home page

edible oil price : खाने के तेल में कितनी मंदी कितनी तेजी, चेक कर लें लेटेस्ट प्राइस

edible oil price update :आज देशभर में खाने में कई प्रकार के खाद्य तेलों (Edible Oil update price) का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ समय से इनके दामों में उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर खाने के तेल में तेजी को देखकर लोग परेशान हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ शहरों में इनके दामों में मंदी देख लोगों को राहत मिल रही है। आइए जानते हैं खाद्य तेलों के लेटेस्ट प्राइस।

 | 
edible oil price : खाने के तेल में कितनी मंदी कितनी तेजी, चेक कर लें लेटेस्ट प्राइस 

HR Breaking News - (edible oil new price)। खाद्य तेलों के दामों में आए उतार-चढ़ाव से लोगों का बजट भी काफी हद तक प्रभावित होने लगा है। अभी तक देशभर के बाजारों में कई जगह खाद्य तेलों में स्थिरता देखी जा रही थी लेकिन अब इनके भावों में भारी उथल-पुथल चल रही है। ऐसे में  खाद्य तेलों के भाव (Edible Oil ka taja bhav) में कई जगह पर तेजी तो कहीं मंदी आई है। सर्दी के मौसम में इनकी मांग बढ़ने को रेट में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। वहीं, खाद्य तेलों के दामों में उतार चढ़ाव आने के कई और कारण भी हैं।

 

ये भी पढ़ें -  8th Pay Commission pension : केंद्रीय कर्मचारियों के आठवें वेतन और पेंशन पर आया बड़ा अपडेट, 1 जनवरी से लागू

खाद्य तेलों में उतार चढ़ाव का कारण

 

सर्दियों में पारा गिरने का असर खाद्य तेलों के रेट पर भी पड़ा है। इनकी बढ़ती मांग के कारण सरसों व सरसों तेल के रेट (sarso ke tel ka price) में कई जगह इजाफा देखने को मिल रहा है। सरसों पक्की व कच्ची घानी तेल (refined and crude mustard oil) में हल्की बढ़त दिखाई दी है, जो 5-7 रुपये प्रति क्विंटल रही है। वहीं, मूंगफली, बिनौला, सोयाबीन सहित देशी तिलहन तेलों के भाव में भी उतार चढ़ाव दर्ज किया गया है।

विदेशों में खाद्य तेलों (Edible Oil rate today) के दाम कम होने का प्रभाव अब भारत में खाद्य तेलों पर पड़ा है। तेल-तिलहनों के दाम घरेलू स्तर पर भी कम हुए हैं। एक सप्ताह से खासतौर से यह गिरावट देखी जा रही है। हालांकि मांग व आपूर्ति के अनुसार सरसों तेल और सरसों दादरी तेल के दामों में स्थिरता (refined and crude mustard oil price) बरकरार रही है।

 

 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिरे खाद्य तेलों के भाव-

 


बाजार भाव के जानकारों व विशेषज्ञों के अनुसार विदेशों में जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में खाद्य तेलों में भारी गिरावट आई है। उसकी तुलना में देखा जाए तो यहां के तेल बाजार पर कम ही असर हुआ है। खासकर सरसों तेल पर असर न के बराबर देखा जा रहा है। सरसों की हर दिन की खपत ही चार लाख बोरियों तक की बनी हुई है, जिसे देखकर कहा जा सकता है कि सरसों तेल की मांग बरकरार है। फिलहाल हाफेड और नाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं द्वारा सरसों की बिक्री की जा रही है, जिससे बाजार की मांग पूरी हो रही है। 

 

सरसों तेल का थोक भाव

दिसंबर में सरसों का थोक भाव (sarso price today) इसके एमएसपी 5650 रुपये प्रति क्विंटल से करीब 1000 रुपये ऊपर चल रहा है।  इस समय सरसों का रेट अधिकतर जगह 6,510 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 6,560 रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं खाद्य तेल की बात करें तो सरसों दादरी तेल का थोक भाव 13,530 रुपये (sarso oil price today)प्रति क्विंटल पर रुका हुआ नजर आ रहा है। सरसों पक्की घानी का तेल अपने न्यूनतम रेट 2,267 रुपये प्रति टिन पर है तो इसका अधिकतम भाव 2,366 रुपये प्रति टिन (15 किलोग्राम) चल रहा है। वहीं कच्ची घानी का तेल का अधिकतम रेट 2,392 रुपये प्रति टिन है।

यह एक सप्ताह पहले तक प्रति क्विंटल के हिसाब से 5-7 रुपये कम था। निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि सरसों दाने (Musturd oil ka taja bhav)और सरसों दादरी तेल के दाम में एक सप्ताह में खास बदलाव नहीं हुआ। यहां पर एक सप्ताह की तुलना इसलिए की जा रही है क्योंकि विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव औंधे मुंह गिरे हैं।  और ये पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर बने रहे। 

