gps toll collection : पूरे देश में टोल सिस्टम खत्म, अब नहीं चलेगा फास्टैग

हाईवे पर चलने के लिए हरेक वहां चालक को टोल प्लाजा पर toll tax देना पड़ता है और इसके लिए fastag का इस्तेमाल किया जाता है पर अब सरकार  की तरफ से Fastag को बंद करने किम खबरें आ रही है और सरकार  ने बताया है की अब टोल टैक्स काटने के लिए फास्टैग का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा बल्कि इसके लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा।  आइये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से 
 

HR Breaking News, New Delhi : अगर आप हाईवे पर चलते हैं तो आपको टोल टैक्स देना पड़ता है और इसके लिए पहले कैश का इस्तेमाल किया जाता था पर सरकार ने Fastag की शुरुआत  कर दित ही जिसे लोगों का समय और पैसा दोनों बचते थे पर अब हाईवे पर फास्टैग भी जल्द ही इतिहास बन जाएगा, क्योंकि भारत एक न्यू टोल कलेक्शन सिस्टम में शिफ्ट होने की तैयारी कर रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि टोल बैरियरों को सैटेलाइट-बेस्ड टोल कलेक्शन से बदल दिया जाएगा, जो व्हीकल से टोल कलेक्शन के लिए जीपीएस और कैमरे का उपयोग करेगा। न्यू टोल कलेक्शन सिस्टम के बारे में गडकरी ने कहा कि इस साल गर्मी तक इसके शुरू होने की उम्मीद है। वर्तमान में इसका परीक्षण करने के लिए नए GPS-बेस्ड टोल कलेक्शन का एक पायलट रन चल रहा है।

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न्यू टोल कलेक्शन सिस्टम सीधे कार मालिक के बैंक खाते से पैसा काट लेगा। टोल का अमाउंट इस बात पर निर्भर करेगा कि वाहन ने कितनी दूरी तय की है। ये सारी जानकारी जीपीएस के जरिए जुटाई जाएगी। वर्तमान में वाहन द्वारा तय की गई दूरी की परवाह किए बिना हर प्लाजा पर टोल शुल्क तय है।

मंत्री ने दी जानकारी 
बुधवार (27 मार्च) को गडकरी ने बताया कि नई टोल टैक्स प्रणाली कैसे समय और ईंधन बचाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि पहले मुंबई से पुणे जाने में 9 घंटे लगते थे और अब यह 2 घंटे का सफर है। इससे सात घंटे डीजल की बचत होती है। स्वाभाविक रूप से हमें बदले में कुछ पैसे चुकाने होंगे। हम इसे पब्लिक-प्राइवेट इंवेस्टमेंट के माध्यम से कर रहे हैं। इसलिए हमें पैसे भी लौटाने होंगे। गडकरी ने पहले कहा था कि नई प्रणाली का परीक्षण पहले ही दो स्थानों पर किया जा चुका है।

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अभी कैसे होता है कलेक्शन?
राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा वर्तमान में फास्टैग नाम के RFID (Radio-frequency identification) तकनीक के माध्यम से टोल टैक्स काटते हैं। इसे 15 फरवरी 2021 से अनिवार्य टोल कलेक्शन सिस्टम के रूप में लागू किया गया था। बैरियर पर लगे कैमरे वाहनों की फास्टैग आईडी को पढ़ते हैं और पिछले टोल प्लाजा से दूरी के आधार पर शुल्क लेते हैं। टोल शुल्क का भुगतान भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को किया जाता है।

ऐसा होगा न्या  सिस्टम 
नया सिस्टम अब प्रत्येक वाहन द्वारा तय की गई दूरी पर GPS-बेस्ड डिटेल का उपयोग करके कलेक्शन सिस्टम में सुधार करने की योजना बना रही है, जिससे टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम में सुधार किया जा सके।

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