Delhi High Court : मकान मालिकों से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, किराएदरों को मिला तगड़ा झटका

Delhi High Court : दिल्ली में रहने वाले मकान मालिकों के लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है: अगर आपका किराएदार आपको घर खाली करने के लिए परेशान कर रहा है, तो यह खबर आपके काम की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में सुनवाई करते हुए मकान मालिकों के हक में अहम निर्देश जारी किए हैं-

 

HR Breaking News, Digital Desk- (Delhi High Court News) अगर आप दिल्ली में रहते हैं और मकान मालिक (landlord) हैं और आपके किराएदार (tenant) आपको मकान खाली करने को लेकर परेशान कर रहे हैं . तो इस खबर को पढ़ लेना आपके लिए बेहद जरूरी है. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने मकान मालिकों से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए अहम निर्देश जारी किया है-

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट (Delhi Rent Control Act) को एक पुराना और दुरुपयोग किया गया कानून बताया है. कोर्ट ने कहा कि इस कानून का गलत इस्तेमाल संपत्ति मालिकों के लिए गंभीर आर्थिक और मानसिक परेशानी का कारण बन रहा है. इसके विपरीत, संपन्न किरायेदार दशकों से मामूली किराए पर कीमती संपत्तियों पर कब्जा बनाए हुए हैं. इस टिप्पणी से कानून में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया गया है.

कोर्ट ने किरायेदारों को हटाने का आदेश दिया-

जस्टिस अनुप जयराम भाम्बानी ने यह टिप्पणी सदर बाजार स्थित एक संपत्ति से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए की. इस मामले में यूके और दुबई में बसे संपत्ति मालिकों ने 2013 में अपने किरायेदारों को हटाने की मांग की थी जिसे रेंट कंट्रोल अथॉरिटी ने खारिज कर दिया था.

दिल्ली हाई कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है कि दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम जैसे पुराने कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है. कोर्ट ने पाया है कि कई मामलों में आर्थिक रूप से सक्षम किरायेदार सालों से संपत्ति पर कब्जा जमाए बैठे हैं, जिससे मकान मालिक आर्थिक रूप से तबाह हो गए हैं. यह स्थिति कानून के दुरुपयोग का सीधा परिणाम है. एक मामले में, मकान मालिकों ने दलील दी थी कि वे लंदन में दो रेस्तरां चलाते हैं और अब भारत में अपना व्यवसाय बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन वे अपनी ही संपत्ति वापस नहीं ले पा रहे हैं. 

मालिक भारत में रहता है या विदेश में?

रेंट कंट्रोल अथॉरिटी (ARC) ने एक याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि आवेदक को संपत्ति की जीविकोपार्जन के लिए आवश्यकता नहीं है और वह छोटी जगह रेस्टोरेंट के लिए उपयुक्त नहीं है. हालांकि, हाई कोर्ट ने ARC के फैसले को पलट दिया. हाई कोर्ट (High Court Decision) ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि किरायेदार की आर्थिक स्थिति या मालिक की संपन्नता इस मामले में महत्वपूर्ण नहीं है.

मालिक अपने व्यापार का विस्तार एक छोटे टेकअवे से करे या बड़े रेस्टोरेंट से यह उसका विशेषाधिकार है . हाई कोर्ट (Highcourt) ने यह भी साफ किया कि दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट की धारा 14(1)(E) के तहत यह देखना जरूरी नहीं है कि मालिक भारत में रहता है या विदेश (foreign) में, बल्कि यह देखा जाता है कि उसका प्रॉपर्टी को लेकर वास्तविक और ईमानदार उद्देश्य है या नहीं.