land acquisition : क्या किसी की भी जमीन ले सकती है सरकार, जान लें भूमि अधिग्रहण के नियम

Land Acquisition Rule :देशभर में लगातार नए शहरों और कई अन्य तरह के आधुनिक विकास हो रहे हैं। इसके लिए सरकार भूमि का अधिग्रहण करती है। ऐसे में अक्सर लोग ये नहीं जानते हैं कि क्या सरकार किसी भी जमीन का अधिग्रहण (Land acquisition Rules In India) कर सकती है। या फिर इससे जुड़े कुछ कानून भी है। आइए खबर में जानते हैं भूमि अधिग्रहण से जुड़े कुछ नियम।

 

HR Breaking News (Land Law)। भारत में हर चीजों के लेकर कोई न कोई कानून बनाया गया है। ऐसे में भूमि अधिग्रहण को लेकर भी भारतीय संविधान में कई कानून बनाएं गए है, जिनके बारे में जानकारी होनी काफी ज्यादा जरूरी है।

 

 

बता दें कि सरकार (Land acquisition Rules) जब भी किसी विकास या फिर हित कार्य के लिए भूमि को अधिग्रहित करती हैं तो उससे पहले सरकार को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। आइए जानते हैं क्या सरकार सभी तरह की भूमि को अधिग्रहित कर सकती है, या फिर इसको लेकर कुछ नियम है।  


संविधान का ये है कहना


हमारे देश के संविधान और अधिग्रहण कानून के तहत सरकार को जनहित में जमीन लेने का पूरा हक है। सरकार राइट टू फेयर कॉम्पेसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन, रीहैबिलिटेशन एंड रीसेटलमेंट एक्ट 2013 के तहत जमीन (compensation for land acquisition) को अधिग्रहहित करती है। इसे आमतौर पर LARR Act, 2013 के नाम से भी जाना जाता है।


इस स्थिति में किया जा सकता है अधिग्रहण


ये कानून ये भी सुनिश्चित करता है कि जब किसी का जमीन लिया जाए तो उसके मालिक को उचित मुआवजा भी दिया जाए। इस कानून को बनाने का उदेश्य पारदर्शिता को बढ़ाने, जबरन अधिग्रहण (Land acquisition process in india) रोकने के लिए था। कुछ विशेष परिस्थितियों में, केंद्र या राज्य सरकारें अन्य कानूनों (जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956) के तहत भी अधिग्रहण कर सकती हैं, हालांकि LARR Act, 2013 मुख्य कानून है।


इस स्थिति में किया जा सकता है भूमि अधिग्रहण


भारत में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 (LARR Act, 2013) के तहत, बिना सहमति के जमीन अधिग्रहण (Land acquisition process) की संभावना पूरी तरह से परिस्थिति पर ही निर्भर करती है। इसमें मुख्य रुप से तीन उद्देश्य होते हैं। पहला सार्वजनिक उद्देश्य के लिए, दूसरा निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाओं के लिए, तीसरा आपातकालीन स्थिति के लिए।


सार्वजनिक उद्देश्य के लिए


अगर जमीन का अधिग्रहण पूरी तरह से सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्देश्य (जैसे रक्षा, रेलवे, सड़क, अस्पताल आदि) के लिए किया जाता है तो इस स्थिति में प्रभावित परिवारों की सहमति की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA) और उचित मुआवजा (compensation for land acquisition) देना काफी ज्यादा जरूरी है। 


निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाएं


अगर जमीन का अधिग्रहण निजी कंपनियों या PPP परियोजनाओं (PPP Projects) के लिए किया गया है तो इस स्थिति में 70-80 प्रतिशत प्रभावित परिवारों की सहमति आवश्यक है। (प्रोजेक्ट के प्रकार पर निर्भर) बता दें कि बिना सहमति के अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। 


आपातकालीन स्थिति में किया जा सकता है अधिग्रहण


कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा या आपातकाल (जैसे प्राकृतिक आपदा के लिए तत्काल बुनियादी ढांचा), सरकार LARR Act, 2013 की धारा 40 के तहत सहमति के बिना भी अधिग्रहण (land acquisition Rules in india) कर सकती है, हालांकि यह सीमित और असाधारण परिस्थितियों में ही संभव है, और मुआवजा व पुनर्वास के नियम लागू रहते हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात


सुप्रीम कोर्ट ने ‘सुख दत्त रात्रा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य’ (2022) मामले में स्पष्टतौर पर बताया है कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के निजी जमीन (Private property land acquisition) का अधिग्रहण संवैधानिक अधिकारों और मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है। कोर्ट ने जोर दिया है कि अधिग्रहण के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन और मुआवजा देना अनिवार्य है।

भूमि अधिग्रहण होने पर मिलता है इतना मुआवजा


भारत में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 (LARR Act, 2013) के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे (land acquisition compensation) की राशि ग्रामीण इलाकों में 2 गुना की गई है। वहीं शहरी क्षत्रों के बारे में बात करें तो एक गुना मुआवजे का प्रावधान तय किया गया है। इसके अलावा पुनर्वास, वैकल्पिक जमीन या नौकरी देने का भी प्रावधान भी है।