High Court Decision : मकान मालिक और किरायेदार के ये हैं अधिकार, हाईकोर्ट ने कर दिया स्पष्ट

Allahabad High Court : आज के समय में कई बार प्रोपर्टी से एक्सट्रा इनकम कमाने के लिए लोग किराए पर घर दे देते हैं। हालांकि आज के समय में ये आम बात है, लेकिन फिर भी किराएदार और मकानमालिक के कई विवाद सामने आते हैं। कई बार तो ये विवाद कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। अब हाल ही में कोर्ट ने मकानमालिक (landlord property law) और किराएदार के विवादों को देखते हुए एक बड़ा फैसला दिया है।
 

HR Breaking News - (High court decision)। मकानमालिक और किराएदार को लेकर अक्सर अनबन दिखाई पड़ती है। प्रोपर्टी के यूज को लेकर भी कई वाद-विवाद होते हैं। अब हाल ही में प्रोपर्टी से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court News) ने प्रोपर्टी के इस्तेमाल को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है। खबर में जानिए हाईकोर्ट की इस स्पष्टता के बाद अब मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार क्या हो गए हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला-


इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) की ओर से यह फैसला तब सुनाया गया, जब मऊ निवासी श्याम सुंदर अग्रवाल जोकि किराएदार (tenant law for property)  है उसने कोर्ट में याचिका दर्ज कराई थी। श्याम सुंदर अग्रवाल ने मकान मालिक गीता देवी की ओर से दुकान खाली कराने की मांग को चुनौती देने के लिए यह केस दर्ज कराया था। मकान मालिक गीता देवी ने बयां किया कि उनके परिवार के निधन के बाद जीवन-यापन के लिए उनके बेटों को दुकान की आवश्यकता है, जिसके लिए उन्होंने अपने बेटों के लिए खुद का कारोबार शुरू करने के लिए दुकान को खाली करने को कहा है।

कोर्ट ने सुना दिया यह फैसला-


मकान मालिक  गीता देवी के बयान के बाद किरायेदार ने कोर्ट में दावा किया कि मकान मालिक (landlord property rights)के पास अपने खुद के कारोबार की शुरूआत के लिए पहले से ही एक अन्य दुकान है। उस अन्य दुकान के जरिए भी वह अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं। हालांकि, कोर्ट (Allahabad High Court ) ने किराएदार के तर्क को खारिज कर दिया और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक अन्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि मकान मालिक की जरूरत सबसे पहले होती है।

हाई कोर्ट ने की टिप्पणी-


इस मामले में किराएदार के तर्क को खारिज किया गया और न्यायमूर्ति ने कहा कि मकान मालिक अपनी संपत्ति की वास्तविक आवश्यकता का स्वयं निर्णायक होता है. मकानमालिक की आवश्यकता सर्वोपरि होती है और  किरायेदार यह तय नहीं कर सकता कि मकानमालिक (Land lord rights on own property) को अपनी संपत्ति का उपयोग कैसे करना चाहिए.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद यह बात साबित हो गई की संपत्ति पर अधिकार और उपयोग के मामले में किराएदार (court decision on property rights) तय नहीं करेगा और साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ की मकान मालिक की प्राथमिकता सबसे पहले होती है।