Raksha Bandhan 2023 : ऐसे शुरू हुई थी राखी बांधने की परम्परा, आप भी जान लें इसकी कहानी 

Raksha Bandhan 2023 : राखी का त्यौहार पिछली कई सदियों से मनाया जा रहा है पर बहुत कम लोग है जो इसके पीछे की कहानी को जानते हैं, ये परम्परा किसने शुरू की, कैसे शुरू की, आइये जानते हैं 

 

HR Breaking News, New Delhi : भाई और बहन के अटूट प्रेम का त्‍यौहार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2023) 30 और 31 अगस्‍त को है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा बांधकर दीर्घायु की कामना करती हैं. इसके बदले में भाई बहनों की रक्षा Raksha Bandhan 2023) का वचन देता है. क्‍या आप जानते हैं कि कैसे शुरू हुई थी भाइयों को राखी बांधने की यह परंपरा?. भाई-बहन के इस त्‍यौहार के पीछे कई पौराणिक मान्‍यताएं हैं. तो आइये जानते हैं दिलचस्‍प कथाएं.   

यह है पौराणिक कथा 

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बताया जाता है कि राजा बली भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे. एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. इस दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामनावतार लेकर आए और दान में राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया. इस पर राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं. तीसरे पग के लिए उन्होंने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया, फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चलकर रहें. भगवान ने भक्त की बात मान ली और बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए. 

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राजा बलि के हाथ में बांधा रक्षा 
उधर देवी लक्ष्मी परेशान होकर गरीब महिला बनकर राजा बलि के पास पहुंची. राजा बलि को राखी बांधी. बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं हैं, इस पर देवी लक्ष्मी अपने रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात भगवान हैं, मुझे वही चाहिए मैं उन्हें ही लेने आई हूं, इस पर बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया. 

...तो ऐसे शुरू हुई परंपरा 
रक्षाबंधन Raksha Bandhan 2023) से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है. महाभारत के समय एक बार भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी और उसमें से खून बहने लगा था. यह देखकर द्रौपदी ने अपना आंचल का पल्‍लू फाड़कर उनकी कटी अंगुली में बांध दिया था. इसी दिन से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई. 

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