Vande Bharat Express 2 अप्रैल से पटरी पर आएगी वंदे भारत ट्रेन, ट्रेन में सिगरेट जलाते ही बजेगा अलार्म
Vande Bharat Express देश में ही बनी वंदेभारत का वर्जन-2 अप्रैल 2022 में पटरी पर उतार दिया जाएगा। इसमें ऐसे कमाल के फीचर दिए गए हैंं जिससे यह बर्निंग ट्रेन नहीं बनेगी। ट्रेन विमान जैसी खास सुविधाओं से लैस होगी। चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आइसीएफ) में नई वंदेभारत तैयार की जा रही है। इसमें यात्रियों की सहूलियत का विशेष ध्यान रखा गया है।
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अब बीड़ी व सिंगरेट सुलगाते ही डिब्बे में अलार्म बज जाएगा। यात्रियों की सुविधाओं में इजाफा करने के लिए कई परिवर्तन किए जा रहे हैं। ट्रेन की रेक्लाइनिंग सीट को पुशबैक से लैस किया जाएगा।
चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार हो रही नई वंदेभारत, सुविधाओं के लिए किए गई कई परिवर्तन
सीट को पुश कर अपने आराम के हिसाब से आगे या पीछे किया जा सकेगा। पहले प्रत्येक कोच से आपातकालीन स्थित में दो यात्री सीधे लोकाे पायलट से बात कर सकते थे,लेकिन नई डिजाइजन से तैयार हो रही वंदेभारत में अब प्रत्येक कोच में चार माइक और स्विच होंगे।
ट्रेन में सेंट्रलाइज्ड कोच लगाए जाएंगे, जिससे एक ही जगह से पूरी ट्रेन पर नजर रखी जा सकेगी। इसके अलाावा पावर फेल होने के बाद ट्रेन भले ही रुक जाए लेकिन ट्रेन में लाइट आन होगी। मौजूदा समय तकनीकी दिक्कत आने के बाद ट्रेन में लाइट बंद हो जाती थी लेकिन अब बैटरी पर यह सुविधा रहेगी कि रोशनी प्रत्येक डिब्बे मेंं रहे।
यात्रियों की सहूलियत का रखा जा रहा विशेष ध्यान, रेक्लाइनिंग सीट को पुशबैक से लैस किया जाएगा
लाइटिंग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तीन घंटे तक रहेगी। प्रत्येक कोच में चार इमरजेंसी विंडो होंगी, ताकि किसी भी आपात स्थिति में यात्रियों को जल्दी से जल्दी निकाला जा सके। ट्रेन के एसी और भी बेहतर किया जाएगा। कोच को बैक्टिरिया फ्री एयर कंडीशनिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा। इतना ही नहीं यात्रियों की सुरक्षा को देखते पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम भी लगाया गया है।
दरवाजे और खिड़कियों में फायर सर्वाइवल केबल का इस्तेमाल होगा, जिससे आग लगने की स्थिति में भी दरवाजा और खिड़कियां खोलना आसन होगा। अधिकारियों का प्रयास है मार्च तक वंदेभारत वर्जन-टू कर रेलवे बोर्ड को सौंप दिया जाये ताकि किसी रूट पर इसे दौड़ाया जा सकें। मौजूदा समय नई दिल्ली से वाराणसी और नई दिल्ली से कटरा के बीच वंदेभारत ट्रेनें दौड़ रही हैं। अब इसे नई दिल्ली-लखनऊ, नई दिल्ली-चंडीगढ़ या नई दिल्ली-अमृतसर के रूट पर दौड़ाया जा सकता है।
वंदेभारत की औसत स्पीड 100 से अधिक नहीं बढ़ सकी
वंदेभारत भले ही 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के दावे के साथ ट्रेन पटरी पर उतार दी गई है लेकिन इस तेज रफ्तार के बावजूद यात्रियों का सफर उस हिसाब से कम नहीं हो पा रहा। शताब्दी और राजधानी की औसत स्पीड 90 से ऊपर नहीं आ पा रही। हालांकि वंदेभारत ट्रेन दौड़ने की क्षमता तो 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार आंकी जा चुकी है। लेकिन, वंदेभारत की औसत स्पीड 100 किमी प्रति घंटा तक ही आ रही है।
औसत स्पीड न बढ़ने के अनेकों कारण हैं जिसमें प्रमुख कारण बिजी रुटों पर ट्रेनों की संख्या का निर्धारित मापदंड से भी अधिक इजाफा होना, पटरियों के दोनों तरफ कंक्रीट की दीवार न होना और ट्रैक पर स्थायी रूप से तकनीकी कारणों के चलते ब्लाक होना आदि माना जा रहा है। इसके अलावा ट्रेन का ठहराव होने के कारण भी इसे रोकने के लिए करीब चार मिनट और फिर रफ्तार पकड़ने के लिए भी करीब छह मिनट लग जाते हैं जबकि वंदे भारत एक्सप्रेस एकदम स्पीड पकड़ने और रुकने की क्षमता रखती है।
नहीं चढ़ा टेंडर सिरे, इसलिए लटका प्रोजेक्ट
वंदे भारत एक्सप्रेस शृंखला की 40 नई ट्रेनों का टेंडर रद होने के कारण यह प्रोजेक्ट लेट हो गया। 40 नई ट्रेन बनाने के लिए आठ कंपनियों ने भागीदारी की थी, जिसमें से रेलवे ने मेधा सर्वो ड्राइव्स लिमिटेड को दो और स्पेन की एक कंपनी को एक रैक (ट्रेन) बनाने की हामी भरी थी। रेलवे के इस फैसले पर मेधा ने सवाल उठाते हुए वंदे भारत रैक के निर्माण से हाथ खींच लिए थे। दो रैक बनाने का आर्डर मिलने पर मेधा ने आपत्ति जताई और कहा कि रेट कम करने के बावजूद 80 फीसद की जगह महज उनको महज दो रैक ही बनाने की हरी झंडी दी गई।
कंपनी ने कहा कि वे मात्र दो रैक के लिए कम की गई कीमत पर काम करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में अर्नेस्ट मनी डिपाजिट (ईएमडी), जो 20 लाख रुपये है, उसे रिलीज किया जाए। यह रैक इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनाए जाने थे। इसी बीच रेलवे ने वंदे भारत और रेलवे मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू), इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) और एयर कंडीशंड ईएमयू के सभी टेंडर रद कर दिए थे।