Parenting Tips - भटके हुए बच्चों को ऐसे लाए सही राह पर...

किशोरावस्था बच्चों में कई बदलाव लेकर आती है। बच्चे माता-पिता के नियंत्रण से खुद को अलग करके आत्मनिर्भर होने लगते हैं। उनकी अपनी सोच विकसित होने लगती है। आज हम आपको अपनी खबर में कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बताएंगे जिनसे आप अपने बच्चों का सही राह दिखा सकते है। 

 

HR Breaking News, Digital Desk- किशोरावस्था बच्चों में कई बदलाव लेकर आती है। बच्चे माता-पिता के नियंत्रण से खुद को अलग करके आत्मनिर्भर होने लगते हैं। उनकी अपनी सोच विकसित होने लगती है। साथ ही अब वे स्वयं को अपने हमउम्रों की नजर से देखने लगते हैं और उनके मानदंडों पर पूरा उतरने की कोशिश में लगे रहते हैं। अपनी अलग पहचान बनाने, खुद को रफ-टफ और ‘कूल’ दिखाने के चक्कर में अक्सर किशोर लड़के-लड़कियां गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। कुछ टिप्स को अपना कर आप उन्हें ऐसा करने से रोक सकती हैं: 

अपनी जानकारी का दायरा बढ़ाएं- 


किशोरावस्था से संबंधित किताबें पढ़ें। बच्चे के बदलते रुझानों, पसंद एवं फैशन की जानकारी रखें। अगर आपको पता होगा कि आजकल किशोर किन चीजों की ओर जल्दी आकर्षित होते हैं तो आप वक्त रहते अपने बच्चों को उनके दुष्प्रभावों के प्रति सावधान कर सकेंगी।


बच्चों को नौ-दस साल की उम्र से ही बातों-बातों में सिगरेट-शराब की बुराइयों, किशोरावस्था में शरीर में आने वाले बदलावों और लड़के-लड़कियों के बीच स्वस्थ दोस्ती के महत्व के बारे में बता सकती हैं। जितनी जल्दी आप अपने और बच्चों के बीच संवाद के रास्ते खोल देंगी, किशोरावस्था के दौर में उनसे बात करना, उन्हें समझना-समझाना आपके लिए उतना ही आसान हो जाएगा। 

बच्चों के साथ अपनी किशोरावस्था की यादें बांटें। बच्चे यह जान कर थोड़ा सहज हो जाते हैं कि उनके माता-पिता भी इसी दौर से गुजर चुके हैं। 


आजकल के किशोर लड़के-लड़कियां हमारे समय से कहीं ज्यादा आगे निकल चुके हैं, इसलिए उनके बाल रंगने, उन्हें हाइलाइट करने, वैक्सिंग करने, काली-नीली नेलपॉलिश लगाने, मेकअप करने या फंकी कपड़े पहनने पर हर समय टोकाटाकी करना सही नहीं होगा। इससे बच्चे विद्रोही होंगे और आपकी सही बातों को भी नहीं मानेंगे। 


किशोर उम्र में लड़के-लड़कियां अक्सर ग्लैमर की चकाचौंध में गलत संगत में पड़ जाते हैं और उनके कदम डगमगा सकते हैं। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि बच्चे किन दोस्तों से मिलजुल रहे हैं। अगर किसी से उनकी नई दोस्ती हुई हो तो उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करें। 


बच्चे की प्राइवेसी का सम्मान करें-


 हर समय उसके कमरे की ताकाझांकी करना, उसके एसएमएस या ईमेल पढ़ना सही नहीं है। उसकी सुरक्षा के मद्देनजर आपको यह पता रहना चाहिए कि बच्चा कहां और किसके साथ जा रहा है, कब आएगा, क्या कर रहा है। मगर यह उम्मीद न करें कि आपका बेटा या बेटी जहां भी जा रहे हैं, आपको साथ लेकर ही जाएंगे।


बच्चों पर भरोसा करें-


उन्हें भी यह पता होना चाहिए, पर अगर वे आपका भरोसा तोड़ें तो दोबारा भरोसा बनने तक बेशक आप उनकी स्वतंत्रताओं में कटौती कर सकती हैं।


बच्चों को अच्छी तरह यह बात मालूम होनी चाहिए कि आप उनकी हर गलती को नहीं छिपाएंगी। बच्चों की गलतियों पर पर्दा डालने या हर समय उनका बचाव करते रहने से बच्चों के दिलो-दिमाग में यह बात घर कर जाती है कि वे चाहे जो भी करें, कानून तोड़ें या कोई अन्य हरकत करें, उनके माता-पिता उन्हें बचा ही लेंगे।