 
मूंगफली के भाव का हाल - 

मूंगफली की मांग इस समय कमजोर है, जिसका मुख्य कारण निर्यात में कमी और बिनौला तथा सोयाबीन के दाम में गिरावट है। मूंगफली तेल(Groundnut oil price) और तिलहन की अधिकांश खपत गुजरात में होती है, लेकिन मांग में कमी आने से इनकी कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली है। पिछले सप्ताह की तुलना में मूंगफली तिलहन (moongfali tel ka bhav) की कीमत में 150 रुपये की कमी आई और यह 5,828 रुपये से लेकर 6,156 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं, मूंगफली तेल की कीमत में भी गिरावट रही और गुजरात में यह 400 रुपये घटकर 14,054 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल की कीमत भी 50 रुपये घटकर 2,154 रुपये प्रति टिन से लेकर 2,432 रुपये प्रति टिन पर बंद हुई।

 


बिनौला, पॉम ऑयल के दामों में दिखी गिरावट -

पिछले सप्ताह के मुकाबले कच्चे पाम तेल CPO यानी (Cruid palm oil) की कीमत में गिरावट आई है। पहले इसका दाम 1,273-1,277 डॉलर प्रति टन था, जो अब घटकर 1,184-1,187 डॉलर प्रति टन हो गया है। हालांकि, सीपीओ की कीमत अभी भी सोयाबीन तेल से करीब 10 रुपये किलो ज्यादा है, जिससे इसे आसानी से बेचना मुश्किल हो रहा है। विदेशों में खाद्य तेलों(edible oil market price) की कीमतों में गिरावट का असर अब भारतीय तेलों पर भी दिखने लगा है। विशेषकर सोयाबीन की कीमतों में गिरावट आने से बिनौला तेल के दाम भी घटे हैं। बिनौला से केवल 10-12 प्रतिशत तेल ही निकलता है, जबकि बाकी हिस्सा खल होता है।

इन बाजारों में गिरे पाम तेल के भाव-

विदेशों में तो एक दिसंबर के अंतिम सप्ताह में खाद्य तेलों के भाव काफी मंदे हुए हैं। अगर मलेशिया की बात करें तो यहां पर पाम तेल के दामों में कमी के कारण कच्चे पाम तेल (Cruid palm oil) की कीमत में भी 600 रुपये की गिरावट आई और यह 12,557 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन तेल(Palmolein oil price) के दाम में भी गिरावट रही, दिल्ली में पामोलीन (Palmolein tel ka bhav) का भाव 600 रुपये घटकर 13,810 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जबकि कांडला एक्स पामोलीन का भाव 650 रुपये घटकर 12,755 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इस गिरावट के रुझान के बीच, बिनौला तेल भी 550 रुपये की कमी के साथ 11,610 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकता रहा।

 


बिनौला-खल के रेट भी गिरे-

ये भी पढ़ें - लोन की EMI नहीं चुकाने वालों के लिए बड़ी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

बिनौला खल के दामों में गिरावट (binola khal ka bhav) लाकर वायदा कारोबारियों ने कपास (kapas ka daam) नरमा की कीमत को भी प्रभावित किया है। जिससे नरमा का बाजार कमजोर हो गया। पहले खासकर कपास उत्पादक राज्यों में इसके दाम अच्छे खासे थे लेकिन यहां भी कपास के रेट (kapas ke taja rate) कम हुए। इस कारण बिनौला खल के रेट गिरावट पर ही चल रहे हैं। पहले, इन कपास उत्पादक राज्यों हरियाणा व पंजाब में कपास नरमा (narma ka bhaav) का दाम 8,008-8,206 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन वायदा कारोबार के चलते अब इसकी कीमत घटकर 6,806-7,010 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य तेल और तिलहनों के वायदा कारोबार (Forward trading) पर सरकार को  स्थायी प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है ताकि किसानों दुबारा ऐसे नुकसान से बचाया जा सके।

 


सोयाबीन के रेट भी नहीं उठ पाए ऊपर -

हाल ही में, जब विदेशों में खाद्य तेलों की कीमतें गिर रही थीं, तो भारत में सोयाबीन तेल (soyabean oil ka price) और तिलहन की कीमतों में भी गिरावट आई है। पिछले सप्ताह सोयाबीन के दानों और लूज की कीमतों में 50 रुपये(soyabean oil new price) की गिरावट आई, और अब ये 4,177- 4,226 रुपये प्रति क्विंटल तथा 3,876-3,978 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिक रहे हैं। इसी तरह, सोयाबीन के विभिन्न स्थानों पर भाव भी कम हुए हैं, जैसे दिल्ली, इंदौर और डीगम में कीमतें 500-550 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई हैं और अब यह क्रमश: 12,956 रुपये, 12,710 रुपये और 8,955 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहे हैं।

विदेशी बाजार पर निर्भरता के कारण बनी है समस्या-

किसान यह बात जानते हैं कि उनकी पूरी फसल को खरीद पाना मुश्किल है लेकिन फिर भी सरकार सोयाबीन (soyabean tel ka daam) की खरीददारी कर रही है। इस स्थिति में यह माना जा रहा है कि इस खरीद से एक तात्कालिक समाधान हो सकता है, लेकिन इसका स्थायी असर नहीं होगा। जब तक विदेशी बाजार पर निर्भरता रहेगी तब तक इस समस्या का हल हो पाना असंभव है। अगर इस समस्या का स्थायी हल चाहिए तो देशी तेल और तिलहन उद्योग का विकास करना बेहद जरूरी है।