रूस (RUSSIA)  के प्रति वफादार रहना चाहिए. यूक्रेन (UKRAINE)  की राजनीति में नेता दो गुटों में बंटे हुए हैं. एक दल खुले तौर पर रूस (RUSSIA)  का समर्थन करता है और दूसरा दल पश्चिमी देशों का समर्थन करता है. यही वजह है कि आज यूक्रेन (UKRAINE)  दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच फंसा हुआ है.

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