Property Act : पिता सारी प्राेपर्टी बेटों के कर दे नाम, क्या बेटियां कर सकती है दावा, जानिये कानूनी प्रावधान

Laws related to property : पिता की संपत्ति पर बेटे और बेटी के अधिकार को लेकर कई तरह के कानून बनाए गए हैं। जिनकी बेहद कम लोगों को जानकारी होती है। कोर्ट में भी संपत्ति के अधिकार से जुड़े रोजाना नए-नए मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे में अगर पिता सारी प्रॉपर्टी अपने बेटों के नाम करते हैं तो क्या बेटियां कर सकती है दावा, जानिए खबर में प्रॉपर्टी से जुड़े इस कानून के बारे में विस्तार से।
 

HR Breaking News - (property knowledge)भारत देश में प्रॉपर्टी को लेकर कई तरह के खास नियम और कानून बनाए गए हैं। जिनकी जानकारी हमें होना बेहद जरूरी है। क्योंकि कई बार अधिकारों से वंचित रह जाना विवाद का कारण बन जाता है। अगर आपको प्रॉपर्टी से जुड़े इन कानूनों (Laws related to property )के बारे में जानकारी है तो कोई भी आपका हक नहीं छीन सकता है।

 

आज की खबर के माध्यम से हम आपको कुछ सवाल और जवाब के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके माध्यम से आप पिता की संपत्ति में अपने हक को लेकर बनाए गए कानूनों के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 

 

सवाल - अगर कोई बेटा अपने पिता की संपत्ति (father's property)को अपने बेटों के नाम ट्रांसफर करता है तो क्या बेटियां दावा कर सकती हैं?


जवाब- कानून के मुताबिक, पिता की संपत्ति में बेटियों का बेटों के बराबर अधिकार (rights in father's property)है। अगर पिता जिंदा हैं और उन्होंने अपनी स्वअर्जित संपत्ति को पोतों के नाम ट्रांसफर किया है तब बेटियों का इस पर कोई दावा नहीं बनता। अगर पिता की मौत हो चुकी है और संपत्ति का ट्रांसफर (property transfer rule)वसीयत के जरिए हुई हो तब बेटी उस वसीयत को जायज वजहों के आधार पर अदालत में चुनौती दे सकती है। लेकिन अगर पिता की मौत बिना वसीयत लिखे ही हुई हो तब मृतक की संपत्ति में बेटियों का समान अधिकार है और वो उस पर कोर्ट(latest court news)में दावा कर सकती हैं।

 


सुजीत कुमार का सवाल- मान लीजिए कि ए की पत्नी बी है। दोनों के चार बच्चे हैं (बेटा सी और डी, और बेटियां ई और एफ)। अगर ए के पास अपने नाम से किसी आवासीय संपत्ति का गिफ्ट डीड हो और बिना किसी वसीयत को लिखे उसकी मौत हो जाए जबकि बी जिंदा हो तब-


1- क्या पत्नी बी उस संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए वसीयत लिख सकती है? (Property Act)
2- चूंकि बी की मौत बिना कोई वसीयत लिखे हुई है तो क्या बेटियां ई और एफ संपत्ति में हिस्सेदारी मांग सकती हैं, भले ही वो ए की पैतृक संपत्ति न हो?


जवाब- माना कि ए एक हिंदू पुरुष थे जिनकी बिना वसीयत लिखे ही मौत हो गई और गिफ्ट डीड प्रॉपर्टी उनकी अपनी संपत्ति थी। ऐसे में पत्नी उस प्रॉपर्टी के लिए वसीयत नहीं लिख सकती। अगर उनकी मौत बिना वसीयत लिखे हुई है तो हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के तहत क्लास 1 के सभी उत्तराधिकारियों की संपत्ति में एक समान हिस्सेदारी होगी। क्लास 1 उत्तराधिकारी में पत्नी, बच्चे और मृतक की मां शामिल होंगी।


सवाल- मेरा अपनी पत्नी के साथ जॉइंट डीमैट अकाउंट हैं जिसमें वह सेकंड ओनर हैं। मान लीजिए कि बिना वसीयत लिखे ही मेरी मौत हो जाए तो हमें क्या कदम उठाने चाहिए ताकि शेयर/म्यूचुअल फंड यूनिट्स की ओनरशिप या तो मेरी पत्नी के नाम हो या फिर मेरी पत्नी और बेटी के संयुक्त नाम पर हो? क्या ओनरशिप को मेरे परिवार के सदस्यों के नाम ट्रांसफर करने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (सक्सेजन सर्टिफिकेट) की जरूरत पड़ेगी?


जवाब- आपकी मौत की स्थिति में, फर्स्ट होल्डर के तौर पर आपके अधिकार सेकंड होल्डर (पत्नी) को ट्रांसफर हो जाएंगे क्योंकि आप दोनों डीमैट अकाउंट के जॉइंट होल्डर थे। यह टी-2 फॉर्म (ट्रांसमिशन रिक्वेस्ट फॉर्म) भरकर और फर्स्ट होल्डर के नोटराइज्ड डेथ सर्टिफिकेट के साथ जमा करने पर हो जाएगा। आपकी मौत के बाद आपकी बेटी को अगर अपने नाम शेयर/म्यूचुअल फंड ट्रांसफर कराना है तो उसे सक्सेजन सर्टिफिकेट (उत्तराधिकार प्रमाण पत्र) जमा कराना होगा। (Property news in hindi)

 


एन. गनपति का सवाल - मेरी पत्नी और मेरी जॉइंट वसीयत है। हमारे तीन बच्चे हैं। एक बच्चे को कुछ नहीं मिल रहा। दूसरे को चल संपत्ति मिल रही हैं और तीसरे को अचल संपत्ति। हमने वसीयत में एक अलग से क्लॉज रखा है कि हम भविष्य में जो कुछ भी कमाएंगे वह सेकंड बेनिफिशरी को मिलेगा। क्या यह कानूनी तौर पर सही होगा?


जवाब- कोई व्यक्ति वसीयत के जरिए अपनी बची हुई या फ्यूचर एसेट्स को किसी भी लाभार्थी को दे सकता है और यह कानूनी तौर पर वैध भी है। वसीयत के जरिए किसी कानूनी उत्तराधिकारी को संपत्ति से वंचित भी किया जा सकता है जबकि वसीयत नहीं होने की स्थिति में वह उत्तराधिकार के नाते संपत्ति का हिस्सेदार होगा। वसीयत के जरिए अगर किसी वैध उत्तराधिकारी को संपत्ति से वंचित किया जाता है तो वह नॉन-बेनिफिशरी हो जाता है। वसीयत में वजह भी दिया होना चाहिए ताकि अदालत समझ सके क्यों उसे संपत्ति में हिस्सेदारी से बाहर किया गया है।