हिसार में फिर नाराज हुए किसान, अब दोबारा होगा प्रदर्शन

किसान सभा से जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार ने कहा कि हमारी मांगों को लेकर किसान सभा ने 287 दिनों तक उपायुक्त कार्यालय पर धरना दिया। जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम ने सात फरवरी को धरनास्थल पर किसानों को आश्वासन दिया
 

हिसार लघु सचिवालय के सामने 200 ये अधिक दिनों तक चला किसानों का धरना आठ दिन पहले ही समाप्त हुआ था। अब किसानों ने फिर से विरोध के सुर अलाप लिए हैं। मामला किसानों की मांगों से जुड़ा है जो लंबे समय में चली आ रही हैं। किसानों का कहना है कि आठ दिन पहले उनकी सभी मांगों को मान लिया गया था,

 

इसी आधार पर उन्होंने अपने धरना वापस ले लिया था। मगर अभी तक इन मांगों में प्रगति नहीं दिखाई दे रही है। इसी से दोबारा से रणनीति बनाने को विवश होना पड़ा है। किसानों की मुख्य मांगो में फसल नुकसान की गिरदावरी, बीमा कंपनी पर कार्रवाई जैसी मांगें शामिल हैं। इस मामले में अब 18 फरवरी को किसान लघु सचिवालय पर फिर से एकत्रित होकर प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए गांव-गांव भ्रमण भी शुरू कर दिया गया है। 

ये भी पढ़ें........

हरियाणा में लुप्त प्रजाति को बचाने का प्रयास, अब होगी जंगली जानवरों की गिनती


क्या कहते हैं किसान सभा के किसान नेता 

किसान सभा से जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार ने कहा कि हमारी मांगों को लेकर किसान सभा ने 287 दिनों तक उपायुक्त कार्यालय पर धरना दिया। जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम ने सात फरवरी को धरनास्थल पर किसानों को आश्वासन दिया कि किसानों की ज्वलंत मांगों का समाधान करते हुए बालसमंद व खेड़ी चोपटा तहसीलों की गिरदावरी व नुकसान, जलभराव की गिरदावरी दोबारा करवाई जाएगी व मुआवजा जल्दी ही किसानों को दिया जाएगा परंतु एक भी मांग पर जिला प्रशासन ने कार्यवाही नहीं की है।

खरीफ 2020 ओलावृष्टि व भारी वर्षा से बर्बाद फसलों का मुआवजा, जनवरी 2022 में हुई भारी वर्षा से हजारों एकड़ में जलभराव से बर्बाद हुई सरसों व सब्जियों की विशेष गिरदावरी को लेकर किसान सभा के बैनर तले 18 फरवरी को उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन एवं घेराव किया जाएगा। 


खरीफ की फसल में हुआ है काफी नुकसान 

खरीफ 2020 गिरदावरी के अनुसार जिला में 50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत फसलें बर्बाद हुई। इसी प्रकार खरीफ 2021 में भी गिरदावरी अनुसार बीमा कम्पनी ने बीमा नहीं दिया और दोनों वर्षों का 2500 करोड़ से ज्यादा बीमा बनता था, जो नाम मात्र ही बीमा कम्पनी ने किसानों को दिया। इसको लेकर किसानों में भारी रोष है।