Haryana Mosam Update हरियाणा मे पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता घटेगी, तापमान पर भी होगा असर

Haryana Weather Update हरियाणा में मौसम के बदलाव का असर दिखाना शुरू हो गया है। जिसके कारण दिन और रात की तापमान में अंतर आने लगा है। हरियाणा में पश्चिमी विक्षोभ का असर भी कम होने लगा है। क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ ऊपरी अक्षांशों पर उत्तर की ओर बढ़ना शुरू कर देता है।
 
 

HR Breaking News,  करनाल में मौसम विभाग का मानना है कि अब पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता ओर आवृति दोनों ही घटेंगी। जिस कारण तापमान में लगातार वृद्धि देखने को मिलेगी। पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान हैं जो भूमध्य सागर से उत्पन्न होते हैं और पूर्व दिशा में पश्चिमी हिमालय की ओर बढ़ते हैं।

 

 

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वे आमतौर पर पश्चिमी हिमालय के क्षेत्रों में सर्दियों की बारिश और बर्फबारी और भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में सर्दियों की बरसात देते हैं। चूंकि ये पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते हैं इसलिए इन्हें पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है। इन तूफानों को नमी आमतौर पर भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर और काले सागर से मिलती है। इस समय मौसम की जो परिस्थितियां हैं उसके अनुसार तापमान में बढ़ोतरी जरूर देखने को मिल सकती है, इस समय दिन का तापमान 28.0 डिग्री सेल्सियस को पार गया है।

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अक्टूबर से मार्च तक रहता है पश्चिमी विक्षोभों का प्रभाव 

इनका प्रभाव अक्टूबर के महीने से शुरू होता है और पश्चिमी हिमालय पर मार्च तक जारी रहता है। चरम तीव्रता दिसंबर और जनवरी के दौरान होती है जब पश्चिमी हिमालय के पहाड़ी राज्यों में भारी हिमपात होता है जिससे भूस्खलन, भूस्खलन और हिमस्खलन होता है। मार्च के उत्तरार्ध में जैसे ही सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ना शुरू करता है।

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पश्चिमी विक्षोभ भी ऊपरी अक्षांशों पर उत्तर की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। अब हम मार्च के मध्य में आ रहे हैं इसलिए पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता और आवृत्ति कम होने लगेगी। पश्चिमी हिमालय में मध्यम से भारी हिमपात की संभावना लगभग शून्य है। हालांकि, कमजोर पश्चिमी विक्षोभ मार्च के तीसरे सप्ताह तक जारी रह सकता है, जो पहाड़ी राज्यों के ऊपरी इलाकों में छिटपुट बारिश दे सकता है।


देशभर में यह बना हुआ है मौसमी सिस्टम

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के ममुताबिक इस समय एक टर्फ रेखा केरल से आंतरिक कर्नाटका होते हुए मध्य महाराष्ट्र तक फैली हुई है। एक चक्रवाती परिसंचरण दक्षिण-मध्य बंगाल की खाड़ी और उससे सटे भूमध्यरेखीय हिंद महासागर पर बना हुआ है। अभी मौसम में कोई बदलाव के संकेत नहीं है।