किरायेदारों के अधिकार पर High Court ने खींची लक्ष्मण रेखा, मकान मालिक भी नहीं कर सकता ये काम
HR Breaking News, Digital Desk - बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) ने मामले की सुनवाई के दौरान किरायेदारों के अधिकार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि किरायेदारों पास सीमित अधिकार हैं। ऐसे में वह मकान मालिक को प्रॉपर्टी में रिडेवलपमेंट कराने को लेकर निर्देश नहीं दे सकते हैं। मामला मुंबई के खार (पश्चिम) बिल्डिंग से जुड़ा था।
यहां एक 'अड़ियल किरायेदार' (हाईकोर्ट के शब्दों में) बिल्डिंग के मरम्मत के काम को रोक रहा था। कोर्ट ने बीएमसी को रिडेवलपमेंट के जुड़ा कमेंसमेंट सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश (Instructions for issuing commencement certificate) दिया। इस मामले में लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म जीएम हाइट्स के मालिक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और आर एन लड्डा की बेंच ने कहा कि किरायेदार के अधिकारों को इस हद तक नहीं बढ़ाया जा सकता है कि प्रॉपर्टी के रिवडेवलपमेंट का काम किरायेदार की मर्जी से हो। ऐसा नहीं होना चाहिए कि संपत्ति के मालिक (property owners) का अपनी संपत्ति में पसंद के हिसाब से बदलाव कराने का बुनियादी भौतिक अधिकारों ही छीन लिए जाएं।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किरायेदारों का एकमात्र अधिकार इमारत के ध्वस्त होने से पहले उनके कब्जे वाले समकक्ष क्षेत्र के वैकल्पिक आवास के साथ प्रदान करना था। मामले से जुड़े वकील के अनुसार, हाई कोर्ट के इस फैसले से भविष्य के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का रास्ता खुलने की उम्मीद (Hope to open the way for redevelopment projects) है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल जिस बिल्डिंग को लेकर केस चल रहा है उसे मूल रूप से रामी राजा चॉल के नाम से जाना जाता है। इसमें 21 किराएदार रहते थे। अगस्त 2021 में इस बिल्डिंग को जीर्ण-शीर्ण घोषित होने के बाद इसे ध्वस्त कर दिया गया था।
इसके बाद बिल्डिंग मालिक ने एक कमर्शियल बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव रखा था। बिल्डिंग मालिक की तरफ से पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट जीएस गोडबोले के अनुसार एमसी ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। इसमें एक को छोड़कर, अन्य 20 किरायेदारों को रिडेवलपमेंट प्लान में एक कमर्शियल बिल्डिंग बनाने पर कोई आपत्ति नहीं थी। इस किरायेदार ने एनओसी देने से इनकार कर दिया। साथ ही स्थायी वैकल्पिक आवास समझौते पर साइन भी नहीं किया।
2021 में बीएमसी की शर्त थी कि सभी किराएदारों की सहमति के बाद ही वास्तविक निर्माण या प्रारंभ प्रमाणपत्र के लिए मंजूरी जारी की जानी थी। मालिक ने अपनी याचिका में बीएमसी की शर्तों को यह तर्क देते हुए चुनौती दी कि वे मनमानी और असंवैधानिक हैं।
किरायेदारों के अधिकार क्या हैं (What are the rights of tenants)
भारत सरकार ने साल 1948 में एक केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम पारित किया था। समय-समय पर इसमें बदलाव हुए हैं। कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने दो साल पहले ही नए किराया कानून को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य संपत्ति मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों की रक्षा के साथ ही शोषण से बचाव करना था। इस अधिनियम में संपत्ति को किराए पर देने की नियमों का वर्णन किया गया था। ध्यान देने वाली बात है कि हर राज्य का अपना किराया नियंत्रण कानून होता है। इसके बावजूद इसमें कोई खास अंतर नहीं होता है। ऐसे में किराये पर मकान लेने से पहले लिखित समझौता करना जरूरी होता है। ऐसे में आप भविष्य में होने वाले किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में उचित फोरम पर शिकायत करने के योग्य होते हैं।
