हरियाणा में भी खूब होगी आम (Mango) की ये किस्म, पर पीस के हिसाब से मिलेगा भाव

बूड़िया के अनुसंधान केंद्र में तैयार हुई फाइबर लेस अल्‍फेंसो आम की किस्‍म। अब हरियाणा में इसकी पौध तैयार की गई है। हरियाणा के किसानों को आसानी से उपलब्‍ध होगी। यह आम किलो के हिसाब से नहीं बल्कि पीस के हिसाब से बिकता है।
 

फाइबर लेस अल्फेंसो किस्म के आम की महक अब हरियाणा में भी बिखरेगी। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बूड़िया में कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी पौध तैयार की है ताकि हरियाणा के किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सके।

 

हालांकि यह दक्षिण भारत की किस्म है, लेकिन अब हरियाणा में भी इसका रकबा धीरे-धीरे बढ़ाने का प्रयास है। खास बात यह है कि इस किस्म के आम में फाइबर नहीं है। दूसरा, यह एक्सपोर्ट क्वालिटी है। जोकि किलो के नहीं बल्कि पीस के हिसाब से बिकता है। यानि फसल को बाजार में अच्छे दाम मिल जाते हैं। एक से डेढ़ वर्ष में इस किस्म के पौधे पर फ्रूटिंग शुरू हो जाती है।

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ये किस्में भी की तैयार

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बूड़िया में अल्फेंसो के अलावा रंगीन आम की किस्मों की पौध भी तैयार की गई है। इनमें पूसा-पीताबंर, पूसार प्रतिमा, पूसा लालिमा, पूसा अरुणिमा व पूसा सूर्य शामिल है। इन किस्मों के आम का स्वाद काफी लजीज होता है और पैदावार भी अव्वल रहती है। दशहरी, लंगड़ा, चौसा, अमरपाली, मल्लिका व रामकेला आम की पौध रूटीन में तैयार होती है। लेकिन इस बार अनुसंधान केंद्र में तैयार अल्फेंसो की पौध चर्चा का विषय बनी हुई है।

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लीची की कलकतिया किस्म

कृषि वैज्ञानिकों ने कलकतिया किस्म की लीची की नर्सरी भी तैयार की है। इस किस्म के पौधे पर चार-पांच साल बाद फ्रूटिंग शुरू हो जाती है। यह किस्म सीडलेस है और पांच साल बाद एक से डेढ क्विंटल लीची आ आ जाती है।

किचन गार्डन के लिए यह बेहतर किस्म है। इस किस्म के अलावा अर्ली लार्ज रेड लीची की नर्सरी भी तैयार है। यह कामर्सियल किस्म में आती है। आड़ू की प्रभात, प्रताप, शान-ए-पंजाब व अर्ली ग्रांडे किस्म के पौधे भी अब किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे।


बाग लगाने का उपयुक्त समय

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्री अनुसंधान केंद्र बूड़िया के प्रिंसिपल साइंटिस्ट इंचार्ज डा. सुलेमान मोहम्मद ने बताया कि इन दिनों बाग लगाने का उपयुक्त समय है। आम व अन्य फलों की अच्छी किस्मों के पौधे किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। इसके लिए उनको न तो अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी और न ही अधिक पैसा खर्च करने की आवश्यकता है। आम की अल्फेंसो किस्म उनकी खास उपलब्ध है। गत वर्ष ट्रायल के तौर पर इस किस्म के पौधे तैयार किए थे। डिमांड को देखते हुए इस बार संख्या बढ़ाई है।