कोर्ट का फैसला : पति ने पत्नी से माँगा गुज़ारा भत्ता तो कोर्ट ने सुना दिया ये फैसला, कोर्ट की बात सुन पति की हुई सिट्टी-पिट्टी गुम
कोरोना महामारी में पति की नौकरी चली गयी और अपना खर्चा चलाने के लिए पति ने पत्नी से माँगा गुज़ारा भत्ता तो कोर्ट ने पति को कह दिया कुछ ऐसा जिससे पति के उड़े होश। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला
HR Breaking News, New Delhi : कर्नाटक उच्च न्यायालय (arnataka High Court)ने मंगलवार (24 जनवरी) को एक बड़े फैसले में कहा कि शारीरिक रूप से स्वस्थ पति अपनी पत्नी से भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकता, पत्नी से गुजारा भत्ता मांगने से सुस्ती आ सकती है. न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश की पीठ ने पति के तरफ से रखरखाव की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया और उसे अपनी पत्नी को प्रति माह 10,000 रुपये देने का आदेश दिया है.
बेंच ने कहा- हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के अनुसार, पति और पत्नी को अपने भागीदारों से रखरखाव की मांग करने वाली याचिका प्रस्तुत करने का प्रावधान है. लेकिन, याचिकाकर्ता पति ने केवल पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार करने के लिए भरण-पोषण की मांग वाली याचिका दायर की है.
'पैसा कमाए और अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करे'
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने मामले में कहा, पति बेरोजगारी के बहाने पत्नी के तरफ से दिए गए भरण-पोषण से गुजारा करना चाहता है. जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि पति शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम है, तब तक वह पत्नी से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकता.उन्होंने कहा कि पति का कर्तव्य है कि वह नैतिक रूप से पैसा कमाए और अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करे. अपनी बहन के बेटे के जन्मदिन में शामिल होने के लिए पति के साथ झगड़ा करने के बाद 2017 में पत्नी अपने माता-पिता के घर चली गई थी और वह अलग हो गए थे.
पति ने पत्नी से 2 लाख रुपये मांगा
पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी. पत्नी ने 25 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता और केस के खर्च की मांग की थी. बदले में पति ने अदालत को बताया था कि वह कोविड महामारी के कारण दो साल से बेरोजगार था और उसके पास पैसे नहीं हैं.पति ने पत्नी से 2 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की क्योंकि वह अमीर परिवार से है. फैमिली कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी और उसे अपनी पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इसके बाद उन्होंने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.