No-Cost EMI: नो-कॉस्ट ईएमआई कराने से पहले पढ़ ले ये खबर, एक्सपर्ट ने दिए टिप्स
HR Breaking News, Digital Desk - ई-कॉमर्स साइट्स से महंगे प्रोडक्ट खरीदकर किस्तों में पेमेंट करने के लिए ग्राहकों के बीच नो-कॉस्ट ईएमआई (No-Cost EMI) काफी लोकप्रिय है. इस सुविधा में रेफ्रिजरेटर, टीवी, वाशिंग मशीन, मोबाइल फोन और अन्य महंगे सामान खरीदने पर आपको एकमुश्त भुगतान करने की जरूरत नहीं होती है.
हर ग्राहक के लिए No-Cost EMI एक बेहतर विकल्प है. फिर भी इस सुविधा का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए इससे जुड़ी अहम बातों को जानना जरूरी है. यहां कुछ अहम जानकारी दी गई है जिसे जानकार आप इस सुविधा से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से जान सकते हैं.
कैसे काम करती है No-Cost EMI?
नो-कॉस्ट ईएमआई ग्राहकों के लिए कई विकल्पों में उपलब्ध होती है. इसमें पहला ऑप्शन यह है कि प्रोडक्ट बिना ईएमआई के डिस्काउंट पर बेचा गया है. लेकिन, अगर आप नो-कॉस्ट ईएमआई का लाभ उठाना चाहते हैं, तो उपलब्ध डिस्काउंट हटा लिया जाता है और आप वास्तविक कीमत पर प्रोडक्ट खरीदते हैं. मान लीजिए कि किसी उत्पाद की ऑनलाइन कीमत 10% की छूट के बाद 4,500 रुपये है.
यदि आप इसे नो-कॉस्ट ईएमआई पर खरीदना चाहते हैं, तो आप उत्पाद की वास्तविक कीमत पर ईएमआई का भुगतान करते हैं, यानी 5,000 रुपये. इसलिए, आपको प्रोडक्ट पर उपलब्ध डिस्काउंट को छोड़ना पड़ता है.
वहीं, दूसरे विकल्प में यदि प्रोडक्ट की कीमत 5000 रुपये है तो लोन की पूरी अवधि के लिए ईएमआई (जैसे, 12 महीने की अवधि के लिए 1000 रुपये @ 20%) पर लागू ब्याज उत्पाद की कीमत में जोड़ा जाता है. ऐसे में आपको 500 रुपये की 12 ईएमआई में 6000 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा.
कब चुनें नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प?
यदि आप कोई महंगा उत्पाद खरीद रहे हैं और आप एक बार में पूरी राशि का भुगतान नहीं करना चाहते हैं या नहीं कर सकते हैं तो नो-कॉस्ट ईएमआई लोन उपयोगी हो सकता है. साथ ही, जब आप नो-कॉस्ट EMI विकल्प के माध्यम से कोई उत्पाद ऑनलाइन खरीदते हैं, तो कभी-कभी व्यापारी क्रेडिट कार्ड पर छूट या कैशबैक की पेशकश करते हैं.