Dollar vs Rupay: डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे निचले स्तर पर , आयात पर पड़ा भारी फर्क 

पिछले कुछ दिनों से भारतीय अर्थव्यवस्था खुद को संभालने की कोशिश कर रही है और इसी बीच एक खबर ये आई है के डॉलर के मुकाबले रूपए की हालत और भी ख़राब हो गयी है।  जानते है इसका कारण और किन चीजों पर होगा असर।
 

HR Breaking News, New Delhi , भारतीय रुपया आज शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 67 पैसे गिरकर 81.66 के ऑल-टाइम लो पर आ गया। हालांकि बाद में मामूली रिकवरी देखने को मिली। ब्लूमबर्ग के मुताबिक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 0.63 पैसे कमजोर होकर 81.62 पर बंद हुआ। ये 56 पैसे कमजोर होकर खुला था।

इसका कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से बढ़ाई गई ब्याज दरें हैं। ब्याज दरें बढ़ाने से इकोनॉमिक स्लोडाउन आ सकता है। रुपए की 52 वीक रेंज 73.61-81.66 रही है।

फेड ने बढ़ाई ब्याज दरें


अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने बुधवार को लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को 0.75% बढ़ाकर 3-3.25% कर दिया हैं। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं। अमेरिका में महंगाई 40 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।

इंपोर्ट करना महंगा


रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा अमेरिका में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 81 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।

करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?


डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।

अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।