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नंदी के दूध पीने की अफवाह हरियाणा में पहुंची, मंदिरों में लगी भक्तों की भीड़

लोगों ने इसका वीडियो बनाया, फोटो लिए और सोशल मीडिया पर वायरल की दिया। असर ये हुआ कि हरियाणा के कई मंदिरों में श्रद्धालु नंदी की प्रतिमा का दूध पिलाने उमड़ पड़े।
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HR Breaking News, हिसार, दो दिन पहले मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ से शुरू हुई नंदी की प्रतिमा द्वारा दूध पीने की अफवाह अब रोहतक भी पहुंच गई। देखते ही देखते मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई। श्रद्धालु दूध लेकर मंदिर पहुंचने लगे। सभी नंदी की प्रतिमा को दूध भी पिलाने लगे। यही नहीं दूध से भरी चम्मच नंदी की प्रतिमा के मुंह पर लगाई गई तो चम्मच खाली हो गई। लोगों ने इसका वीडियो बनाया, फोटो लिए और सोशल मीडिया पर वायरल की दिया। असर ये हुआ कि हरियाणा के कई मंदिरों में श्रद्धालु नंदी की प्रतिमा का दूध पिलाने उमड़ पड़े।

 

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ऐसा ही मामला कई साल पहले भी सामने आया था, जिसमें दावा किया गया था कि मंदिर में गणेश भगवान की प्रतिमा दध पी रही है। उस समय भी लोगों ने गणेश की प्रतिमा द्वारा दूध पीने का दावा किया था। श्रद्धा अलग चीज है होनी भी चाहिए।


मूर्ति द्वारा दूध पीने के पीछे का वैज्ञानिक कारण भी जानना जरूरी है। तर्कशील तरीके से ऐसी अफवाहों का कई बार पर्दाफाश कर चुके अविनाश बताते हैं कि किसी प्रतिमा द्वारा दूध पीने के पीछे बाइनरी थ्योरम लागू होता है। पृष्ठ तनाव के कारण संगमरमर या पत्थर की मूर्तियों या फिर फर्श या दीवार के भीतर पतली दरार पड़ जाती हैं, जिससे कभी-कभी दूध या पानी भीतर जाता है। मूर्ति दूध पीती नहीं है।

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जगह मिलते ही वहां किसी न किसी हिस्सा से बाहर निकलने लगता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी बंद किए नल की टोंटी से टपकती बूंद को स्पर्श किया जाए तो वह सरक कर हाथ में आ जाती है। इसी प्रकार जब दूध से भरे चम्मच को किसी बाहर की ओर निकली आकृति वाली मूर्ति से स्पर्श किया जाता है तो दूध का पृष्ठ तनाव द्रव्य को ऊपर की ओर चम्मच से बाहर खींचता है। खिंचने के बाद गुरुत्वाकर्षण के कारण यह दूध मूर्ति से नीचे की ओर सरक जाता है।