supreme court : 10 साल किराए पर रहने के बाद किराएदार बन जाएगा प्रोपर्टी का मालिक, जानिये कानून

Tenancy law : प्रोपर्टी को किराए पर देकर आजकल बहुत से लोग इसे साइड इनकम का जरिया बनाए हुए हैं। प्रोपर्टी (property knowledge) को लेकर अक्सर ये भी सवाल उठते रहते हैं कि क्या 10 साल तक किराए पर रहने के बाद कोई किराएदार किसी प्रोपर्टी का मालिक (property ownership) बन सकता है या नहीं? इसे लेकर कानून में अलग से प्रावधान किया गया है। अगर आपने भी प्रोपर्टी किराए पर दी है तो इस कानूनी प्रावधान को जरूर जान लें।

 

HR Breaking News - (tenant's rights)।  प्रोपर्टी मालिक और किराएदार के बीच कई तरह के विवाद अक्सर सामने आते ही रहते हैं। कभी मकान मालिक की मनमानी तो कभी किराएदार (tenant's property rights) की जिद के कारण मामले उछलते रहते हैं। यह भी देखा जाता है कि एक लंबे समय तक किसी मकान या प्रोपर्टी (property disputes) में रहने के बाद किराएदार उस प्रोपर्टी पर ही अपना अधिकार जमाने लगता है।

ऐसे में प्रोपर्टी मालिकों की टेंशन बढ़ जाती है। इस तरह की स्थिति में प्रोपर्टी मालिकों (landlord's rights) के लिए यह जानना भी जरूरी है कि क्या वास्तव में एक निश्चित समय बाद कोई किराएदार प्रोपर्टी का मालिक बन सकता है। खासकर तब, जब वह लगातार 10 साल से किसी प्रोपर्टी (property rights) पर काबिज है या किराएदार के रूप में रह रहा है। आइये जानते हैं इसे लेकर क्या कहता है कानून...

कानून में यह है प्रावधान-


अगर 10 साल तक लगातार किसी प्रोपर्टी  या मकान में किराए पर कोई किराएदार (kirayedar ke adhikar) रहता है और वह बाद में जगह खाली करने से मना कर देता है तो प्रोपर्टी मालिक को क्या कदम उठाना चाहिए। क्या इस स्थिति में किराएदार ही प्रोपर्टी का मालिक (mkan malik ke adhikar) बन जाएगा?

यह सवाल अक्सर कई प्रोपर्टी मालिकों की टेंशन बना हुआ है। बता दें कि कानून के अनुसार 12 साल तक कोई किराएदार एक ही मकान या प्रोपर्टी (landlord tenant property rights) में किराए पर बेरोकटोक रहता है तो वह मालिकाना हक का दावा कर सकता है। 

ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट में प्रावधान-


वैसे तो कोई भी किराएदार किसी मकान मालिक की संपत्ति (property news) पर हक नहीं जता सकता और न ही मालिकाना हक का दावा कर सकता। लेकिन मकान मालिक (landord's property rights) की लापरवाही के चलते ऐसा हो भी सकता है। ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (Transfer of Property Act) के अनुसार अगर कोई किराएदार एडवर्स पजेशन (adverse possession) के तहत मालिकाना हक का दावा करता है तो वह प्रोपर्टी का मालिक बन भी सकता है। 

किराएदार को दिखाने होंगे सबूत-


किसी प्रॉपर्टी पर 12 साल तक या उससे ज्यादा समय से किराएदार बिना किसी रोकटोक व दखलंदाजी के काबिज है तो वह उस प्रोपर्टी (property knowledge) का मालिक बन सकता है। हालांकि इसके लिए उसे बिजली पानी के बिल सहित कई तरह के सबूत दिखाने होंगे। इसके बाद वह उस संपत्ति का मालिक (property ownership) होने के साथ ही उसे बेचने तक का अधिकार प्राप्त कर सकता है।


क्या कहता है लिमिटेशन एक्ट- 


कोई किराएदार लिमिटेशन एक्ट 1963 (Limitation Act 1963) की धारा 65 में दिए गए एडवर्स पजेशन (adverse possession rules) के प्रावधान के तहत किसी संपत्ति का मालिक होने का दावा करता है तो असल मकान मालिक इस मामले को लेकर कोर्ट में जा सकता है। इसके बाद कोर्ट ही इसमें फैसला लेता है।

अगर 12 साल से ज्यादा समय तक किराएदार (tenant's rights on property) किसी प्रोपर्टी में लगातार बेरोकरोक रहा है तो उसे जबरदस्ती वहां से बाहर नहीं निकाला जा सकता। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया मकान मालिक को अपनानी ही होगी, नहीं तो किराएदार (kirayedar ke adhikar) कोर्ट में दावा भी कर सकता है। 

रेंट एग्रीमेंट बनवाने से सुरक्षित रहेगी प्रोपर्टी -


इसका सीधा सा मतलब है कि समय रहते अपनी प्रोपर्टी को संभालना जरूरी है। 12 साल से पहले ही प्रोपर्टी मालिक (property owner's rights) किराएदार के खिलाफ शिकायत करे तो ही सही रहेगा। अपनी प्रोपर्टी की सुरक्षा के लिए रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) बनवा लेना सही रहता है।

रेंट एग्रीमेंट किराएदार व मकान मालिक दोनों के हितों व अधिकारों की रक्षा करता है। इसलिए रेंट एग्रीमेंट (rent agreement rules) बनवाना दोनों के लिए फायदेमंद रहता है। 11 माह का रेंट एग्रीमेंट होने पर किराएदार लंबे समय तक किसी प्रोपर्टी पर काबिज रहने का दावा नहीं कर सकेगा और न ही प्रोपर्टी पर अपना अधिकार (property rights) जता सकेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला-


किराएदार एक निश्चित समय बाद किसी प्रोपर्टी का मालिक भी बन सकता है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी एक फैसला सुनाया था। लिमिटेशन एक्ट 1963 के अनुसार निजी अचल संपत्ति पर 12 साल तक कोई किराएदार बिना किसी आपत्ति के रहता है तो वह मालिकाना हक का दावा कर सकता है। इस अवधि को  कब्जे (property posssession rules) के दिन से शुरू माना जाता है।