High Court ने अफसर को बुलाकर पढ़वाए खुद के आरोप, नहीं पढ़ पाया खुद का लिखा

High Court Decision - हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला देखने को मिला। जिसमें हाईकोर्ट ने अफसर को बुलाकर खुद के आरोप पढ़वाए... लेकिन वह खुद का लिखा हुआ ही नहीं पढ़ पाया। आइए नीचे खबर में जानते है इस मामले को विस्तार से..

 

HR Breaking News, Digital Desk- विभागीय कार्यवाही में अस्पष्ट आरोप लिखने वाले अफसर को पटना हाईकोर्ट ने तलब किया। स्वास्थ्य विभाग से आए अवर सचिव स्तर के उक्त अफसर को उनके ही द्वारा लिखे गए आरोपों को जोर से पढ़ने के लिए कहा गया।

हर आरोप को पढ़ने के बाद कोर्ट उस अधिकारी से पूछता था- कुछ समझे या नहीं? अधिकारी का जवाब न में ही मिलता रहा। इसके बाद कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। गैर जिम्मेदाराना करतूत जानबूझकर की जाती है या कार्यवाही संचालित करने अफसर खुद अयोग्य होते हैं।

न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने विकास शिरोमणि की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टेट ड्रग कंट्रोलर रवींद्र कुमार को याचिकाकर्ता के खिलाफ हुई विभागीय कार्यवाही की संचिका समेत हाजिर होने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को विभागीय जांच रिपोर्ट भी आधी अधूरी ही सौंपी गई थी। और तो और जिन आरोपों के मद्देनजर विभागीय कार्यवाही संचालित हुई वे भी अस्पष्ट और आधे-अधूरे ढंग से मढ़े हुए थे। मामले की अगली सुनवाई दो नवंबर को होगी। याचिकाकर्ता पर लापरवाही, टेंडर में अनियमितता आदि का आराेप था।

एक ही मामले में दो अग्रिम जमानत अर्जी: पहली की सुनवाई के वक्त पता चला दूसरी के आधार पर हाईकोर्ट से मिल चुकी है जमानत-

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा-मुझे नहीं दी जानकारी, हाईकोर्ट ने फर्जीवाड़ा देखते हुए महानिबंधक को जांच का दिया आदेश
- हाईकोर्ट में प्रथमदृष्टया फर्जी तरीके से जमानत लेने का एक मामला सामने आया। सारण के नयागांव थाने में दर्ज शराबबंदी मामले के आरोपी विमलेश राय उर्फ रोहित ने अक्टूबर 2020 में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। कोरोना के कारण मामला लंबित रहा। इस बीच उसने पहली अर्जी को वापस लिए बिना दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी 2021 में दायर कर दी।

- पहली जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने हैरानी जताते हुए कोर्ट को बताया कि उसके मुवक्किल ने बिना उन्हें जानकारी दिए दूसरी बार अग्रिम जमानत अर्जी डाली है, जिसमें उसे गत 29 सितंबर को हाईकोर्ट से ही अग्रिम जमानत भी मिल गई है।

- न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने इस मामले को प्रथमदृष्टया फर्जीवाड़ा मानते हुए महानिबंधक कार्यालय को जांच का आदेश दिया। साथ ही दोनों अर्जियां की फाइलों को जांच रिपोर्ट के साथ मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी।