Expressway: अब बहेगी रोजगार की गंगा, सरकार एक्सप्रेसवे के साथ करने जा रही ये बड़ा काम

Industrial Corridor near Expressway:  सरकार इंन्फ्रास्टक्चर, हाईवे और एक्सप्रेसवे का जाल बिछा रही है। इससे जहां एक से दूसरे जगह पहुंचना आसान  हो जाएगा, वहीं रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। 
 

HR Breaking News,(डिजिटल डेस्क):  उत्तर प्रदेश में सरकार विकास के नए आयाम स्थापित कर रही है। सरकार राज्य में एक्सप्रेसवे(Expressway) का जाल बिछा रही है. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश के सर्वाधिक 13 एक्सप्रेसवे वाला राज्य होगा. यह एक्सप्रेस वे न केवल कनेक्टिविटी और सफर को आसान बनाएंगे बल्कि रोजगार को नई गति प्रदान करेंगे. इनके किनारे बनाए जाने वाले इंडस्ट्रियल कॉरिडोर(Industrial Corridor) इसका माध्यम बनेंगे.

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योगी सरकार 2.0 के पहले बजट में सभी ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे(Green Field Expressway) के किनारे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर(industrial corridor) विकसित करने के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया है. बुंदेलखंड, गंगा एवं गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे इसके लिए जगहें भी चिन्हित कर ली गईं हैं.

91 किमी लंबे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे(Gorakhpur Link Expressway) के किनारे गोरखपुर सदर तहसील के बाघागाड़ा, तालनवर, सहजनवा तहसील के भगवानपुर गांव में जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना पूर्व में ही जारी हो चुकी है. यही नहीं, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण(Gorakhpur Industrial Development Authority) यानि गीडा की ओर से भगवानपुर एवं नरकटहा में जमीन की खरीद भी शुरू कर दी गई है. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर बनने वाले औद्योगिक गलियारे(industrial corridor) का क्षेत्रफल करीब एक हजार एकड़ होगा. 88 एकड़ क्षेत्रफल में प्लास्टिक पार्क भी इसी क्षेत्र में विकसित किया जाएगा. इस पार्क के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है.

इसी तरह गंगा एक्सप्रेसवे(Ganga Expressway) पर मेरठ, हापुड़, बरेली मुरादाबाद, हरदोई, लखनऊ, कानपुर तथा प्रयागराज में इंडस्ट्रियल हब बनाने के लिए सरकार की ओर से यूपीडा को अधिकृत किया गया है. एजेंसी का चयन कर इंडस्ट्रियल हब को विकसित करने का कार्य तीव्र गति से कराया जा रहा है.

इसी क्रम में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे(Bundelkhand Expressway) के किनारे चित्रकूट, बांदा और जालौन में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाये जाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है. इसके लिए सलाहकार एजेंसी का चयन हो चुका है. चित्रकूट में लगभग 103 हेक्टेयर भूमि चिन्हित करने के साथ लगभग 102 हेक्टेयर भूमि का क्रय, पुनग्रहण, अंतरण भी कराया जा चुका है.

इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के विकास के साथ सभी एक्सप्रेसवे के निकट इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट(ITI), शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान मेडिकल संस्थान(Educational & Training Institute Medical Institute) आदि की स्थापना के लिए भी अवसर सुलभ होंगे. एक्सप्रेसवे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडारण गृह, मंडी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिर उत्प्रेरक का काम करेंगे. इस तरह परियोजना से अच्छादित क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा.

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उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण(Uttar Pradesh Expressways Industrial Development Authority) के विशेष कार्याधिकारी दुर्गेश उपाध्याय के अनुसार, एक्सप्रेसवे परियोजना(एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट) आच्छादित क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केंद्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को देश की राजधानी समेत अन्य प्रमुख क्षेत्रों से जोड़ने के साथ उस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में भी सहायक होगी.