Vertical Farming : किसानों के लिए बेहद लाभकारी है Vertical Farming, इस फार्मिंग पर किसानों को मिलता है अनुदान
HR Breaking News. हिसार। Vertical Farming को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न विधियों हेतू किसानों को अनुदान प्रदान कर रही है। बागवानी विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भविष्य में पानी की कमी तथा घटती जोत के मद्देनजर किसानों के लिए वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) लाभकारी सौदा साबित हो सकती है। सब्जियों की काश्त में तो वर्टिकल खेती बेहद लाभकारी है।
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प्रवक्ता ने बताया कि यह खेती बांस-तार के साथ अधिकतर बेल वाली सब्जियों के उत्पादन के लिए की जाती है। इस विधि को अपनाकर किसान बेल वाली सब्जी जैसे लौकी, तोरी, करेला, खीरा, खरबूजा, तरबूज व टमाटर आदि का उत्पादन करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है। आमतौर पर बेल वाली सब्जी सीधी भूमि पर लगाने से उत्पादन कम होता है। इस विधि में बीमारी एवं कीट आदि लगने से उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है।
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वर्टीकल फार्मिंग (Vertical Farming) में किसान को एक एकड़ में 60 एमएम आकार के 560 बांस 4 गुणा 2 मीटर क्षेत्र में लगाने होते हैं, जिसमें बांस की ऊंचाई लगभग 8 फीट होनी चाहिए। सभी बांसों को 3 एमएम के तीन तारों की लेयर से बांधना होता है। इसके साथ-साथ जूट अथवा प्लास्टिक की सुतली फसल की स्पोर्ट के लिए लगाई जाती है। इस विधि पर किसान का लगभग 60 हजार रुपए का खर्च आता है, जिस पर 31 हजार 200 रुपए प्रति एकड़ किसान को अनुदान प्रदान किया जाता है।
बांस-तार के अतिरिक्त आयरन स्टाकिंग विधि भी एक अन्य प्रचलित विधि है, जिसमें बांस-तार की जगह लोहे की एंगल लगाकर ढांचा बनाया जाता है और इस पर बेल वाली सब्जियां लगाई जाती हैं। इस विधि पर प्रति एकड़ लगभग 1 लाख 42 हजार रुपए खर्च आता है, जिस पर बागवानी विभाग 70 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान किसानों को देता है।