हरियाणा में बढ़ने लगा तापमान, जानिए फसलों पर क्या पड़ेगा असर

मौसम विज्ञानियों ने तापमान के आगे बढ़ने की संभावना जताई है। हालांकि तापमान बढ़ने से फसलों को फायदा ही होगा। क्योंकि नमी के कारण फसलों में कीट व रोग लगने की संभावना बनी रहती है। मगर पिछले कुछ दिनों धूप निकलने से फसलों को नमी से आजादी मिली है।
 

सूर्य की तपिश के कारण दिन का तापमान प्रदेशभर में काफी बढ़ गया है। बारिश आने पर भी दिन के तापमान पर अधिक असर नहीं पड़ता दिख रहा है। एक दिन पहले हिसार में 22.1 डिग्री सेल्सियस, अंबाला में 21.4 डिग्री सेल्सियस, भिवानी में 21.6 डिग्री सेल्सियस, नारनौल में 23.5 डिग्री सेल्सियस, रोहतक में 21.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। वहीं सिरसा में 22.4 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था।

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सूर्य की तपिश मिलने की संभावना

मौसम विज्ञानियों ने इस तापमान के आगे बढ़ने की संभावना जताई है। हालांकि तापमान बढ़ने से फसलों को फायदा ही होगा। क्योंकि नमी के कारण फसलों में कीट व रोग लगने की संभावना बनी रहती है। मगर पिछले कुछ दिनों धूप निकलने से फसलों को नमी से आजादी मिली है।

वहीं पर्याप्त ग्रोथ भी फसलों की हो रही है। इस समय सरसों, गेहूं, सब्जियां आदि फसलों को किसानों ने किया है। इसके साथ ही हल्की तेज हवा भी चल रही है। 14 फरवरी तक लोगों को पर्याप्त सूर्य की तपिश मिलने की संभावना है।


तापमान में हल्की बढ़ोतरी की संभावना

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि राज्य में 14 फरवरी तक मौसम आमतौर पर खुश्क रहने की संभावना है। इस दौरान उत्तरी व उत्तर पश्चिमी शीत हवा चलने से ज्यादातर स्थानों पर रात्रि तापमान में गिरावट होने व दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी होने की संभावना है।

वातावरण में नमी की अधिकता से कहीं-कहीं अलसुबह धुंध छाने की भी संभावना है। पिछले दिनों पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण प्रदेश में तापमान अधिक प्रभावित हुआ था। जिसका असर जनवरी और फरवरी तक दिखाई दिया।


क्या होता पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्ण कटिबंधीय आंधी है जो सर्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात मैदानी क्षेत्रों में बारिश तो पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी ले आती है।

यह बारिश मानसून की बरसात से भिन्न होती है। यह ईरान ईराक अफगानिस्तान होते हुए भारत में प्रवेश करते हैं। हर माह में पश्चिमी विक्षोभ तीन से चार आते हैं।