land acquisition : भूमि अधिग्रहण मामले में कोर्ट ने सरकार को लगाई कड़ी फटकार, दिए ये आदेश
land acquisition rules : भूमि अधिग्रहण के मामले में अक्सर कई तरह के विवाद हो जाते हैं। अब भू अधिग्रहण (court decision on land acquisition) के एक मामले में कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इसमें कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए सख्त आदेश भी दिए हैं। आइये जानते हैं क्या कहा है कोर्ट ने -
HR BreaKing News (land acquisition)। जमीन अधिग्रहण के बाद कई बार भू मालिकों को तरह तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। कई बार तो लंबे समय तक उनकी समस्याओं की अनदेखी होती रहती है। भूमि अधिग्रहण (SC decision on Land Acquisition) के ऐसे ही एक मामले में हाल ही में कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकार को कड़े आदेश देने के साथ ही लताड़ भी लगाई है। अब यह फैसला (Supreme court decision) चर्चाओं में आ गया है। इसे हर भू मालिक के लिए जानना बेहद जरूरी है।
कर्नाटक सरकार से जुड़ा है मामला-
मामले के अनुसार कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) की ओर से कई साल भू अधिग्रहण (land acquisition compensation) किया गया था। सरकार ने भू मालिकों से जमीन लेने के बाद उनका मुआवजा लंबे समय तक नहीं दिया। यह जमीन 1986 में अधिग्रहीत की गई थी।
अब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि इतने लंबे समय तक मुआवजा न देना सरासर गलत है। कोर्ट ने आदेश (SC order on compensation) दिया है कि इस जमीन का आज के मार्केट रेट के अनुसार मुआवजा देना होगा। यह जमीन कर्नाटक के मैसूर जिले के हिंकल गांव (Hinkal Village case) में विजयनगर शहर बनाने के लिए अधिग्रहीत की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अब भू मालिकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है।
भू मालिकों की दलील स्वीकारी-
मैसूर के हिंकल गांव (Hinkal Village land acquisition) में जयलक्ष्मम्मा और अन्य की लगभग दो एकड़ जमीन को भी विजयनगर शहर बनाने के लिए अधिग्रहीत की गई थी। अब देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में कहा है कि अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा न देना अनुच्छेद 300A का उल्लंघन है।
यह धारा संपत्ति के अधिकार (property rights) का उल्लंघन दर्शाती है। भू मालिकों को तीन दशक से ज्यादा समय तक न तो मुआवजा दिया और न ही इसे रोकने का कोई उचित कारण बताया गया। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने भू मालिक (property owner's rights) की ओर से अधिवक्ता की दलीलों को स्वीकार कर लिया। अधिवक्ता ने जयलक्ष्मम्मा के भू मालिक और अन्य की ओर से पक्ष रखा था।
अब यह कहा है सुप्रीम कोर्ट ने-
सुप्रीम कोर्ट ने भू अधिग्रहण (land acquisition case) के इस मामले में कहा कि अब इस जमीन का 1 जून 2019 के बाजार भाव से मुआवजा दिया जाए। यह मुआवजा राशि 4 सप्ताह में जमा करानी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजा मिलने के बाद जमीन मालिकों (property owner rights) को अपनी जमीन सौंपनी होगी। इसके बाद अधिग्रहण कार्य या प्रक्रिया को कोर्ट में भू मालिकों की ओर से चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
भू मालिकों को रखा गया अंधेरे में-
याचिकाकर्ता के वकील ने याची के पक्ष को रखते हुए कहा कि जमीन मालिक अब तक जमीन का टैक्स (property tax), बिजली बिल आदि भर रहे हैं। वे कब्जा भी लिए हुए हैं। भू मालिकों को अंधेरे में रखते हुए न उनकी जमीन ली गई और न मुआवजा दिया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जमीन का अधिग्रहण करने के बाद सरकार मुआवजे को नहीं टाल सकती