Agriculture News : सरसों की फसल में रतुआ रोग का अंदेशा, ऐसे करें अपनी फसल बचाव
Agriculture News : सरसों की फसल खेतों में लहलाती दिख रही है। किसानों की मेहनत का फल आने में अभी समय है। खेत सरसों के फुलों की महक रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर सरसों में रतुआ रोग का खतरा भी सता रहा है। किसानों को अपनी फसल को इससे बचाना जरूरी है। आइए जानते हैं, इसकी रोकथाम के बारे में-
HR Breaking News (Mustered Farming) सरसों की खेती कर रहे किसानों को इन दिनों सफेद रतुआ रोग की चिंता सता रही है। कुछ जगह फसलों में सफेद रतुआ घर कर चुका है। इस बीमारी से अपनी फसलों को बचाना जरूरी है। कृषि विभाग की ओर से किसानों के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है। एक्सपर्ट्स ने भी रोकथाम के तरीके बताए हैं।
तापमान में आ रही गिरावट
सर्दी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। फसलों का ध्यान रखना जरूरी हो गया है। लगातार तापमान गिरने के कारण ही सरसों में सफेद रतुआ का खतरा (White rust mustard crop) बन रहा है। इसी से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स की ओर से किसानों को सलाह दी जा रही है। पाला, कोहरा, तापमान में गिरावट सफेद रतुआ का कारण बन रहा है। सफेद रतुआ को इंग्लिस में व्हाइट रस्ट के नाम से जाना जाता है।
क्या है सफेद रतुआ की पहचान
सफेद रतुआ सरसों की फसल में (White rust in mustard crop) होता है। इसका कारण लगातार बढ़ रहा कोहरा है। इस रोग की शुरुआत सरसों के पत्तों के निचे के हिस्से से होती है। यहां पर सफेद धब्बे होने शुरू हो जाते हैं। यहां पर सफेद पाउडरनुमा चुरा सा बन जाता है। इसके बाद यह आगे बढ़ता है और तने तक पहुंच जाता है। तने से यह सरसों की फलियों तक चला जाता है। इससे सरसों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ज्यादा फैलने पर होती है यह स्थिति
सफेद रतुआ (White rust in Farm) फैलने से सरसों पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब सफेद रतुआ (White rust in mustered Field) ज्यादा फैलता है तो फसल टेढ़ी मेढ़ी होनी शुरू हो जाती है। इसका आकार भी बदलने लगता है। एक समय पर तो सरसों की फली बनने में भी दिक्कत आती है और यह आगे बढ़नी बंद हो जाती हैं। इससे सरसों के प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है। ऐसे में पौधे की फली बननी बंद हो जाती है।
कैसे बचाएं अपनी फसल को
सफेद रतुआ (White rust) से अपनी सरसों को बचाने के लिए किसानों को कुछ कदम उठाने होंगे। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट डॉ. दीपक सिंह (Agriculture expert Dr. Deepak Singh) ने बताया कि इस रोग से फसल को बचाने के लिए कुछ दवा का छिड़काव करना होगा। इसमें मेटालैक्सिल एम 8% और मैन्कोजेब 64% डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिए। आपको एक बार अपनी फसल को एग्रीकल्चर डॉक्टर को भी दिखाना चाहिए। यह रोग एल्बुगो कैंडिडा नामक फफूंद की वजह से होता है। यह एक ऊमाइसीट है। कोहरे के कारण यह होता है। सफेद रतुआ को सफेद रोली के नाम से भी जाना जाता है।