रेंट एग्रीमेंट है जरूरी (Rent agreement is necessary)
मॉडल टेनेंसी एक्ट के तहत मकान मालिक और किरायेदार के बीच रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है। एक्ट के सेक्शन 5 के तहत प्रत्येक किरायेदार एक अवधि के लिए वैध है। इस अवधि का जिक्र रेंट एग्रीमेंट में किया जाता है। एंग्रीमेंट में किरायेदार कब तक रहेगा, कितना किराया देगा, सिक्योरिटी राशि समेत अन्य बातों का जिक्र होगा। रहने का टाइम पीरियड खत्म होने से पहले एंग्रीमेंट को रिन्यू किया जा सकता है। यदि एक निश्चित समय के बाद जब एंग्रीमेंट खत्म होने के बाद रिन्यू नहीं होता है और किरायेदार कमरा या बिल्डिंग खाली नहीं करता है तो उसे मकानमालिक को बढ़ा हुआ किराया देना होता है। यदि वह मकान पर कब्जा जारी रखता है तो बढ़ा हुआ किराया पहले दो महीनों के लिए मासिक किराए का दुगना और फिर चार गुना होगा।
रेंट एग्रीमेंट में सिक्योरिटी राशि (Security amount in rent agreement) दो महीने के किराये से अधिक नहीं हो सकती है। कर्मशल बिल्डिंग के मामले में यह राशि 6 महीने के किराये के बराबर रखी गई है। यदि किरायेदार कमरा खाली करता है तो मकान मालिक को यह राशि एक महीने के भीतर लौटानी होगी।
यदि मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है तो उसे तीन महीने पहले किरायेदार को नोटिस देना होगा।
बिजली, पानी किरायेदार का मूलभूत अधिकार है, मकान मालिक किसी भी तरह का विवाद होने पर किरायेदार का बिजली-पानी या पार्किंग बंद नहीं कर सकता है।
यदि मकान मालिक को किराया बढ़ाना है तो उसे 3 महीने पहले किरायेदार को इसकी जानकारी देनी होगी। इसके अलावा वह बाजार मूल्य से अधिक किराया नहीं ले सकता है।
किराएदार को हर महीने किराया देने की एवज में रसीद लेने का अधिकार है। अगर मकान मालिक एंग्रीमेंट में लिखित समय से पहले किराएदार को घर खाली करवाता है तो वह कोर्ट में रसीद को सबूत के तौर पर पेश कर सकता है।
यदि किरायेदार घर में नहीं है तो मकान मालिक उसके घर का ताला नहीं तोड़ सकता है। इसके अलावा मकान मालिक घर से किरायेदार का समान बाहर नहीं फेंक सकता है।
मकान मालिक घर या बिल्डिंग को गंदा रखने पर किरायेदार को टोक सकता है।
घर खाली करने से एक महीने पहले किरायेदार को इसकी जानकारी मकान मालिक को देनी होगी। यदि मकान मालिक किरायेदार को निकालना चाहता है तो उसे 15 दिन का नोटिस देना होगा।
नए कानून के तहत मकान के ढांचे के देखभाल की जिम्मेदारी मकान मालिक की है।
अगर किरायेदार की मौत हो जाती है और उसका परिवार उसके साथ रहता है तो मकान मालिक अचानक उसे कमरा खाली करने के लिए नहीं कह सकता है।
एंग्रीमेंट होने के बाद मकान मालिक बिना अनुमति के किरायेदार के घर में नहीं घुस सकता है। अगर मकान मालिक को कमरे में आना है तो इसके लिए पहले किरायेदार की अनुमति लेनी होगी।
मकान मालिक किरायेदार के घर के पास, खासकर महिला किरायेदार के घर के पास या घर में बिना उसकी अनुमति के कैमरा नहीं लगा सकता है। ऐसा करने से किरायेदार की प्रिवेसी का हनन होता है यह कानूनन अपराधा है। इसके लिए 3 से 7 साल की सजा और आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान है।
मकान मालिक किरायेदारों को पालतू जानवर रखने से नहीं रोक सकता है। ऐसा करना पशुओं के प्रति क्रूरता अधिनियम के तहत आता है। यदि पालतू जानवर के रखने पर रोक लगाई जाती है तो यह संविधान के अनुच्छेद 51जी का उल्लंघन होगा।