EPFO - कर्मचारियों के इस फंड पर चली कैंची, बोले-रिटायरमेंट के बाद कैसे होगा गुजारा

ईपीएफओ ने 6 करोड़ कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। इस संगठन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने साल 2021-22 के लिए इंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड यानी EPF की ब्याज दर को 8.5 से घटाकर 8.1% करने का प्रस्ताव पास किया है। आइए नीचे खबर में जानते है विस्तार से जानकारी। 

 

HR Breaking News, Digital Desk- जब प्रोविडेंट फंड (पीएफ) कटना शुरू हुआ था, तो 12% ब्याज मिलता था, लेकिन इसमें लगातार गिरावट होती गई। अब यह 8.1% पर आकर रुका है। कर भी क्या सकते हैं, सरकार का निर्णय है... यह कहना था एक सरकारी स्कूल के शिक्षक संत राम का है। संत राम बताते हैं कि एक नौकरीपेशा की जिंदगी घर के खर्च और बच्चों का भविष्य बनाने में निकल जाती है। बचत के नाम पर सिर्फ पीएफ होता है। यही बुढ़ापे का सहारा होता है। अपने भविष्य के लिए अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा कटवाते हैं, ताकि जिस उम्र में कुछ करने के लायक ना बचें तब यह बचत काम में आए। लेकिन, जिस तरह से ब्याज दर में लगातार गिरावट हो रही है, लगता नहीं है कि बुढ़ापे में जिंदगी गुजारने के लिए पैसे काफी होंगे।


सरकारी कर्मचारी सोनिया कहती हैं कि पीएफ रिटायर्ड कर्मचारी के लिए एक चादर का काम करती है, जिससे वो अपने बदन को ढकता है। जिस हिसाब से महंगाई बढ़ रही है, आने वाले वक्त में इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। एक व्यक्ति को 25 से 30 हजार रुपये नॉर्मल जिंदगी जीने में खर्च हो जाएंगे। कभी 9% के दर से ब्याज मिलता था। अब तक 1.4% दर कम कर दिया गया। कहां इन्हें अपने सरकारी कर्मचारियों का सहारा बनना चाहिए, लेकिन उल्टा जो सहारा है उसमें भी सेंध लगा रहे हैं।


वहीं प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहे विजय नारायण ने बताया कि प्राइवेट नौकरी में सिर्फ पीएफ की फैसिलिटी ही मिलती है। पहले सैलरी के हिसाब से कम पीएफ कटता था। तब भी अच्छा ब्याज मिल जाता था, चूंकि 12% ब्याज दर हुआ करता था। अब पहले की तुलना में डबल फंड कटवा रहे हैं, फिर भी कुछ खास फायदा दिखाई नहीं पड़ता है।


एक अन्य सरकारी कर्मचारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि पहले कम सैलरी थी, तब ज्यादा ब्याज मिलता था। अब ज्यादा सैलरी है और ज्यादा फंड कटता है, लेकिन कम ब्याज मिलने से नुकसान हो रहा है। 18 साल से पीएफ कटवा रहा हूं। अगर इसी दर से ब्याज मिलता रहा, तो मेरी रिटायरमेंट तक 1 से 2 लाख नुकसान हो जाएगा। भविष्य में ब्याज दर और भी कम होती है तो ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार से यही दरख्वास्त है कि अपने कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बेहतर जिंदगी की सुरक्षा प्रदान करें। इस तरह ब्याज दर कम करने से सिर्फ नुकसान ही होगा। रिटायर होने के बाद जीवनयापन करना मुश्किल हो जाएगा।