Railway Ticket रेलवे का टिकट खो जाने के बाद आपके पास क्या है ऑप्शन, जानिए रेलवे के नियम
 

अगर आप भी अक्सर रेल मे सफर करने के शौकिन है तो यह खबर आपके लिए है। क्या आपको पता रेलवे टिकट खो जाने या घर भूल जाने पर आपके पास क्या ऑप्शन है तो आइए जानते है रेलवे के नियम वरना किरकिरा हो सकता है आपका सफर
 
 

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली,आप अगर रेलसफर (Indian Railways) कर रहे हैं और ट‍िकट को रिजर्वेशन काउंटर (Reservation Counter) से खरीदा है. लेक‍िन भूलवश उसको सफर के दौरान साथ ले जाना याद नहीं रहा है तो ऐसे में क्‍या यह वैल‍िड यात्रा होगी या नहीं. इस पर हमेशा संशय और असमंजस की स्‍थ‍ित‍ि होती है. आज हम आपको इसके बारे में स्‍पष्‍ट और सटीक जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं. इसके बारे में आपको जान लेना बेहतर होगा. अगर यह जानकारी आपके पास नहीं होगी तो यह आपके आरामदायक रेलसफर को क‍िरक‍िरा बना सकती है.

दरअसल, ड‍िज‍िटल इंड‍िया की ओर तेजी से बढ़ती भारतीय रेलवे ने यात्र‍ियों की सुव‍िधा के ल‍िए ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन की सुव‍िधाएं भी मुहैया करवाई हुई है. लेक‍िन इन दोनों मामलों में सफर के दौरान बड़ा अंतर है ज‍िसके बारे में यात्रा करने से पहले जान लेना बहुत जरूरी है. वरना आपकी जेब पर तो डबल मार पड़ ही जाएगी, दूसरी तरफ रेल न‍ियमों के मुताबिक कोई नई मुसीबत भी झेलनी पड़ सकती है.


जानकारी के मुताब‍िक अगर आपने अपने गंतव्‍य के ल‍िए रेल सफर करने के ल‍िए व‍िंडो ट‍िकट खरीदा है चाहे वो जनरल कोटे से हो या फ‍िर तत्‍काल ट‍िकट का हो. इसके ल‍िए आपको सफर के दौरान उसको साथ रखना अन‍िवार्य है. रेलसफर के दौरान व‍िंडो ट‍िकट का वैल‍िड होना तभी माना जाएगा जब वह अपने साथ में होगी. हालांक‍ि ऑनलाइन ट‍िकट के मामले में ऐसा नहीं है.

ऑनलाइन ट‍िकट बुक‍िंग के जर‍िए यात्रा करने के न‍ियम इससे कुछ जुदा हैं. ज‍िसमें अगर आपके पास ट‍िकट नहीं भी होगा और आपके मोबाइल में आईआरसीटीसी की ओर से भेजा गया कोच व बर्थ वाला मैसेज है या फ‍िर ट‍िकट की शॉफ्ट कॉपी है तो भी आप उसको टीटीई को द‍िखा कर यात्रा कर सकते हैं. लेक‍िन काउंटर ट‍िकट होने पर उसका अपने साथ लेकर नहीं चलना या क‍िसी कारणवश भूल जाना मुश्‍क‍िल में डाल सकता है.

ट्रेन छूटने के आधा घंटे बाद कैंस‍िल करके पा सकते हैं र‍िफंड
रेल अधिकार‍ियों का कहना है क‍ि भारतीय रेल न‍ियमों में काउंटर ट‍िकट को साथ लेकर चलना इसल‍िए जरूरी होता है क‍ि उसको ट्रेन छूटने के आधा घंटे बाद भी कैंस‍िल करवाया जा सकता है. सफर करने वाले के पास इस ट‍िकट के नहीं होने और उसको शॉफ्ट कॉपी या फ‍िर आईआरसीटीसी के मैसेज के आधार पर सफर करने देने की अनुमत‍ि रेलवे के ल‍िए राजस्‍व नुकसान का कारण भी बन सकती है. ऐसा इसल‍िए संभव है क‍ि व‍िंडो ट‍िकट का क्‍लेम ट्रेन छूटने के आधा घंटे बाद जाकर क‍िया जा सकता है और यात्री उस पर सफर भी कर जाएगा.

ट‍िकट नहीं होने पर इस तरह कर सकते हैं ट्रेन सफर
अध‍िकार‍ियों के मुता‍ब‍िक मान लीज‍िए अगर कोई यात्री यात्रा के दौरान व‍िंडो ट‍िकट (PRS Counter Ticket) साथ नहीं लेता है तो सफर के दौरान उसको कोई वैल‍िड दस्‍तावेज और ट‍िकट के मूल्‍य के साथ-साथ जीएसटी अदा करने के पर ही यात्रा अनुमत‍ि हो सकती है. लेक‍िन इसके ल‍िए भी पैसेंजर को यह साब‍ित करना होगा क‍ि जो ट‍िकट जारी हुआ था वो वास्‍तव‍िक रूप से उसके ही नाम हुआ था. इसके बाद ही उसको उस ट‍िकट के मूल्‍य और पैनल‍िटी के अलावा जीएसटी (एसी क्‍लास वाली श्रेणी ट‍िकट की स्‍थ‍ित‍ि में) भी अलग अदा करने के बाद यात्रा करने का ट‍िकट जारी क‍िया जा सकेगा.

इस तरह से सफर करने के बाद क‍िया जा सकता है क्‍लेम
रेलवे बोर्ड (Railway Board) के अधिकारी भी इस बात को स्‍पष्‍ट करते हैं क‍ि कोई भी यात्री काउंटर से टिकट (Counter Ticket) खरीदने के बाद उसकी फोटो कॉपी या फ‍िर मोबाइल ड‍िटेल या मैसेज के आधार पर यात्रा नहीं कर सकता है. उस ट‍िकट का यात्रा के दौरान साथ रखना अन‍िवार्य है.


इसके पीछे वजह यही है क‍ि ट्रेन छूटने के बाद 30 म‍िनट बाद उसको कोई भी कैंस‍िल (Ticket Cancellation) करवा कर क्‍लेम ले सकता है. जबक‍ि ऑनलाइन ट‍िकट में अगर कोई यात्रा नहीं कर रहा है तो उसका र‍िफंड ऑटोमैट‍िक तरीके से पैसेंजर के वॉलेट या अकाउंट में र‍िफंड/ट्रांसफर हो जाता है.


इन सालों में ट‍िकट वैल‍िड‍िटी को लेकर उठाए गए अहम कदम
साल 2012 के न‍ियमों की माने तो मोबाइल फोन पर सीट या बर्थ और कोच नंबर (Coach Number of Train) के बारे में भेजे गए संदेश को वैलिड टिकट उस स्‍थ‍ित‍ि में ही स्‍वीकार क‍िया गया है यद‍ि पैसेंजर ने आईआरसीटीसी की वेबसाइट या फ‍िर मोबाइल फोन ऐप (IRCTC App) से ट‍िकट बुक करवाई है. व‍िंडो ट‍िकट में यह सभी न‍ियम वैल‍िड नहीं माने गए हैं. वर्ष 2009 में तत्‍काल‍िक रेल मंत्री ममता बनर्जी के कार्याकाल में ई-ट‍िकट का प्र‍िंट आउट लेकर चलने की बाध्‍यता को भी समाप्‍त क‍िया गया ज‍िसके बाद एसएमएस की वैलिडिटी को स्‍वीकार क‍िया जा सका.