Success Story : महाराष्ट्र में उग रहे हैं हिमालय वाले सेब, पूरी दुनिया देख कर हो रही हैरान, कमाई हो रही है लाखों में 

महाराष्ट्र में कुछ किसानों ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना करना भी थोड़ा मुश्किल है, महाराष्ट्र के कुछ किसान हिमालय के सेबों की खेती कर रहे हैं , और पूरी दुनिया में इनको बेच रहे हैं।  सेबों की खेती महाराष्ट्र में होते देख पूरा देश हैरान है और इनके सेबों की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गयी है जिसकी वजह से इनकी कमाई लाखों में हो रही है।  इन्होने ये कैसे किया, आइये जानते हैं। 
 

HR Breaking News, New Delhi : भारत के साथ-साथ दुनियाभर में कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सेब (Apple Farming) काफी पंसद किये जाते हैं. देशभर में सेब की काफी डिमांड रहती है, लेकिन सप्लाई के लिये सिर्फ भारत के पहाड़ी इलाकों पर ही निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन महाराष्ट्र के किसानों ने नई तकनीक और उन्नत किस्मों के दम पर मैदानी इलाकों में भी सेब की खेती (Apple Farming in Maharshtra) के जरिये कमाल कर दिखाया है. हम बात कर रहे हैं कोल्हापुर के सेब उत्पादक किसान संतोष जाधव के बारे में, जिन्होंने साल 2018 में सेब की नर्सरी (Apple Nursery) शुरु की और आज वे महाराष्ट्र राज्य में सेब की आपूर्त सुनिश्चित करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

इन किस्मों का किया इस्तेमाल


आधुनिक कृषि तकनीकों और उन्नत किस्मों के आ जाने से अब हर मुश्किल काम आसान हो पाया है. संतोष जाधव भी आधुनिक खेती की तकनीकों को अपनाकर सेब की खेती कर रहे हैं. संतोष अपने सेब के बागानों में एचआरएमएन- 99 (HRMN 99 Apple) और डोरसेट गोल्डन सेब (Dorsett Golden Apple) की किस्मों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि भारत के किसी भी इलाके में उगाई जा सकती हैं.

इन किस्मों के पौधों की रोपाई के बाद 2 से 3 साल के अंदर फल लगना शुरु हो जाते हैं. इस बीच हर पेड़ से 8 से 9 किलोग्राम फलों का उत्पादन मिलने लगता है. जानकारी के लिये बता दें कि संतोष जाधव के बागों में उगाये गये सेब क्वालिटी और स्वाद में भी बेहतरीन होते हैं. यही कारण है कि महाराष्ट्र के बाजारों में इनके सेब हाथोंहाथ बिक जाते हैं.

नासिक में भी हो रही है सेब की खेती


जहां कोल्हापुर के संतोष जाधव सेब की खेती के जरिये बाजार की डिमांड को पूरा कर रहे हैं. वहीं इस श्रेणी में नासिक के अखतवड़े गांव से पिता-पुत्र की जोड़ी ने भी सेब की खेती के जरिये कमाल कर दिखाया है. दरअसल  पिता पंढरीनाथ और पुत्र चंद्रकांत ने अपने खेतों में अंगूर और अनार की खेती शुरू की, बाद में सेब की उन्नत किस्म  HRMN-19 की जानकारी होने पर 10,000 की लागत से सेब की बागवानी की. मौसम की अनिश्चितताओं और नुकसान के बाद भी पिता-पुत्र की जोड़ी ने पहले ही प्रयास में 460 किलेग्राम का उत्पादन लिया.


सेब का निर्यात


जाहिर है कि पहाड़ी इलाकों में सेब उगाकर इनका निर्यात (Apple Export) मैदानी इलाकों में किया जाता है, जिसमें काफी समय खर्च होता है. इस बीच फलों की क्वालिटी भी खराब होने लगी है. ऐसी स्थित में सेब की एचआरएमएन- 99 और डोरसेट गोल्डन किस्में ही किसानों और उपभोक्ताओं की सभी आवश्यकताओं को पूरा कर रही हैं. इन किस्मों से खेती (Apple Farming in All Over India) करके किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है और दूसरे किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं.